यूपी चुनाव: आवारा पशुओं पर यूपी सरकार ने दिया विरोधाभासी जवाब

आवारा पशु किसानों के लिए दिक्कत बने हुए हैं लेकिन पिछले तीन साल में यूपी सरकार ने इस विषय पर विधानसभा में अपने ही विधायक के सवाल के जवाब में विरोधाभासी उत्तर दिए.

WrittenBy:हृदयेश जोशी
Date:
Article image

किसान की अर्थव्यवस्था पर चोट

तीन साल पहले डाउन टू अर्थ मैग्ज़ीन में किए गए एक आंकलन के मुताबिक, साल 2019 की शुरुआत में उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं की संख्या 11 लाख से अधिक थी. देश भर में छुट्टे पशुओं को पालने का सालाना खर्च 11,000 करोड़ से अधिक है. गोवंश की हत्या पर पाबंदी और गौरक्षकों के डर से आवारा पशुओं की समस्या तेजी से बढ़ी है, और किसानों के लिए दूध न देने वाले पशुओं को पालना भारी पड़ रहा है. इसका खमियाजा उन्हें खेती को हो रहे नुकसान से चुकाना पड़ रहा है.

जहां एक ओर गोवंश हत्या पर रोक के बाद सरकार गौशालाएं बनाने में नाकाम रही है वहीं पशु प्लास्टिक और गंदगी खाते देखे जा सकते हैं

इंडियन एक्सप्रेस में छपी इस रिपोर्ट के हिसाब से, एक बीघा जमीन की घेराबंदी में किसानों को 16,000 रुपए खर्च करने पड़ते हैं. यूपी सरकार गौशाला में रखने के लिए 30 रुपए प्रतिदिन/प्रति जानवर के हिसाब से खर्च दे रही है. आवारा पशुओं के हिसाब से पर्याप्त गौशालाएं न होने के कारण जानवर प्लास्टिक और गंदगी खाते देखे जा सकते हैं.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में भी स्पष्ट लिखा गया है कि जानवरों से होने वाले नुकसान की भरपाई फसल बीमा के तहत कवर नहीं की जाएगी.

imageby :

भाजपा नेताओं में फिक्र

यूपी में पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ते चुनाव में भाजपा के लिए छुट्टा पशुओं की समस्या भी बढ़ रही है. नेताओं को लगता है कि इससे होने वाली समस्या और नाराजगी राजनीतिक रूप से भारी पड़ सकती है. इसीलिए पिछले हफ्ते उन्नाव की अपनी रैली में प्रधानमंत्री ने कहा कि आवारा पशुओं पर नियंत्रण के लिए 10 मार्च के बाद नई नीति लागू होगी और आवारा पशु के गोबर से भी किसान धन कमा सकेंगे.

यहां यह जानना महत्वपूर्ण है कि यूपी में भारतीय जनता पार्टी के 16 पन्नों के घोषणापत्र में कहीं भी आवारा पशुओं से होने वाली समस्या और उसके समाधान का जिक्र नहीं है. स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री की चुनावी घोषणा, राज्य में किसानों के बढ़ते गुस्से को देखते हुए आनन-फानन में की गई है.

आवारा पशुओं से बचाने के लिए किसानों को निगरानी और देखरेख के लिए रात भर जागना पड़ रहा है

मंगलवार को जब ग्रामीणों ने बाराबंकी में मुख्यमंत्री के रैली ग्राउंड में जानवर छोड़े तो आदित्यनाथ को पीएम के इसी बयान को ट्वीट करना पड़ा. उधर केशव प्रसाद मौर्य ने गुरुवार को ट्वीट किया, “गोवंश के गर्दन पर खंजर न चलने देंगे! किसानों का खेत चरने भी न देंगे! गोवंश को भूखे-प्यासे मरने भी न देंगे!

Also see
article imageगोरखपुर: कोविड के समय हुईं 40 से अधिक मौतें चुनाव ड्यूटी से जुड़ी हैं, लेकिन क्या महामारी एक चुनावी मुद्दा है?
article imageयूपी चुनाव 2022: बांदा में सड़क किनारे मरी हुई गायें और लोगों की बदहाल जिंदगी

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like