द वायर की रिपोर्टर इस्मत आरा ने किसान आंदोलन के दौरान गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई किसान रैली में एक आंदोलनकारी किसान की तथाकथित रूप से गोली लगने से हुई मौत पर रिपोर्ट की थी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने द वायर के एडिटर सिद्धार्थ वरदराजन और रिपोर्टर इस्मत आरा के खिलाफ उत्तर प्रदेश की रामपुर पुलिस द्वारा विभिन्न धाराओं में दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है.
रामपुर पुलिस ने आईपीसी की धारा 153बी और 505(2) के तहत केस दर्ज किया था. पुलिस के मुताबिक, द वायर की रिपोर्ट और ट्वीट जनता को उत्तेजित और दंगा फैलने वाला है.
हाईकोर्ट में केस को निरस्त करते हुए डिवीजन बेंच के जज अश्विनी कुमार मिश्रा और रजनीश कुमार ने कहा, “द वायर की रिपोर्ट में रिपोर्टर इस्मत आरा और एडिटर सिद्धार्थ वरदराजन ने अपना कोई भी निजी विचार नहीं डाला है. रिपोर्ट मृतक के परिवार और डॉक्टर्स से की बात के बाद तैयार की गई थी. रामपुर पुलिस जो रिपोर्ट कोर्ट में दिखा रही है वो बाद में बदली गई मेडिकल रिपोर्ट है. इस आधार पर यह रिपोर्ट किसी तरह दो समुदायों के बीच उत्तेजना को बढ़ावा देने वाली नहीं है.”
बता दें कि, जनवरी महीने में द वायर की रिपोर्टर इस्मत आरा ने किसान आंदोलन के दौरान गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई किसान रैली में एक आंदोलनकारी किसान की तथाकथित रूप से गोली लगने से मौत पर रिपोर्ट की थी. इस खबर को सिद्धार्थ वरदराजन ने ट्वीट कर शेयर किया था. जिसके बाद दोनों के खिलाफ केस दर्ज किया गया.
रामपुर के जिला मजिस्ट्रेट ने वरदराजन के ट्वीट पर जवाब देते हुए कहा, “उम्मीद है कि आप समझेंगे कि आपकी स्टोरी से यहां कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती थी. यहां पहले ही तनावपूर्ण स्थिति है.”
वरदराजन के खिलाफ 31 जनवरी को एफआईआर दर्ज की गई थी. वरदारजन ने अपने ट्वीट में मृतक नवरीत के दादा हरदीप सिंह डिबडिबा का बयान साझा किया था. इसमें हरदीप ने कहा था कि नवरीत की मौत गोली लगने से हुई है.