रूस: ‘युद्ध रोकने’ का बैनर लेकर लाइव कार्यक्रम में पहुंची पत्रकार

रूस की सरकारी मीडिया इस युद्ध को "विशेष सैन्य अभियान" बता रही है और यूक्रेन की छवि इस तरह बना रही है, जैसे उसके उकसावे पर कार्रवाई की गई हो.

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रूस के सरकारी नियंत्रण वाले समाचार चैनल ‘वन’ के लाइव कार्यक्रम में एक पत्रकार ने युद्ध रोकने के पोस्टर के साथ अपना विरोध जाहिर किया. शो की एंकर जब खबर पढ़ रही थीं उसी दौरान पत्रकार युद्ध रोकने का बैनर लेकर खड़ी हो गई. बैनर में लिखा था, “युद्ध नहीं. युद्ध रोको. दुष्प्रचार पर भरोसा न करें. ये लोग आपसे झूठ बोल रहे हैं.”

बीबीसी हिंदी की खबर के मुताबिक, पत्रकार एक चैनल की एडिटर हैं. जिनका नाम मरीना ओवस्यानिकोवा है. कार्यक्रम में बैनर लेकर जाने के बाद शो के डायरेक्टर ने प्रोग्राम बीच में ही रोक दिया और टीवी पर रिकॉर्डेड कार्यक्रम चला दिया.

लाइव प्रोग्राम के दौरान विरोध जताने से पहले मरीना ने एक वीडियो रिकॉर्ड किया था. जिसमें उन्होंने यूक्रेन में हो रही घटनाओं को "अपराध" बताते हुए कहा था कि उन्हें क्रेमलिन के प्रोपेगेंडा के लिए काम करने में शर्म आती है.

इससे पहले रूस में एक टीवी चैनल ने लाइव शो के दौरान सामूहिक इस्तीफा दे दिया था. रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किए जाने को लेकर रूसी सेना के खिलाफ लोग टोरंटो, बर्लिन सहित कई और शहरों में विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे और रूसी सेना के खिलाफ आवाज उठाई. मॉस्को में यूक्रेन पर हमले के खिलाफ रविवार को बहुत बड़ा प्रदर्शन किया गया.

वहीं रूस की सरकारी मीडिया इस युद्ध को "विशेष सैन्य अभियान" बता रही है और यूक्रेन की छवि इस तरह बना रही है, जैसे उसके उकसावे पर कार्रवाई की गई हो.

रेडियो स्टेशन इको ऑफ मॉस्को और ऑनलाइन टीवी चैनल कुछ स्वतंत्र मीडिया घरानों ने भी सरकारी दबाव की वजह से प्रसारण-प्रकाशन बंद कर दिया है.

रूस में बीबीसी को भी प्रतिबंधित कर दिया है. इसके अलावा रूस में कई सोशल मीडिया साइटों को भी ब्लॉक कर दिया गया है, जिसकी वजह से रूस में रहने वालों के लिए खबरों के स्रोत भी घट गए हैं.

फेसबुक और ट्विटर भी बीते कुछ दिनों से प्रतिबंधित कर दिए गए हैं. वहीं हाल ही में लाए गए नए रूसी कानून के तहत यूक्रेन पर सैन्य हमले को आक्रमण कहना और किसी तरह की "फर्जी" खबर प्रसारित करना दंडनीय अपराध बना दिया गया है. सरकार ने रूसी हमले को विशेष सैन्य अभियान का नाम दिया है और अन्य मीडिया को भी यह नाम इस्तेमाल करने के आदेश दिए गए हैं. ऐसा ना करने पर 15 साल तक की सजा का प्रावधान है.

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