जल्दी बंद करें जीवाश्म ईंधन का उपयोग, नहीं तो होगा विनाश: आईपीसीसी

विश्व अभी भी अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जीवाश्म ईंधन (कोयला, गैस और तेल) पर बहुत अधिक निर्भर है, जो कार्बन उत्सर्जन का प्रमुख कारण है.

WrittenBy:हृदयेश जोशी
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जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने और साफ ऊर्जा की और बढ़ने की की जरूरत है

विश्व अभी भी अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जीवाश्म ईंधन (कोयला, गैस और तेल) पर बहुत अधिक निर्भर है, जो कार्बन उत्सर्जन का प्रमुख कारण है. आईपीसीसी के अनुसार, वैश्विक ऊष्मता को सीमित करने के लिए ऊर्जा क्षेत्र में बड़े बदलाव की आवश्यकता होगी, जैसे जीवाश्म ईंधन के उपयोग में भारी कमी, व्यापक विद्युतीकरण, बेहतर ऊर्जा दक्षता और वैकल्पिक ईंधन (जैसे हाइड्रोजन) का उपयोग.

"हमारी जीवनशैली और व्यवहार में बदलाव लाने के लिए सही नीतियां, बुनियादी ढांचा और तकनीक अपनाने से 2050 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 40-70 प्रतिशत की कमी की जा सकती है. यह महत्वपूर्ण अप्रयुक्त क्षमता प्रदान करता है." आईपीसीसी वर्किंग ग्रुप III की को-चेयर प्रियदर्शिनी शुक्ला ने कहा.

आईपीसीसी के अनुसार, 2010 के बाद से सौर और पवन ऊर्जा, और बैटरी की लागत में 85 प्रतिशत तक की निरंतर कमी आई है. इसमें कहा गया है कि उद्योग में उत्सर्जन को कम करने में सामग्रियों का अधिक कुशलता से उपयोग करना होगा, उत्पादों का पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण करना होगा और कचरे को कम करना होगा. आईपीसीसी की रिपोर्ट जारी होने के बाद कार्यकर्ताओं और नीति सलाहकारों ने चेतावनी दी है कि साफ ऊर्जा की ओर जाने में थोड़ी भी देरी विनाशकारी सिद्ध होगी.

"यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि हम अब जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन और फंसी हुई संपत्तियों के साथ एक खतरनाक स्थिति का सामना कर रहे हैं जो हमारी अर्थव्यवस्था और समाज को और अस्थिर कर देगा. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सरकारों और कंपनियों ने तेल, गैस और कोयला परियोजनाओं का लापरवाही से विस्तार करना जारी रखा. एक नई वैश्विक जीवाश्म ईंधन संधि देशों को इस जोखिम का प्रबंधन करने में मदद कर सकती है और उत्पादन को इस तरह से नियंत्रित कर सकती है जो इस वैश्विक संकट से निपटने के लिए आवश्यक पैमाने पर तेज और निष्पक्ष हो. आप गैस से आग नहीं बुझा सकते और हमारे ग्रह पर सचमुच आग लगी हुई है," जीवाश्म ईंधन अप्रसार संधि पहल के अध्यक्ष और स्टैंड.अर्थ अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम के निदेशक त्ज़ेपोरा बर्मन ने कहा.

वित्त कहां है?

विश्व को साफ ऊर्जा पथ पर ले जाने में जलवायु वित्त सबसे बड़ी समस्याओं में से एक सिद्ध हुआ है. अंतरिक्ष में अधिकांश कार्बन जमा करने के लिए जिम्मेदार अमीर देशों ने 2015 में हरित जलवायु कोष स्थापित करने का वादा किया था, लेकिन यह भी अधूरा ही रह गया. अधिकांश कमजोर राष्ट्र अभी भी अनुकूलन और शमन आवश्यकताओं के लिए फंड का उपयोग करने में असमर्थ हैं.

आईपीसीसी की रिपोर्ट के अनुसार, “जबकि वित्तीय प्रवाह 2030 तक तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस (3.6 डिग्री फारेनहाइट) से नीचे रखने के लिए आवश्यक स्तरों की तुलना में तीन से छह गुना कम है, इस कमी को पूरा करने के लिए पर्याप्त वैश्विक पूंजी और धन उपलब्ध है.” यह आवश्यक है की 'सरकारें और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस ओर स्पष्ट संकेत' दें और 'पब्लिक सेक्टर फाइनेंस और नीति' में एक बेहतर तारतम्य हो.

स्थिरता कुंजी है

संयुक्त राष्ट्र द्वारा स्थापित 17 सतत विकास लक्ष्य हैं जिनमें 'सस्ती और साफ ऊर्जा' और 'जलवायु कार्रवाई' शामिल हैं. यह लक्ष्य देशों को उच्च आर्थिक विकास के पथ पर ले जाते हुए समान अवसरों के साथ एक समान विश्व की आवश्यकता पर बल देते हैं. आईपीसीसी के अनुसार जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और अनुकूल बनाने में त्वरित और न्यायसंगत जलवायु कार्रवाई सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण है.

आईपीसीसी ने कहा है, “उद्योग में शमन पर्यावरणीय प्रभावों को कम कर सकता है और रोजगार और व्यापार के अवसरों को बढ़ा सकता है. नवीकरणीय ऊर्जा के साथ विद्युतीकरण और सार्वजनिक परिवहन में बदलाव से स्वास्थ्य, रोजगार और समानता में वृद्धि हो सकती है.”

यह बहस का विषय रहा है कि साफ ऊर्जा में परिवर्तन से गरीबों का रोजगार नहीं छिनना चाहिए- जैसे वह लोग जो कोयला खदानों या ताप विद्युत संयंत्रों में कार्यरत हैं.

आईपीसीसी वर्किंग ग्रुप III के सह-अध्यक्ष जिम स्केआ ने कहा, "जलवायु परिवर्तन एक सदी से अधिक की अनवीकरणीय ऊर्जा और भूमि उपयोग, जीवन शैली और खपत और उत्पादन के पैटर्न का परिणाम है. यह रिपोर्ट दर्शाती है कि अभी किए गए उपायों से हम किस तरह एक निष्पक्ष, अधिक सतत विश्व की ओर बढ़ सकते हैं.”

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