दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
अतुल चौरसिया इस बार टिप्पणी में भगवाधारियों का उत्पात और टिप्पणी के 100 एपिसोड पूरा होने का जश्न साथ-साथ. पूरे देश में सर्कस चल रहा था. भगवान राम के जन्मदिन के मौके पर सांप्रदायिक उन्माद की बेमतलब बहस खड़ी की गई. इन बहसों में बेमतलब बहुसंख्यकों की आस्था आहत हुई. अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया. इसी के इर्द-गिर्द इस हफ्ते का धृतराष्ट्र-संजय संवाद.
भगवाधारियों के उत्पात पर इस हफ्ते विशेष चर्चा कुपित ब्रह्मचर्य की. कलियुग में भगवाधारी, ब्रह्मचारी धर्म, मोक्ष, आध्यात्म को त्याग कर ब्रह्मचर्य की एक नई अवस्था का प्रयोग कर रहे हैं, इसे कुपित ब्रह्मचर्य कहते हैं.
यह टिप्पणी का 100वां अंक है. इस मौके पर हमारे तमाम प्रशंसकों ने अपनी बधाइयां भेजी हैं. सबके संदेशों को शामिल करना संभव नहीं हो सका, इसलिए बुरा न माने. तो इस एपिसोड में देखिए हमारा विशेष सेगमेंट ‘टीका-टिप्पणी’.
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