चीन को विलेन बताते हुए टीवी-9 ने श्रीलंका से ग्राउंड रिपोर्ट की थी. जिस पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
इस पूरे मामले पर हमने टीवी-9 का पक्ष भी जानने की कोशिश की. टीवी-9 के संपादक संत प्रसाद राय को फोन किया, लेकिन उन्होंने व्यस्तता बताते हुए फोन काट दिया. हमने उन्हें और टीवी-9 के सीईओ बरुण दास को कुछ सवाल मेल पर भेजे हैं. लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया है. जवाब आने पर इस रिपोर्ट में जोड़ दिया जाएगा.
रिपोर्ट के लिए दो दिन तक यह शूट चलता रहा
टीवी-9 की श्रीलंका गई टीम के एक सदस्य नाम नहीं छापने की शर्त पर 500 चेकपोस्ट और 1000 स्नाइपर के सवाल पर कहते हैं, “हमारी टीम का टैक्सी ड्राइवर श्रीलंका की बहुत पुरानी कैब सर्विस का कर्मचारी था. करीब 25-30 साल पुराना ड्राइवर. वो रास्ते में पड़ने वाली हर चेकपोस्ट पर बात करता था. उसने हमारे सहकर्मियों को बताया था कि अगर कोई पूछे तो कहना कि कोलंबो में कर्फ्यू लगा हुआ है इसलिए हम इधर घूमने आ गए हैं. हम टूरिस्ट हैं.”
वो कहते हैं, “हम आहत हैं कि जान पर खेलकर हमारे सहकर्मियों ने यह रिपोर्ट की है, और उनके बारे में ऐसा कहा जा रहा है.”
वहीं एक अन्य संस्थान के रिपोर्टर जो भारत से श्रीलंका कवरेज के लिए गए थे, अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, ‘‘हर चीज को सनसनीखेज बनाकर दिखाया गया. टीवी-9 अकेले ऐसा नहीं कर रहा है. अन्य दूसरे चैनल भी ऐसा ही कर रहे हैं. टीवी 9 की रिपोर्ट पूरी तरह नाटकीय है. उसमें जो दावे किए जा रहे थे वह भी रिपोर्ट में कुछ साबित नहीं कर पा रहे थे. वह बहुत फनी था.’’
वे आगे कहते हैं, ‘‘चीन, श्रीलंका में अपनी पैठ बना रहा है और यह भारत के लिए भी खतरा है. यह सच्चाई है. लेकिन तिल का ताड़ और राई को पहाड़ बनाकर ख़बर को पेश करना गलत है.’’
हंबनटोटा बंदरगाह
चीन और श्रीलंका में 2017 में एक समझौता हुआ था. इसके मुताबिक चीन की सरकारी कंपनियों को 99 साल की लीज पर हंबनटोटा बंदरगाह की 70 फीसदी की हिस्सेदारी दे दी गई. इसके बाद चीन ने इसमें दोबारा निवेश शुरू किया.
बता दें कि हाल ही में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (आईएंडबी) ने टीवी चैनलों के लिए एडवाइजरी जारी की है. मंत्रालय ने जारी चेतावनी में कहा कि सैटेलाइट टीवी चैनलों ने घटनाओं के कवरेज में अप्रमाणिक, भ्रामक, सनसनीखेज तथा सामाजिक रूप से अस्वीकार्य भाषा एवं टिप्पणियों का इस्तेमाल किया है. यह कवरेज मानहानिकारक और सांप्रदायिकता को भड़काने वाला है.
यूक्रेन और रूस युद्ध को लेकर की गई रिपोर्टिंग पर मंत्रालय ने कहा कि इन चैनलों ने निंदनीय सुर्खियां चलाई है, पत्रकारों ने मनगढ़ंत दावे किए और दर्शकों को उकसाने के लिए बढ़ा-चढ़ाकर खबरों को प्रस्तुत किया. यह दर्शकों पर नकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालते हैं और बड़े पैमाने पर शांति भंग कर सकते हैं.