दिल्ली में सीएनजी की कीमतें: ‘थाली में दाल होती है तो सब्जी नहीं, सब्जी होती है तो दाल नहीं’

प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले राजेंद्र सोनी का जोर सीएनजी की कीमतों में कमी करने के बजाय दिल्ली सरकार से सब्सिडी लेने पर क्यों है?

WrittenBy:बसंत कुमार
Date:
Article image

क्या आप केंद्र सरकार से भी कोई डिमांड कर रहे हैं. इसपर सोनी कहते हैं, ‘‘हमारे लिए कोई सरकार सगी नहीं है. हम दोनों का विरोध कर रहे हैं. आरएसएस से हमारा संगठन जुड़ा है लेकिन कभी आरएसएस ने किसी सरकार का विरोध करने से नहीं रोका. हमारे लिए ऑटो चालकों का हित सर्वोपरि है. आज दोनों ही सरकारों की गलत नीतियों के कारण ऑटो रिक्शा वालों का बुरा हाल है. केंद्र सरकार के प्रतिनधियों से जल्द ही मुलाकात कर कीमतों में कमी करने की मांग करेंगे. वहीं कई बार मिलने के लिए समय मांगने पर भी दिल्ली सरकार का कोई नुमांइदा हमसे नहीं मिल रहा है. अगर ऐसा ही रहा तो आंदोलन और तेज होगा. दिल्ली सरकार सब्सिडी दे हमारी बस यही मांग है.’’

बीते दिनों दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने बताया था कि ऑटो-टैक्सी चालकों की दिक्कतों और मांगों पर विचार करने के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया गया है. इसकी सिफारिशों के मुताबिक सरकार कदम उठाएगी.

हालांकि विशेषज्ञों की माने तो सरकार पेट्रोलियम उत्पादों पर इतनी सब्सिडी नहीं देगी. वो भी तब जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उतार चढ़ाव का दौर जारी है. कोरोना के दौर में अर्थव्यस्था कमजोर हुई है. तेलों की कीमत तय करने में अंतरराष्ट्रीय बाजार की भूमिका होती है. अगर वहां कीमतों में वृद्धि हुई तो सरकार को महंगी खरीदारी करनी पड़ेगी. सरकारी आमदनी का बड़ा हिस्सा तंबाकू और पेट्रोलियम पदार्थ से आता है. ऐसे में सरकार उसपर सब्सिडी देने से बचेगी.

विकास रुक गया

सरकार ने कमेटी का गठन कर दिया है. अब कब तक कमेटी अपनी रिपोर्ट देगी और ऑटो चालकों को राहत मिलेगी कह नहीं सकते है. लेकिन लगातार बढ़ती कीमतों की वजह से ऑटो चालकों की जिंदगी बदहाल हो गई है.

बुजुर्ग राकेश, गिल्लू के शरीर की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं, ‘‘आप इनका शरीर देखिए. इनके ही उम्र के किसी अमीर आदमी को देखिए. अंतर साफ दिख जाएगा. महंगाई बढ़ने का नतीजा ये हुआ कि अब दाल बनती है तो सब्जी नहीं और सब्जी बनती है तो दाल नहीं. सरकार राशन देती है लेकिन उसके साथ और भी कुछ लगता है. सरसों का तेल हो या सब्जी, हर रोज कीमत बढ़ रही है.’’

सरकार द्वारा मुफ्त राशन की बात सुन गिल्लू कहते हैं कि राशन महीने का 1200 से 1500 रुपए का मिलता है, और सीएनजी की कीमत दोगुनी कर दी. अब हर महीने सीएनजी का खर्च करीब तीन हजार बढ़ गया है. सिर्फ सीएनजी की कीमत में ही तीन हजार हमसे ले लिए. तो मुफ्त क्या हुआ. जो हमसे ले रहे हैं उसकी मार्केटिंग नहीं करते और जो मुफ्त में दे रहे हैं उसका हल्ला मचा देते हैं.’’

Also see
article imageजहांगीरपुरी: सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम के अतिक्रमण पर लगाई रोक, लेकिन कार्रवाई जारी
article imageक्यों भाजपा और 'आप' से नाराज हैं दिल्ली की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता?
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like