देवेंद्र फडणवीस ने आरोप लगाया कि एमवीए गठबंधन भाजपा नेताओं को झूठे मामलों में फंसाने के लिए सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल कर रहा है.
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“अजीत पवार ने समर्थन नहीं किया. लेकिन बड़े साहब सब कुछ देख रहे हैं. क्या कोई अच्छे अधिकारी हैं? उन्होंने मुझसे चार-पांच अच्छे अधिकारियों के नाम बताने को कहा है.”
माना जा रहा है कि 'बड़े साहब' शरद पवार के लिए प्रयोग किया गया है.
इस बातचीत से पता चलता है कि पवार महाजन के खिलाफ मामले में सीधे तौर पर शामिल नहीं थे, लेकिन उन्हें पता था कि भाजपा नेताओं के खिलाफ क्या साजिश रची जा रही है.
एक अन्य बातचीत से पता चलता है कि पवार ने भाजपा की संपत्ति के बारे में सवाल उठाने की साजिश रची. चव्हाण का यह भी दावा है कि पुलिस आयुक्त की नियुक्ति फडणवीस के खिलाफ एक मामले से संबंधित थी जिसमें उन पर सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था.
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“पवार साहब तैयार हैं. (मुंबई पुलिस कमिश्नर) संजय पांडे जून में सेवानिवृत्त हो रहे हैं. अब वे मुंबई के पुलिस कमिश्नर बन गए हैं. उन्होंने कहा है कि वह मामला दर्ज कराएंगे. इसी वजह से उन्हें सीपी बनाया गया है. उन्होंने कहा कि वह मामला दर्ज करने को कहेंगे. जयंत पाटिल साहब बात करेंगे. आप प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में शिकायत दर्ज करिए.
“फिर हर दो दिनों के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करें जिसमें कहिए कि ईडी ने कोई कार्रवाई नहीं की है. आप आरोप लगाइए. फिर हम कोर्ट जाएंगे... शिकायत दर्ज कराएं कि बीजेपी को 10 करोड़ रुपए का चंदा मिला है. इस एक ही शिकायत से नवाब मलिक पर चल रही जांच बंद हो जाएगी.”
मलिक महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक विकास, औकाफ, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री हैं.
गोटे ने 3 मार्च को ईडी के पास एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि जब फडणवीस महाराष्ट्र में भाजपा सरकार का नेतृत्व कर रहे थे, तब अंडरवर्ल्ड से संबंध रखने वाली एक कंपनी से बीजेपी को 20 करोड़ रुपए मिले थे.
एक अन्य वीडियो में, सरकारी वकील चव्हाण खुद को "एनसीपी का वकील" बताते हैं.
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“मैं खडसे साहब को पवार साहब के पास ले जाता हूं. मेरे और जयंत पाटिल जैसे लोग अजित पवार साहब के पास जाते हैं. मैं खुद नहीं आऊंगा. क्योंकि अगर मैं आता हूं तो उन्हें इस बात का सबूत मिल जाएगा कि मैं एनसीपी का वकील हूं."
पाटिल के साथ एक बातचीत में चव्हाण ने चिंता व्यक्त की कि महाजन यह पता लगा सकते हैं कि पवार चव्हाण को निर्देश दे रहे हैं.
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"यदि वह पूछते हैं कि आपका अपहरण किस दिन किया गया था, तो कहिएगा पहले सप्ताह में. सही तारीख बताने की जरूरत नहीं है. गिरीश महाजन कुछ हिस्सों को समझ चुके हैं और उन्हें एफआईआर की कॉपी मिल गई है. उन्होंने उसपर स्टे ले लिया है. अब वह यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या वह मुझसे कहीं मिल सकते हैं. मैं या तो सुबह जाऊंगा या देर रात में. अगर मेरी एक भी क्लिप उनके हाथ लग जाए तो वह समझ जाएंगे कि यह सब पवार साहब के इशारे पर हो रहा है."
षड्यंत्र और खुलासे
पेन ड्राइव में बातचीत के कई अंश हैं जिनमें चव्हाण महाजन के मामले पर चर्चा करते हुए छापेमारी और झूठे सबूत पेश करने की बात करते हैं.
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“उन्हें चाकू को जब्त करने से पहले उस पर कुछ खून लगाना चाहिए था. एक चाकू खरीद कर मौके पर रख देना चाहिए था. इसे जब्त करने के लिए और क्या चाहिए? क्या आप जानते हैं कि कितने लोगों ने इस केस के लिए मेरे नाम की सिफारिश की है? दिलीप बोराले, वालसे पाटिल, जयंत पाटिल, जितेंद्र आव्हाड, अर्जुन खोतकर, अनिल देशमुख, रमेश जाधव, गुलाबराव, हसन मुश्रीफ, श्रीनिवास पाटिल -- इन सभी लोगों ने पवार साहब को पत्र दिया था... गिरीश महाजन इस जाल में नहीं फंसेंगे. सीपी (पुलिस आयुक्त) को हटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. डीजी (महानिदेशक) से मिलने जा रहा हूं."
इस रिकॉर्डिंग के समय अमिताभ गुप्ता पुणे के सीपी थे और यह रिपोर्ट लिखे जाने तक उनका तबादला नहीं किया गया है.
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“यह खबर लीक करिए कि अलका पवार और (जलगांव मराठा विद्या प्रसार समाज के) अन्य निदेशकों पर छापेमारी होने जा रही है, और यह कि स्टे हटा दिया दिया गया है और गिरफ्तारियां होने जा रही हैं. इस तरह की खबरों के फैलने से वह मानसिक रूप से प्रभावित होंगे. अगर वीरेंद्र भोइते को गवाह बनाना है तो वकीलों की जरूरत पड़ेगी. अगर ऐसा होता है तो हम मदद करेंगे.
“चैनलों से बात करके उन्हें यह सब दिखाएं. उन्हें गिरीश महाजन की कई आपराधिक गतिविधियों के बारे में बताएं. शिवाजी भोइते को पुरानी तस्वीरें दिखाने के लिए कहिए."
वीरेंद्र भोइते उन 29 आरोपियों में से एक हैं जिनके खिलाफ पाटिल ने पुलिस में शिकायत दर्ज की थी और माना जा रहा है कि वह जलगांव मराठा विद्या प्रसारक समाज के एक प्रतिद्वंद्वी गुट से संबंध रखते हैं.
चव्हाण को यह दावा करते हुए भी सुना जाता है कि देशमुख एक भ्रष्ट गृहमंत्री थे और उन्होंने रिश्वत के रूप में करोड़ों रुपए लिए थे.
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“अनिल देशमुख ने तबादलों से 100 करोड़ रुपए से अधिक की कमाई की है. उन्होंने कम से कम 250 करोड़ रुपए कमाए हैं. ट्रांसफर ही नहीं, पैसे कमाने के और भी तरीके हैं, जैसे कार खरीदना, निर्माण कार्य के टेंडर. उन्होंने दो साल में कम से कम 250 करोड़ रुपए कमाए हैं. आप क्या सोचते हैं? मुंबई में कम से कम 100 बड़े बिल्डर हैं. अगर हर एक 2-3 करोड़ रुपए भी दे देता है तो कलेक्शन 200-300 करोड़ रुपए तक पहुंच जाता है. बिल्डरों के लिए दो करोड़ कोई बड़ी रकम नहीं है. यह पक्का है कि अनिल देशमुख हमारे लिए उपयोगी रहे होते. मैं साहब का आदमी हूं. लेकिन मैं तस्वीरें नहीं रखता. मैं अपने रिश्ते नहीं दिखाता, अपना रुतबा नहीं दिखाता.”
पेन ड्राइव में ऑडियो फाइलें भी हैं, जैसे यह जिसमें चव्हाण ‘बड़े साहब’ के बारे में बात करते हैं.
ऑडियो 3
“बड़े साहब कहते हैं कि अगर आप राजनीति करना चाहते हैं, तो सीपी (पुलिस आयुक्त), सीआईडी (अपराध जांच विभाग), ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) सब आपका होना चाहिए. देशमुख 25 लाख रुपए (रिश्वत) लेकर आए, लेकिन मैंने नहीं लिया. बाद में वह पकड़े गए. 25 लाख रुपए में मैं एक कार खरीद सकता था. वह खुद ही (रिश्वत) दे रहे थे, लेकिन मैंने पैसे नहीं लिए. देखिए कि भाग्य कैसे काम करता है? लेकिन मैं इससे दुखी नहीं हूं (25 लाख रुपए की रिश्वत न लेने से)...”
फडणवीस ने विधानसभा में आरोप लगाया था कि चूंकि चव्हाण एमवीए नेताओं के आदेश पर काम कर रहे थे, इसलिए वह पुलिस अधिकारियों को हर आदेश देने में सक्षम थे. पेन ड्राइव में मौजूद कुछ रिकॉर्डिंग्स से पता चलता है कि चव्हाण महाजन के खिलाफ शिकायत की जांच में हर संभव प्रयास कर रहे थे.
एक बातचीत में चव्हाण सहायक पुलिस आयुक्त सुषमा चव्हाण को कहते हैं की वह पंचनामा और गवाहों को तैयार रखें.
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पंचनामा तैयार रखिए. आदेश 6.30 बजे तक तैयार हो जाना चाहिए.
“जलगांव कलेक्टर कार्यालय और जिला परिषद से पांच पंचों की आवश्यकता होगी. कल रविवार है इसलिए उन लोगों को पहले से ही चुन लीजिए... कुछ कहिए मत क्योंकि मामला संवेदनशील है. बस पुलिस कांस्टेबल को पहचान लीजिए.”
फडणवीस को इससे फायदा होगा?
महाजन के खिलाफ मामला चल रहा है, लेकिन 17 दिसंबर, 2020 को बॉम्बे उच्च न्यायालय ने महाजन और उनके निजी सचिव को अस्थायी राहत देते हुए पुणे पुलिस को महाजन और नाइक के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने से रोकने के आदेश की अवधि को बढ़ा दिया था. महाजन के वकील ने पुलिस में दर्ज शिकायत के समय पर सवाल उठाते हुए पूछा था कि घटना के कथित रूप से होने के वर्षों बाद पुलिस को इसकी सूचना क्यों दी गई. पुणे पुलिस को अपनी प्राथमिकी स्पष्ट करते हुए जवाब दाखिल करने को कहा गया है.
हालांकि पवार ने फडणवीस द्वारा जमा किए गए सबूतों के स्रोत के बारे में वैध सवाल उठाए हैं, अगर यह ऑडियो रिकॉर्डिंग और वीडियो फुटेज प्रामाणिक हैं तो वह सरकारी मशीनरी के चिंताजनक दुरुपयोग की ओर इशारा करते हैं.
12 मार्च को आयोजित एक प्रेस वार्ता में फडणवीस ने कहा कि उनके पास अपने आरोपों के समर्थन में और सबूत हैं, जिन्हें वह केवल सीबीआई के साथ साझा करेंगे. यह स्पष्ट है कि महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता का इरादा इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालने का कतई नहीं है.
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