पीसीआई ने कश्मीर प्रेस क्लब में चल रहे विवाद को लेकर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को लिखा पत्र

कश्मीर प्रेस क्लब में चुनावों को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है.

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प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) ने कश्मीर प्रेस क्लब का प्रशासन द्वारा आवंटित परिसर वापस लिए जाने को लेकर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को पत्र लिखकर उनके दखल की मांग की है.

पत्र में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने मनमाने तरीके से प्रेस क्लब के परिसर का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया और पूरे परिसर को अपने कब्जे में ले लिया, वो भी चुने हुए प्रतिनिधियों को बिना सूचित किए.

उपराज्यपाल से मांग है कि वह कश्मीर प्रेस क्लब का रजिस्ट्रेशन बहाल करें.जम्मू कश्मीर में इतने मुश्किल हालात में काम कर रहे पत्रकारों के लिए बहुत जरुरी है कि, पारदर्शिता और लोकतांत्रिक व्यवस्था से क्लब में निष्पक्ष चुनाव हो.

क्लब ने बयान जारी करने के साथ ही उपराज्यपाल को लिखे पत्र को भी साझा किया है. जो उन्होंने 19 जनवरी को लिखा था.

क्या है कश्मीर प्रेस क्लब का विवाद?

15 जनवरी को कश्मीर प्रेस क्लब के बाहर सुरक्षा बलों का जमावड़ा था. यह पहली बार हो रहा था कि इतनी अधिक संख्या में सुरक्षाबल क्लब के अंदर और बाहर मौजूद थे. दरअसल पत्रकार सलीम पंडित कुछ अन्य पत्रकारों के साथ वहां पहुंचे और उन्होंने क्लब पर कब्जा कर लिया और क्लब का मैनजमेंट भी अपने हाथ में ले लिया.

नए मैनेजमेंट ने दावा किया कि, उन्हें सभी सदस्यों का समर्थन हासिल है हालांकि पत्रकार इससे इनकार करते हैं. इस तरह कब्जे के सवाल पर न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में सलीम पंडित कहते हैं, “चुनाव में हो रही देरी के कारण क्लब के रोज के कामकाज को अपने हाथों में ले लिया. हमें समय दीजिए हम क्लब के लिए सब कुछ करेंगे. इससे पहले जम्मू कश्मीर प्रशासन ने कश्मीर प्रेस क्लब का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया था.”

सुरक्षाबलों के साथ इस कब्जे के बाद देशभर में पत्रकार सगंठनों ने निंदा की है. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा, कश्मीर में पत्रकारों के एक गुट द्वारा सुरक्षा बलों की मदद से प्रेस क्लब के दफ्तर और मैनेजमेंट पर कब्जा किए जाने का तरीका हैरान करने वाला है. वहीं कश्मीर प्रेस क्लब के रजिस्ट्रेशन को मनमाने तरीके से निलंबित किया जाना भी उतना ही चिंतित करने वाला है.

मुंबई प्रेस क्लब ने भी इस तरह से कश्मीर प्रेस क्लब पर कब्जे की घटना की निंदा की है. क्लब ने कहा, कश्मीर प्रेस क्लब के पंजीकरण पर रोक ने प्रभावी रूप से पूरे 300 पत्रकार वाले इस संगठन को ठंडे बस्ते में डाल दिया है और लोकतांत्रिक रूप से बुलाई गई चुनाव प्रक्रिया को नकार दिया है.

बता दें कि इससे पहले क्लब की पुरानी कमेटी ने क्लब के चुनावों को लेकर एक विशेष कमेटी बनाने का ऐलान किया है.

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