द कश्मीर वाला के संपादक फहद शाह को अक्सर पुलिस ने तलब किया और उनकी पत्रकारिता पर सवाल उठाए.
डिजीपब न्यूज़ इंडिया फाउंडेशन ने "पत्रकारिता के अपराधीकरण को रोकने" की मांग करते हुए, कश्मीर वाला के संस्थापक संपादक फहद शाह और पत्रकार सज्जाद गुल की गिरफ्तारी की निंदा की और कहा कि यह गिरफ्तारी "कश्मीर में पत्रकारों और पत्रकारिता पर व्यापक सरकारी कार्रवाई को दर्शाती है."
ट्विटर पर जारी एक बयान में, डिजिटल समाचार संगठनों के समूह ने रविवार को कहा कि कश्मीर वाला कश्मीर के कुछ स्वतंत्र मीडिया संगठनों में से एक है. समूह ने कहा, "जम्मू-कश्मीर पुलिस पहले भी फहद को डराती आई है. फहद को पहली बार 2017 में हिरासत में लिया गया था और कई बार बंदूक की नोक पर उसे डराया गया. उन्हें अक्सर पुलिस द्वारा बुलाया जाता था और उनकी पत्रकारिता और कश्मीर वाला की कहानियों पर सवाल उठाए जाते थे."
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Contributeबयान में यह भी उल्लेख किया गया कि शाह के आवास को पूर्व में तोड़ दिया गया था और उनके खिलाफ तीन प्राथमिकी दर्ज की गई थीं. उनकी हालिया गिरफ्तारी पर, बयान में कहा गया है कि किसी भी सबूत में ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है जिससे पता चले कि वह किसी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल थे. बयान में आगे कहा गया कि शाह ने अपनी पत्रकारिता जारी रखी थी ताकि वह कहानियों को संतुलित और सरकार के दृष्टिकोण को उद्धृत कर सके.
बयान में कश्मीर में प्रेस की स्वतंत्रता की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए शाह के सहयोगी पत्रकार सज्जाद गुल को पिछले महीने सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत कैद किए जाने का भी हवाला दिया गया. इसमें राज्य के विभिन्न पत्रकारों को निशाना बनाए जाने पर भी टिप्पणी की गई और कहा कि "कई अन्य लोगों पर पुलिस ने छापेमारी की है. उन्होंने कई तरह के आपराधिक मामलों और धमकियों का सामना किया है."
इसके अलावा बयान में यह भी कहा गया है कि पत्रकारिता करना "केंद्र शासित प्रदेश में एक अपराध बन गया है" जिसने कश्मीर और भारतीय लोकतंत्र में पत्रकारिता के भविष्य के लिए खतरा पैदा कर दिया है.
बता दें कि फहद को 4 फरवरी को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में सोशल मीडिया पर "राष्ट्र विरोधी सामग्री अपलोड करने" के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने इसे "आतंकवादी गतिविधियों और अपराधों को बढ़ावा देने की सामग्री" बताया है. विचाराधीन "सामग्री" में कथित तौर पर पुलवामा स्थित परिवार ने दावा किया था कि एक मुठभेड़ में मारा गया उनका बेटा निर्दोष था. इसके बाद मामले को कश्मीर वाला द्वारा कवर कर सोशल मीडिया पर साझा किया गया था.
इससे पहले, कश्मीर वाला के ट्रेनी रिपोर्टर गुल के खिलाफ सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था जो जम्मू की कोट बलवाल जेल में कैद है. गुल को सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था जिसमें परिवार के सदस्य और रिश्तेदार अपने परिजनों की हत्या के बाद भारत विरोधी नारे लगा रहे थे.
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