रविवार को बुराड़ी में हुई हिंदू महापंचायत में पत्रकारों के साथ मारपीट की गई और दिल्ली पुलिस यह सब हाथ पर हाथ रखकर देखती रही.
मीर का आरोप है कि भीड़ ने उनका कैमरा छीन लिया. वह कहते हैं, “भीड़ में एक शख्स ने मुझसे मेरा नाम पूछा. मैंने उन्हें अपना असली नाम ‘मीर फैसल’ बताया. उन्हें समझ आ गया था मैं मुसलमान हूं. उन्होंने मुझ से आगे पूछा कि मैं कहां से आया हूं. मैंने बताया ओखला. यह सुनते ही उन्होंने खुद कहा, ‘अच्छा जामिया नगर.’ उसके बाद उन्होंने मुझसे मेरा प्रेस आईडी मांगा.”
मीर आगे की घटना के बारे में बताते हैं, “मैंने हाल ही में नई संस्था में काम करना शुरू किया है इसलिए मेरे पास दिखाने के लिए आईडी कार्ड नहीं था लेकिन मोबाइल में फोटो थी. अरबाब भी मेरे साथ था. मैंने उन्हें अपना बैग भी दे दिया कि इसमें कुछ भी गलत सामान नहीं है.”
भीड़ ने मीर का बैग अपने पास रख लिया. मीर बताते हैं, “देखते ही देखते 20 लोग हमारे आस-पास, हमें घेरकर खड़े हो गए. वे लोग हम पर आरोप लगाने लगे कि तुम लोग एक एजेंडा के तहत यहां आए हो. उन्होंने मेरे बैग की तलाशी ली. बैग में मुस्लिम नामों की लिस्ट थी. यह वो नाम थे जिनके ऊपर मुझे अपने अगली स्टोरीज करनी थी.”
आगे की कहानी अरबाब बताते हैं, “भीड़ को देखकर पुलिस आई. बावजूद इसके भीड़ ने हमें उनके सामने ही मारना शुरू कर दिया. धक्का दिया. वे कह रहे थे कि इन दोनों को पुलिसवालों को न दो, इन्हें यही मारो. ये जिहादी हैं, ये मुल्ले हैं.”
अरबाब कहते हैं, “भीड़ ने मेरा मोबाइल छीन लिया और 7-8 लोगों से कहा कि हम पर नजर रखे और हमें वहां से जाने न दें. उन्होंने जबरदस्ती की और मेरे फोन से वीडियो डिलीट करने लगे. काफी देर तक पुलिस केवल हमें देख रही थी. कुछ कर नहीं रही थी.”
इस दौरान मेहरबान, मीर और अरबाब से कुछ ही दूर खड़े थे. उन्हें डर था कि अगर वह बचाने जाएंगे तो भीड़ उन पर भी हमला कर देगी.
मेहरबान बताते हैं, “वे लोग मीर और अरबाब को परेशान कर रहे थे. मुझे डर था कि मेरे मुसलमान होने के कारण मुझ पर भी हमला कर सकते हैं. जब मैंने महसूस किया कि चीज़ें आगे बढ़ रही हैं, मैंने मेघनाद को बुला लिया. मेघनाद ने मुझसे बाकी पत्रकारों को बुलाने के लिए कहा.”
मेघनाद को भी पुलिस पीसीआर वैन में थाने लेकर आई थी. मेघनाद ने हमें बताया, “भीड़ आक्रामक थी. उन्होंने ड्राइविंग सीट पर बैठे पुलिसकर्मी को भी घसीटकर मारा क्योंकि वे लोग सिविल ड्रेस में थे.”
मेघनाद के एक ट्वीट को डीसीपी (उत्तर-पश्चिम) उषा रंगनानी ने “झूठा” बताया.
उन्होंने कहा, “हमने किसी भी पत्रकार को डीटेन नहीं किया. कुछ पत्रकारों ने स्वेच्छा से, अपनी मर्जी से, भीड़ से बचने के लिए, जो उनकी उपस्थिति से उत्तेजित हो रही थी, कार्यक्रम स्थल पर तैनात पीसीआर वैन में बैठ गए और सुरक्षा कारणों से पुलिस स्टेशन जाने का विकल्प चुना.”
जबकि असलियत में मेरी उपस्थिति में पुलिस पत्रकारों को पीसीआर वैन में बिठा रही थी. उसने भीड़ में से एक भी शख्स को हिरासत में नहीं लिया.
शाम 4 बजे मुख़र्जी नगर पुलिस थाने में धारा 354, 323, 356, 511 और 34 के तहत न्यूज़लॉन्ड्री ने एक एफआईआर दर्ज कराई है. इसके आलावा मीर फैजल, अरबाब और मेहरबान ने मेडिकल के बाद एक अलग एफआईआर दर्ज कराई है.