मुरादाबाद में पड़े ओले बत्तख के अंडे, संतरे और क्रिकेट की गेंद के आकार के थे.
सर जॉन इलियट ने आगे बताया, “अब तक 230 मौतें हो चुकी हैं. मौतों का कुल आंकड़ा 250 तक जा सकता है. ओलों से अधिकांश मौतें उन लोगों की हुईं जो खुले में थे और कहीं छिप नहीं पाए. अकेले रेसकोर्स में 14 शव मिले हैं.” उन्होंने यह भी बताया कि किसी यूरोपियन की मौत नहीं हुई है. पुलिस ने 1600 मवेशियों, भेड़ों और बकरियों की मौत रिपोर्ट की है.
डब्ल्यूएमओ के विश्लेषण के मुताबिक, ओला विशेषज्ञ स्नोडन फ्लोरा ने अपनी पुस्तक हेलस्टॉर्म इन यूनाइटेड स्टेट्स में कहा है कि 30 अप्रैल की घटना में अकेले मुरादाबाद में 230 लोग मारे गए, जबकि 16 मौतें बरेली में हुईं. इससे मौतों का कुल आंकड़ा 246 हो गया. इस आंकड़े का उल्लेख मौसम विज्ञानी सीएफ तालमन ने भी 1931 में प्रकाशित अपनी किताब रेल्म ऑफ द एयर में किया है. उनके अलावा मौसम के जाने-माने इतिहासकार पैट्रिक ह्यूज ने भी वेदरवाइज पत्रिका में इस संख्या का जिक्र किया है.
भारत के बाद चीन में ओलावृष्टि के लिहाज दूसरी बड़ी घटना घटी. चीन के हनान प्रांत में स्थित नानकिंग में 1932 में हुई ओलावृष्टि में 200 लोग मारे गए और हजारों लोग जख्मी हुए.