दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा देकर सुदर्शन न्यूज़ के संपादक सुरेश चह्वाणके के भाषण को क्लीनचिट दी और याचिकाकर्ताओं की नीयत पर सवाल उठाया है.
दक्षिण पूर्वी दिल्ली की पुलिस उपायुक्त ईशा पांडे ने हलफनामे में बताया कि दिल्ली की घटना के वीडियो क्लिप में किसी विशेष समुदाय के खिलाफ कोई बयान नहीं है. इसलिए, जांच के बाद और कथित वीडियो क्लिप के मूल्यांकन के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि कथित भाषण में किसी विशेष समुदाय के खिलाफ हेट स्पीच नहीं किया गया. इसलिए सभी शिकायतों को बंद कर दिया गया है.
पुलिस ने कहा कि भाषणों में ऐसे शब्दों का कोई उपयोग नहीं है जिसका अर्थ या व्याख्या की जाए कि ये पूरे मुस्लिम समुदाय के नरसंहार के लिए खुला आह्वान है.
दिल्ली पुलिस ने न सिर्फ सुरेश चह्वाणके को क्लीनचिट दे दी बल्कि, याचिकाकर्ताओं पर भी सवाल उठाए और कहा कि वह साफ मकसद से नहीं आए. पुलिस ने कहा कि, हैरानी की बात है कि याचिकाकर्ताओं ने पुलिस में शिकायत नहीं दी. वो सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे जो पहले ही केसों के बोझ में हैं.
दिल्ली पुलिस द्वारा दाखिल हलफनामे पर याचिकाकर्ता पत्रकार कुर्बान अली न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, “दिल्ली पुलिस यह कैसे कह सकती है कि कुछ हुआ ही नहीं. या लोग उसके पास पहुंचे ही नहीं. जबकि हेट स्पीच को लेकर केस भी दर्ज है. पुलिस ने कहा की हम (याचिकाकर्ता) झूठ बोल रहे हैं जबकि वह खुद ही झूठ बोल रही हैं.”
वह आगे कहते हैं, “हमने भी दिल्ली पुलिस के हलफमाने पर अपना जवाब दाखिल कर दिया है. साथ ही पूरे भाषण का वीडियो और उसका ट्रांसक्राइब भी करके कोर्ट में दाखिल किया है, अब कोर्ट को इस पर आगे निर्णय लेना है.”
कोर्ट में दाखिल हलफनामे को लेकर न्यूज़लॉन्ड्री ने दक्षिण पूर्वी दिल्ली की डीसीपी ईशा पांडे को फोन किया. उन्होंने सवाल सुनने के बाद हमारा फोन काट दिया.
वहीं दिल्ली पुलिस के पीआरओ अनिल मित्तल ने कहा, “मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. अगर कोई जानकारी होगी तो आपके साथ साझा करेंगे.”
बता दें कि, दाखिल याचिका में कहा गया है कि अलग-अलग जगह हुए धर्म संसद केवल हेट स्पीच नहीं बल्कि पूरे समुदाय की हत्या के लिए एक खुले आह्वान के समान था. हेट स्पीच ने लाखों मुसलिम नागरिकों के जीवन को खतरे में डाल दिया है. याचिका में हरिद्वार, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में हुए धर्म संसद का जिक्र किया गया. जिसमें दिल्ली में हुए हिंदू युवा वाहिनी के कार्यक्रम की भी जांच की मांग की गई. याचिका में केंद्रीय गृह मंत्रालय, दिल्ली पुलिस कमिश्नर और उत्तराखंड के डीजीपी को पक्षकार बनाया गया है.