बीते साल राज्य में हुई हिंसा के संबंध में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पोस्ट पर भेजे गए नोटिस के लिए त्रिपुरा पुलिस को फटकार लगाई है.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक अदालत ने पुलिस को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर लोगों को परेशान करना बंद नहीं किया, तो वह पुलिस अधीक्षक और राज्य के गृह सचिव को संज्ञान लेने के लिए कहेगी.
रिपोर्ट के मुताबिक यह मामला तब सामने आया जब जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की पीठ त्रिपुरा पुलिस के नोटिस के खिलाफ कार्यकर्ता समीउल्लाह शब्बीर खान द्वारा दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 41 ए के तहत पेश होने की मांग की गई थी.
पुलिस को फटकार लगाते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "एक बार जब हमने किसी मुद्दे को कवर करने वाला आदेश पारित कर दिया, तो अदालत के प्रति कुछ सम्मान दिखाते हुए आपको अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी अन्यथा, हम पुलिस अधीक्षक को बुलाएंगे. यदि वह दूसरों को इस प्रकार के नोटिस जारी करके आदेश का पालन करने से बचने की कोशिश कर रहे हैं तो हम गृह सचिव सहित सभी को मौजूद रहने के लिए कहेंगे. इसके अलावा कोई कोई दूसरा रास्ता नहीं है."
आदेश के बाद, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह "इस पर गौर करेंगे" और "सुनिश्चित करेंगे कि आदेशों का ठीक तरह से पालन किया जाए."
रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील शाहरुख आलम ने कहा कि अंतरिम आदेश को मीडिया द्वारा व्यापक रूप से रिपोर्ट किया गया था और इसके बावजूद एसपी द्वारा पेश होने के लिए नोटिस जारी किया गया. अंतरिम आदेश ने ट्विटर पर त्रिपुरा पुलिस के नोटिस पर रोक लगा दी थी, जिसमें खान के ट्वीट, आईपी एड्रेस और फोन नंबर को हटाने की मांग की गई थी.
आलम ने यह भी बताया कि एसपी को शारीरिक रूप से मौजूद रहकर आदेश नहीं दिया गया था. जिसके जवाब में, पीठ ने निर्देश दिया कि धारा 41 ए के आदेश के संबंध में आगे कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.
पीठ ने कहा, "चूंकि याचिकाकर्ता को इस अदालत के 10 जनवरी 2022 के पिछले आदेश से पहले ही संरक्षित किया जा चुका है, इसलिए आगे के आदेश लंबित रहने तक धारा 41 ए के तहत नोटिस के अनुसरण में आगे कोई कदम नहीं उठाया जाएगा."
आलम ने यह भी उल्लेख किया कि इसी तरह के नोटिस दूसरों को भी जारी किए गए थे और अदालत से उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए कहा था क्योंकि उन्होंने भी एक रिट याचिका दायर की थी.
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने आलम को याचिकाओं की डायरी नंबरों के साथ कोर्ट मास्टर को एक ईमेल भेजने के लिए कहा है ताकि एक तत्काल सूची तैयार की जा सके साथ ही राज्य के वकील से कहा, “अपने एसपी को सूचित करें कि इस तरह से लोगों को परेशान न किया जाए. हर किसी को सुप्रीम कोर्ट का चक्कर क्यों लगवाया जा रहा है?"
The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.
ContributeGeneral elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.
Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?