एक सुशांत के बहाने हर दिन हजार मौत मर रही टेलीविज़न पत्रकारिता

सुशांत सिंह राजपूत की मौत का मखौल बना रहे खबरिया चैनलों का एक लेखाजोखा.

WrittenBy:मनीषा पांडे
Date:
Article image
  • Share this article on whatsapp

अगर कोई चीज़ अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की असमय मृत्यु की त्रासदी से प्रतियोगिता कर सकती है, तो वह है मीडिया द्वारा इस दु:खद घटना का कथित विश्लेषण और अशोभनीय वाद विवाद. शुरुआत में खबर आने पर हमने पत्रकारों को बिहार में सुशांत के घर फटाफट पहुंच कर, निजता को तोड़कर एक परिवार के व्यक्तिगत दुख के क्षणों को रिकॉर्ड करते हुए देखा. इस निर्लज्जता की पराकाष्ठा यह है कि हमने एक परिवार के सदस्य को मीडियाकर्मियों के सामने हाथ जोड़कर बाहर जाने की विफल विनती करते हुए भी देखा.

उसके बाद पटल पर आयी बॉलीवुड के अंदर और बाहर वालों की बहसें, जहां पर हमने रिपब्लिक टीवी के अर्नब गोस्वामी जैसे लोगों को करण जौहर और आलिया भट्ट को बस खुलकर हत्यारा कहने के अलावा बाकी सब कुछ कहते सुना. कॉफी विद करण कार्यक्रम जिसकी टैगलाइन है- "Stop Making Sense अर्थात समझना-समझाना आना बंद करो". यहां आलिया द्वारा कहे गए हर शब्द, हर छोटे-बड़े अंश की खाल खींची गई. अर्नब गोस्वामी रह-रहकर थोथे चने की तरह गरज रहे थे- "आप मारने की बात क्यों कहेंगे?!?! मैं शादी या हुकअप समझ सकता हूं पर आप मारने की बात क्यों कहेंगे?!?!

पाठक किसी असमंजस में न पड़ें, इस व्यक्ति द्वारा एक राष्ट्रीय समाचार चैनल पर 'हत्या, हुकअप या शादी' जैसे दोस्तों के बीच होने वाले ठिठोली के गहन विश्लेषण की ही बात हो रही है. वह भी तब जब देश में महामारी तेजी से फैल रही है, पूरा देश एक अभूतपूर्व आर्थिक मंदी की तरफ जाता दिखाई दे रहा है और चीन सीमा में घुस कर बैठा है. अब तो इस बात का जिक्र करना भी असहज कर देता है कि समाचार चैनल होने के नाते संभवतः यह महानुभाव अपना गला फाड़ने के लिए कुछ समाचारी विषय ही चुन लेते.

आइए आगे बढ़ते हैं, इस सप्ताह, खबरिया चैनलों को एक नया शत्रु मिल गया, एक चरितार्थ किंवदंती जैसी हुक्मबाज़ गर्लफ्रेंड, जिसने कथित तौर पर एक 34 वर्ष के आदमी को उसके अपने ही घर में कैद कर दिया. बस यूं ही हमें झटके से हमें बताया गया की सुशांत की मौत के लिए बॉलीवुड के गैंग, कैंप और माफिया नहीं बल्कि उनकी गर्लफ्रेंड जिम्मेदार है. खास तौर पर उसका काला जादू. यह जादू हमेशा काला ही क्यों होता है, कोई सफेद या नीला जादू भी है क्या? पिछले हफ्ते तक हमें बताया जा रहा था कि सुशांत कितने बुद्धिमान व्यक्ति थे जिन्हें खास तौर पर विज्ञान और खगोलशास्त्र बहुत पसंद था. कैसे वो अंतरिक्ष भौतिकी, विभिन्न दार्शनिकों और जाने-माने विचारकों की किताबें पढ़ते थे. और आज अचानक से हम यह बताया जा रहा है कि सुशांत इतने अपरिपक्व व्यक्ति थे कि वह केवल अपनी गर्लफ्रेंड के हुक्म के गुलाम थे. इसकी वजह से वो भूत प्रेतों में विश्वास करने लगे और मानसिक अवसाद के शिकार हो गए.

यह बात ठीक है कि सुशांत के पिता ने एफआईआर दर्ज कराई है जिसमें उन्होंने रिया चक्रवर्ती के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं. परंतु अभी यह केवल आरोप हैं. इसके साथ ही सुशांत के एक दोस्त का यह बयान भी आया है कि उसके ऊपर अभिनेता के घरवालों की तरफ से रिया चक्रवर्ती के खिलाफ अपना बयान देने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. .ह सब मिलकर इस पूरी परिस्थिति को और ज्यादा जटिल बना देता है. अभी केवल इतना ही स्पष्ट है कि यह मामला जितना दिख रहा है उससे कहीं ज्यादा चीजें नेपथ्य में हैं.

रिया चक्रवर्ती ने अपना एक वीडियो बयान जारी कर कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया उन्हें अपमानित और कटघरे में खड़ा कर रहा है. चाहे आप इन आरोपों के प्रति कुछ भी विचार रखते हों परंतु इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि रिया के लिए बेहद डरावनी स्थितियां हैं. कल्पना कीजिए के देश के प्राइम टाइम समाचार चैनलों पर आपको एक खलनायिका की तरह प्रस्तुत किया जा रहा है जिसने एक आदमी को बहला-फुसलाकर, अपने प्रेम जाल में फंसाया और फिर उसे 'मानसिक अवसाद से ग्रस्त कर दिया'- इस बात का मतलब ईश्वर जाने.

कल्पना कीजिए कि आपका चेहरा इस प्रकार की किसी खबर में लगा दिया जाय.

subscription-appeal-image

Support Independent Media

The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.

Contribute
imageby :

सीएनएन न्यूज़18 चैनल पर आनंद नरसिंहन, जो टाइम्स नाउ के दिनों से अर्नब के साथी हैं और टीवी पर उन्हीं का किरदार थोड़े हल्के तरीके से निभाते हैं, ने रिया चक्रवर्ती का एक पुराना वीडियो चलाया जिसमें वह दोस्तों के बीच खेल-खेल में अभिनय कर रही हैं.

आनंद नरसिंहन ने इस विडियो की कुछ इस प्रकार से व्याख्या की, "उन्हें (रिया चक्रवर्ती) यह डींग मारते हुए सुना जा सकता है कि वह अपने बॉयफ्रेंड को बड़े आराम से नियंत्रित कर सकती है, वे खुद को असली डॉन बताती हैं और अपने बॉयफ्रेंड को अपना एक छोटा-मोटा गुंडा… यह उनके ही शब्द हैं." वह कहते हैं कि वीडियो भले ही दोस्तों के बीच ठिठोली के लिए किया गया अभिनय हो, पर जो भी है, इसने बहुत सारे लोगों को अचंभित किया."

यह सनसनीखेज खबर इस उच्चस्तरीय ग्राफिक के साथ चलाई गई.

imageby :

रिया चक्रवर्ती को अपना बयान जारी करना पड़ा कि वह वीडियो सही में एक मजाकिया अभिनय ही था.

आज तक की ओर देखें तो प्रस्तोता अंजना ओम कश्यप ने सुशांत पर एक के बाद एक तीन बहसें रखीं. हेडलाइन ही आपको विमर्श का स्तर बता देंगी: (अ)पवित्र रिश्ता, सुशांत का प्यार, रिया का हथियार, दिल बेचारा, गैंग्स का मारा.

यह स्पष्ट है कि आखरी शीर्षक आज तक के गर्लफ्रेंड वाले एंगल पर केंद्रित होने से पहले का है. अंजना पूछती हैं, "अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सुशांत के प्यार को रिया ने हथियार बना लिया?" अंजना आगे कहती हैं, "रिया चक्रवर्ती का वह कैसा जाल था कि सुशांत की जिंदगी उसमें दम घुटने से सांस नहीं ले पाई?" यह समाचार कार्यक्रम एक महिला के नेतृत्व में हो रहा है और तब भी आप देख सकते हैं कि इस कार्यक्रम में सबसे घटिया स्तर का 'गर्लफ्रेंड ने वश में कर लिया' जैसा कथानक चल रहा है.

टीवी पर होने वाली इन बहसों ने मानसिक रोगों के विषय से जुड़े सामाजिक भेदभाव को दूर करने के जागरुक प्रयासों को कितना नुकसान पहुंचाया है, यह इस मीडिया परिवेश की एक अलग कहानी है. लगभग सभी चैनलों पर सुशांत के दोस्त और उनकी पुरानी गर्लफ्रेंड हमें बता रही है कि वह कितने खुशमिजाज व्यक्ति थे, कमजोर नहीं थे और वह किस प्रकार अपने कैरियर और शरीर सौष्ठव पर केंद्रित थे और कैसे उन्हें कोई मानसिक परेशानी तो हो ही नहीं सकती. अंकिता लोखंडे रिपब्लिक टीवी पर कहती हैं कि वह नहीं चाहतीं कि लोग सुशांत को एक उदास या मानसिक अवसाद से ग्रस्त व्यक्ति की तरह याद रखें और वह हम सबके लिए एक प्रेरणा का स्रोत थे.

सुनने में यह सब ठीक-ठाक ही लगता है पर मानसिक अवसाद के बारे में एक बात याद रखनी चाहिए यह कमजोरी का लक्षण नहीं है. 2017 में लांसेट जर्नल में छपे एक शोध के अनुसार 19 करोड़ से अधिक भारतीय अलग-अलग प्रकार के मानसिक रोगों के मरीज हैं, जिनमें से 4.57 करोड़ किसी न किसी प्रकार के मानसिक अवसाद से जुड़े हैं. यह परेशानी किसी को भी हो सकती है उन्हें भी जो अपने कार्यक्षेत्र में चोटी पर हैं जैसा कि हम दीपिका पादुकोण के उदाहरण से जानते हैं.

हंसी तब आती है जब आप सुशांत सिंह राजपूत को एक स्वस्थ मानसिकता वाला व्यक्ति साबित करने की दौड़ में यह देखते हैं कि यह वही चैनल हैं, जो मृत्यु के कुछ ही दिनों बाद ही उनके व्यक्तिगत थेरेपी सत्रों को सार्वजनिक कर सुशांत को बाइपोलर और अवसादग्रस्त घोषित कर चुके हैं. सुशांत को अवसादग्रस्त क्यों घोषित किया यह चिंतित होने का स्वांग करके पूछते हुए हमारे चैनलों के एंकर, सच में बड़े प्यारे लगते हैं.

इस सबके बीच रिपब्लिक टीवी के मदारी को अपने आप से काफी खुश होना चाहिए. 20 जुलाई से अर्नब ने अपना ध्यान सुशांत सिंह राजपूत के केस पर लगाया. वह अब तक 15 कार्यक्रम इस विषय पर कर चुके हैं और हर बार उनके कार्यक्रम में बावलेपन की मात्रा शनै: शनै: बढ़ती रही. उनके तथाकथित पत्रकार, हालांकि उन्हें पत्रकार कहा भी जा सकता है या नहीं यह भी एक प्रश्न है, में से एक ने सुशांत के फिटनेस ट्रेनर की चुपके से रिकॉर्डिंग की. रिकॉर्डिंग में आप साफ़ सुन सकते हैं की तथाकथित पत्रकार अपने सूत्र को साफ झूठ कह रही हैं कि बात ऑफ द रिकॉर्ड है. एक धमाकेदार ख़बर की तरह लीपापोती गई यह बातचीत ट्रेनर के मन में 'सुशांत के साथ क्या गड़बड़ हुई होगी' इसे लेकर विचारों के अलावा और कुछ भी नहीं. एक जगह पर आप तथाकथित पत्रकार को पूछते हुए सुन सकते हैं, "क्या वो करण जौहर है? डिप्रेशन? स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत?", और हंसते हुए एक जगह यह कहना कि अब सुशांत से जुड़ी हुई तरह-तरह की चीजें बाहर आ रही हैं.

इसी बीच स्टूडियो में बैठे हुए अर्नब ने सलाह दी कि इस मामले में मुंबई पुलिस को भी शक के दायरे में रखना चाहिए. जब से मुंबई पुलिस ने अर्नब गोस्वामी से पालघर में हुई हत्या संबंधी प्रोग्राम पर पूछताछ शुरू की है तब से उन्होंने मुंबई पुलिस के खिलाफ अपने घोड़े खोल रखे हैं. सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु ने उन्हें एक उपयुक्त हथियार दिया है जिसे वह पुलिस और महाराष्ट्र की शिवसेना एनसीपी कांग्रेस सरकार के खिलाफ‌ प्रयोग कर सकते हैं.

रिपब्लिक भारत पर वो अपने मंसूबे साफ बताते हैं, "महाराष्ट्र पुलिस, महाराष्ट्र की सरकार, सोनिया-सेना की सरकार और मूवी माफिया सुशांत की मौत को आत्महत्या साबित करने में लगे हुए हैं." अर्नब वही कर रहे हैं जो हमेशा करते हैं बस इस बार उनके साथ कॉन्सपिरेसी थियरी के पितामह सुब्रमण्यम स्वामी भी हैं. दूसरी तरफ भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र सरकार पर दबाव डाल रहे हैं. पर बाकी चैनलों के पास इस तरह के कार्यक्रमों के लिए क्या बहाना है?

यह सच है कि इस चलन के प्रणेता अर्णब गोस्वामी ही हैं पर बाकी चैनल भी इसी लकीर पर बेतहाशा दौड़ रहे हैं.

एक मामला जो महाराष्ट्र और बिहार पुलिस के जांच का क्षेत्र था, दर्शकों की संख्या बढ़ाने के लिए एक वीभत्स वाकयुद्ध बन गया है. यह उल्टी दौड़, दर्शकों को खबर देने की बजाय लोगों से जुड़ी व्यक्तिगत और अश्लील बातें बताने तक सिमट गई है. हमेशा की तरह खबरें हार गई हैं भले ही टीआरपी रेटिंग जीत गई हो.

एक सच यह भी है कि भारत की नई शिक्षा नीति पर हुए विमर्शों को आप अपनी उंगलियों पर गिन सकते हैं. उंगलियां ज्यादा हो जाएंगी, बहस कम पड़ जाएगी.

Also see
article imageयूपी का रावणराज और सुशांत सिंह की आत्मा से ख़बरिया चैनलों का सीधा संपर्क
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like