पाञ्चजन्य और ऑर्गनाइज़र के पत्रकारिता पुरस्कार के 22 भाग्यशाली विजेताओं में शेफाली वैद्य, पालकी शर्मा और आनंद रंगनाथन.
स्वराज्य के सलाहकार संपादक आनंद रंगनाथन को डीडी न्यूज़ के कंसल्टिंग एडिटर अशोक श्रीवास्तव के साथ साझा तौर पर सोशल मीडिया अवार्ड मिला. श्रीवास्तव द्वारा सरकार के बचाव की सोशल मीडिया पर अनगिनत तस्वीरें हैं. रोचक बात यह है कि ऑर्गनाइज़र की वेबसाइट पर मौजूद पुरस्कार सूची में सोशल मीडिया अवार्ड दर्ज ही नहीं है.
अनलिस्टेड पुरस्कारों की श्रेणी में एक और पुरस्कार रहा फैक्ट चेकिंग का, जो पाञ्चजन्य के रिपोर्टर अंबुज भारद्वाज को मिला. उन्होंने हाल ही में यह झूठ फैलाया था कि कांग्रेस पार्टी ने उदयपुर में अपने चिंतन शिविर के तंबुओं का रंग पाकिस्तान के झंडे जैसा हरा और सफेद रखा है. उनके इस वक्तव्य को ऑल्ट न्यूज़ ने फैक्टचेक किया था. यहां उन्हें फैक्ट चेकिंग का पुस्कार मिला.
विडंबना ने यहां आकर भी दम नहीं तोड़ा!
भारद्वाज का परिचय देते हुए संचालक तृप्ति श्रीवास्तव, जिन्होंने पहले बीबीसी और जी न्यूज़ में काम किया है, ने कहा, "मैं उनकी कुछ रिपोर्ट्स की ओर ध्यान दिलाना चाहती हूं. हाथरस मामले को आपसी प्रेम प्रसंग की बजाय घटना को दलित एंगल दिया जा रहा था. उन्होंने इसका पर्दाफाश किया था."
22 वर्षीय भारद्वाज फलाना दिखाना नाम की एक वेबसाइट के संस्थापक भी हैं, जो कथित तौर पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कानून के दुरुपयोग के मामलों पर प्रकाश डालने के लिए काम करती है.
स्वराज्य की एक संपादक स्वाति गोयल शर्मा को डिजिटल पत्रकारिता में "उत्कृष्टता, गहराई, गुणवत्ता और प्रभाव" के लिए पुरस्कृत किया गया.
जन्म टीवी के गौतम आनंदनारायण को "मरीचझापी हिंसा पर विशेष स्टोरी करने, हाथरस मामले में सिद्दीकी कप्पन के शामिल होने और उनके पीएफआई व सांप्रदायिक हिंसा से संबंधों" के लिए पुरस्कार दिया गया. (कप्पन के साथ जो हुआ उसके लिए न्यूज़लॉन्ड्री की यह सीरीज पढ़ सकते हैं.)
पुरस्कृत किए जाने वालों में डिजिटल न्यूज़ संस्थान ईस्टमोजो के कर्मा पालिजोर, इंडियन एक्सप्रेस के दिवंगत रवीश तिवारी, कश्मीर इमेजेस के बशीर मंजर और डीडी की दिव्या भारद्वाज शामिल हैं.
इन विजेताओं का चुनाव एक ज्यूरी ने किया था जिसमें प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर वेम्पति, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर केजी सुरेश, सूचना व प्रसारण मंत्रालय के सलाहकार कंचन गुप्ता और दैनिक जागरण के एग्जीक्यूटिव एडिटर विष्णु त्रिपाठी शामिल थे.
इस लकदक पुरस्कार समारोह का कुछ खर्चा देश के करदाताओं ने भी उठाया, क्योंकि इसके प्रायोजकों में गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सरकारें शामिल थीं.