हीटवेव से कैसे बचें? 122 साल में मार्च के महीने में सबसे अधिक तापमान किया गया रिकॉर्ड

हीटवेव यानी लू से समाज के सबसे कमजोर और गरीब लोगों के स्वास्थ्य और रोजगार पर सबसे अधिक असर पड़ रहा है.

WrittenBy:हृदयेश जोशी
Date:
Article image

जलवायु परिवर्तन का असर

आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट कहती है कि दक्षिण एशिया और विशेष रूप से भारत में गर्म दिन और रातों की संख्या बढ़ रही है. आईआईटी गांधीनगर में कार्यरत जल और क्लाइमेट एक्सपर्ट विमल मिश्रा कहते हैं कि अगर आप भारत में जलवायु परिवर्तन के संकेतों को देखना चाहते हैं तो हीटवेव काफी महत्वपूर्ण है. उनके मुताबिक हीटवेव जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं और आने वाले दिनों में इनकी संख्या और तीव्रता बढ़ेगी.

आईपीसीसी रिपोर्ट के लेखकों में से एक चांदनी सिंह, जो इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ह्यूमन सेटलमेंट से भी जुड़ी हैं, के मुताबिक रात के वक्त बढ़ता तापमान महत्वपूर्ण है क्योंकि इंसान दिन में गर्मी झेलने के बाद रात को उसके कुप्रभाव से उबरता है. वैज्ञानिक गणनायें और अनुमान बताते हैं कि बढ़ते तापमान और नमी का मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा और जिन लोगों को पहले से बीमारियां हैं उनकी जान जाने का अधिक खतरा होगा. विशेषरूप से नवजात और बुज़ुर्ग लोगों को.

चांदनी सिंह कहती हैं, “यह समझना महत्वपूर्ण है कि किसी एक शहर में हीटवेव का असर समान रूप से नहीं दिखता है. जिन लोगों के पास कूलिंग के साधन नहीं हैं या जिन्हें काम के लिए बाहर जाना है– जैसे निर्माण क्षेत्र में लगे मजदूर, गली-मोहल्लों में घूमने वाले वेंडर– उन्हें खतरा अधिक है.”

रिसर्च में पाया गया है कि हीटवेव से निपटने में असमानता एक बाधा है. मिसाल के तौर पर वातावरण को ठंडा करने के लिए पेड़ वहीं लगाए जा सकते हैं जहां खुली जगह और संसाधन हों और यह अमीर इलाकों में अधिक होता है. इस कारण समस्या का हल ढूंढते वक्त सामाजिक-आर्थिक पहलू भी काफी अहम हो जाता है.

(साभार- mongabay हिंदी)

Also see
article imageकॉप-26: भारत में 25 गुना तक बढ़ जाएगा लू का कहर!
article imageहैरत में हैं वैज्ञानिक, समय से पहले आई यह गर्मी बहुत महंगी पड़ने वाली है!

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like