एडिटर्स गिल्ड ने पैगंबर मोहम्मद और कानपुर हिंसा की कवरेज को लेकर कुछ न्यूज़ चैनलों को नसीहत दी है.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने बुधवार को देश में बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा को लेकर न्यूज़ चैनलों द्वारा की जा रही कवरेज पर अपनी चिंता व्यक्त की है.
ईजीआई ने पैगंबर मोहम्मद और कानपुर हिंसा को लेकर देश के राष्ट्रीय चैनलों की कवरेज पर सवाल उठाते हुए निंदा की है.
एडिटर्स गिल्ड ने उन चैनलों से भी नाराजगी जताई है जो टीआरपी के लिए ऐसे कार्यक्रम करते हैं. ईजीआई ने कुछ टीवी चैनलों की तुलना 'रेडियो रवांडा' से की है.
गिल्ड ने अपने बयान में कहा है, "कुछ चैनल व्यूअरशिप बढ़ाने और लाभ कमाने के लिए रेडियो रवांडा के मूल्यों से प्रेरित थे, जिसकी वजह से अफ्रीकी देशों में नरसंहार हुए थे."
कानपुर हिंसा और पैगंबर मोहम्मद का जिक्र करते हुए एडिटर्स गिल्ड ने इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए मीडिया संस्थानों से कड़ी नजर रखने की भी मांग की है. बयान में कहा गया है कि मीडिया की जिम्मेदारी संविधान और कानून को बनाए रखने की है, न की गैरजिम्मेदारी और जवाबदेही के अभाव में उसे तोड़ने की.
गिल्ड ने कहा कि देश को इस तरह की शर्मिंदगी से बचाया जा सकता था. अगर मीडिया संस्थान संविधान में बताए गए धर्मनिरपेक्षता को समझता, साथ ही पत्रकारिता की नैतिकता और पीसीआई के नियमों का पालन करता.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने ब्रॉडकास्टर और पत्रकार संस्थान से मांग की है कि ऐसा दोबारा होने से रोकें. मीडिया संविधान और कानून को मजबूत करने के लिए है और इसे सरासर गैरजिम्मेदारी और जवाबदेही के अभाव में खत्म न करें.
बता दें कि, पैगंबर मोहम्मद पर बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा द्वारा टाइम्स नाउ चैनल पर दिए गए कथित विवादास्पद बयान के बाद भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विरोध का सामना करना पड़ा है. अब तक करीब 15 इस्लामिक देशों ने भारत के खिलाफ अपना विरोध जताया है.