दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
इस हफ्ते टिप्पणी में धृतराष्ट्र संजय संवाद की वापसी. दरबार का तालमेल बिगड़ा हुआ था. दक्षिण के सूबे में नया मंच सज गया था. कभी हिजाब, कभी हलाल, कभी अजान. आर्यावर्त चुनावी भट्ठी में बदल गया था. हर दिन इसे सुलगाए रखने के लिए कोई न कोई मुद्दा इस भट्ठी में झोंका जा रहा था. संजय इन तमाम खबरों का लेखा-जोखा लेकर दरबार में आए थे.
इसी दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेता तेजस्वी सूर्या और उनके हिंसक समर्थकों ने हमला बोल दिया. आमतौर पर राई को भाजपा के पक्ष में हिमालय बनाने की महारत हासिल कर चुके दरबारी चैनलों ने इस घटना को प्राइम टाइम में सिरे से गायब कर दिया.
ले-देकर टाइम्स नाउ नवभारत पर 10 बजे का एक शो दिखा जहां भाजपा के तेजस्वी सूर्या ने विस्तार से अपनी बात रखी. यहां भी पीड़क को मंच मिला, पीड़ित का पक्ष गायब रहा. इस घटना के बरक्स आप कुछ महीने पहले की घटना याद कीजिए. पंजाब के ट्रैफिक जाम में फंस गए प्रधानमंत्री मोदीजी के लिए हुड़कचुल्लुओं ने क्या-क्या करतब दिखाए थे. इसके अलावा मनोज मुंतशिर पर एक मुख्तसर सी टिप्पणी.
न्यूज़लॉन्ड्री में हम बहुत मेहनत और जिम्मेदारी से टिप्पणी जैसे शो करते हैं. इसके बावजूद अक्सर हम पाते हैं कि बहुत मेहनत और लगन से तैयार हुए हमारे शो बहुत कम लोगों तक पहुंचते हैं. इस काम में आप हमारी मदद कर सकते हैं. ज्यादा से ज्यादा लोगों तक टिप्पणी को शेयर करके, इसे लाइक करके, नए दर्शकों को जोड़कर आप हमारी मदद कर सकते हैं. पत्रकारिता के इस बुरे समय में आप सब एक अच्छी पहल का कंधा बनिए. संभव हो तो न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब कीजिए. इससे वो मीडिया खड़ा होगा जो सरकार से सवाल कर सकेगा.
'रोजगार देने के बजाय, रोजगार छीन रहे हैं ये लोग': बिफरे मीट व्यवसाई
पत्रकार का दावा- हरियाणा में मीडिया को मैनेज करने के लिए 'आप' कर रही पत्रकारों से संपर्क