उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव: धीमी पड़ गई प्रदेश की आर्थिक वृद्धि, रोजगार पर भी डाला गहरा असर

पिछले एक दशक में उत्तर प्रदेश में आर्थिक वृद्धि की गति सुस्त हुई है और अगर राज्य एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ना चाहता है तो यह गति उसके लिए कतई पर्याप्त नहीं है.

WrittenBy:किरण पांडेय
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पिछले एक दशक के दौरान मिले रुझानों से संकेत मिलता है कि राज्य में आर्थिक वृद्धि की गति सुस्त हुई है और अगर राज्य एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ना चाहता है तो यह गति उसके लिए कतई पर्याप्त नहीं है.

समग्र आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण विनिर्माण क्षेत्र का योगदान राज्य में 2013-14 और 2014-15 के बीच और 2016-17 और 2017-18 के बीच 10 फीसदी से ज्यादा घट गया.

आरबीआई द्वारा नवंबर 2021 में प्रकाशित हैंडबुक ऑफ स्टैटिस्टिक्स ऑन इंडियन स्टेट्स के अनुसार, मौजूदा सरकार के कार्यकाल (2017-18 और 2020-21) के दौरान भी राज्य जीएसडीपी में इस क्षेत्र का योगदान 4.2 फीसदी कम हो गया है.

हालांकि 2020-21 के दौरान राज्य में धीमी आर्थिक वृद्धि के लिए कोरोना महामारी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है लेकिन हकीकत यह है कि महामारी आने के पहले यानी 2019-20 में भी राज्य की इस दिशा में गति अपेक्षित मानकों के अनुरूप नहीं थी.

धीमी आर्थिक वृद्धि ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के रोजगार पर भी असर डाला है. आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 2011-12 और 2018-19 के बीच राज्य में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी की दर 4.2 फीसदी अंकों से बढ़कर 6.5 फीसदी अंकों तक पहुंच चुकी थी.

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 2018-19 में देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सूची में इस मामले में राज्य 11वें नंबर पर था.

बेरोजगारी दर आरबीआई का अनुमान, नेशनल सैंपल सर्वे आर्गनाइजेशन, यानी एनएसएसओ के रोजगार और बेरोजगारी सर्वे रिपोर्टों पर, नीति आयोग और पीरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे के आंकड़ों पर आधारित है.

इस हिसाब से पिछले एक दशक को राज्य में ‘रोजगारविहीन वृद्धि’ के तौर पर भी देखा जा सकता है.

मार्च 2022 में चुनी जाने वाली सरकार के लिए बेरोजगारी को देर करने का मुद्दा प्राथमिकताओं में शीर्ष पर होना चाहिए.

देश की 16.96 फीसदी आबादी वाले राज्य की वृद्धि पूरे देश की तरक्की के लिए महत्वूपर्ण है.

देश की सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य, उत्तर प्रदेश, अगर एक अलग स्वतंत्र देश होता तो आबादी के हिसाब से दुनिया में उसका छठा नंबर होता है.

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इस तरह से उत्तर प्रदेश की प्रगति देश ही नहीं, पूरी दुनिया को प्रभावित करती है. अगर इस चुनाव में जीतने वाले राजनीतिक दल और नेता उत्तर प्रदेश, भारत और दुनिया की परवाह करते हैं, तो उन्हें इस राज्य के विकास के रोडमैप को फिर से तैयार करना चाहिए और इसके लिए रणनीतिक रूप से काम करना चाहिए.

(साभार- डाउन टू अर्थ)

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