सुधीर चौधरी के पाखंड और पांच राज्यों के चुनावी नतीजे

दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
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बहुत दिन हो चुके थे जनता को टिप्पणी का इंतजार करते हुए. दरबार लंबे समय से स्थगित चल रहा था. संजय, धृतराष्ट्र से छुट्टी मांग कर महीने भर के लिए जंबुद्वीप की यात्रा पर निकल गए थे. आर्यावर्त के अलग-अलग हिस्सों में चुनाव चल रहा था. चुनाव खत्म हुए, नतीजे सामने आ गए, संजय वापस लौट आए. तब एक बार फिर से दरबार सजा. धृतराष्ट्र ने लंबे समय बाद दर्शन दिया. संजय समेत तमाम दरबारी नहा-धोकर सभा में उपस्थित हुए. फिर चला धृतराष्ट्र-संजय संवाद का एक दृश्य.

बीते डेढ़ महीनों के दौरान हुड़कचुल्लुओं, दरबारियों और घोघाबसंतों ने इतने कारनामें दिखाए कि आपको अहसास ही नहीं हुआ कि टिप्पणी स्थगित है. इसलिए हम भी थोड़े दिन के लिए ग्राउंड रिपोर्टिंग करने निकल गए. करतबों के नज़रिए से देखें तो तिहाड़ शिरोमणि ने बीते एक महीने के दौरान बारंबार अपने समकक्ष एंकर एंकराओं को मात दी. इसलिए हम उनके कुछ पाखंड, कुछ उलटबासियों, कुछ कुकर्मों को विस्तार से आपके सामने रखा है.

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