1232km: यह पुस्तक आपको पाठक नहीं, यात्री बनाती है

लॉकडाउन के बाद वापस आये ये मजदूर अब महानगर में छाये प्रदूषण के छंटने के इंतजार में हैं.

WrittenBy:देवेश
Date:
Article image

पुस्तक कई अध्यायों में बंटी हुई है. इसमें एक अध्याय है "उस रात दो ही ईश्वर". इस अध्याय से गुजरते हुए आपको अपना वो हिंदुस्तान दिखेगा जिसे मिटाने की कोशिश की जा रही है. बिना किसी स्वार्थ के मदद करते हिंदू-मुस्लिम भाइयों ने, अशरफ और बंटू पाठक ने दिखाया कि किस तरह से समाज में अपने-अपने काम को ईमानदारी से करके भाईचारे को जिंदा रखा जा सकता है. "मुस्कुराइये कि आप लखनऊ में हैं" अध्याय पढ़ते हुए आप सचमुच मुस्कुरा उठेंगें. लखनऊ के प्रत्यूष पांडेय ने मानवता की जो मिसाल पेश की वह अविस्मरणीय है. होमगार्ड राजकुमार आपको यह सिखा जायेंगे कि सेवा और सहायता से बढ़कर कुछ नहीं.

ऐसी बहुत सी घटनायें इन सबके साथ हुईं जो किसी का भी हौसला तोड़ सकती हैं, झकझोर सकती हैं , जैसे- एक गांव में गांववालों द्वारा हैंडपंप ना छूने देना, यह निर्णय लेना कि नींद जरूरी है या भोजन, एक ढाबे पर सोने की जगह मिलने पर आशीष द्वारा डस्टबीन में पड़ी रोटियां खाने के लिए निकालना, रास्ते में अन्य मजदूरों द्वारा मजबूर होकर लूटपाट की कोशिश. डॉक्यूमेंट्री में विनोद आशीष से पूछते हैं, "कौन सी ताकत है जो तुम्हें चला रही है". आशीष का जवाब आता है, "मां की याद"

डॉक्यूमेंट्री में इसी जगह पर रेखा भारद्वाज की कलेजा चीरती आवाज सुनाई देती है-

"ओ रे बिदेसिया,

आइजा घर आई जा रे...!"

रितेश, रामबाबू, आशीष, कृष्णा, मुकेश, संदीप और सोनू ये सातों यात्री अपनी मिट्टी तक पहुंचने की यात्रा में जो कुछ भी सहते हैं, उन सारे अनुभवों को आप इस किताब को पढ़ते हुए, डॉक्यूमेंट्री देखते हुए महसूस करेंगें. जब रामबाबू के मोबाइल पर "मेरी जान" और "मेरी मालकिन" नाम से कॉल आती है तो आप बेसाख्ता मुस्कुराने लगेंगे, रितेश के घर पहुंचकर अपनी पत्नी के साथ सावधानीपूर्वक रोमांस करने के मंसूबों पर आप हंस पड़ेंगे, मुकेश द्वारा पढ़ाई का महत्त्व इन शब्दों में बताने पर आप विस्मित होंगे- "सर आप गरीब को कुछ मत दीजिए, न कपड़ा, न मकान, सरकार गरीब को बस शिक्षा दे. शिक्षा मिल गई तो रोटी, कपड़ा, मकान तो वो छीनकर ले लेगा.",

आप पुलिस के व्यवहार पर दांत पीसेंगे तो जगह जगह पुलिस द्वारा रोककर खाने का पैकेट दिये जाने पर आपकी आंखें भी फटेंगीं, आशीष के द्वारा अपनी बिटिया के लिए ले जा रही गुड़िया को पुलिस से पिटने के बावजूद उठाना, क्वारंटीन होने से पहले बेटा-बेटी को दस-दस रूपये देकर ये कहना कि सर इससे बच्चा लोग को यह लगेगा कि हमारे पापा के पास बहुत पैसा है. ये प्रसंग आपकी आंखें नम कर जायेगा.

एक लेखक के तौर पर विनोद पाठक को बांधने में सफल हुए हैं. दो-तीन जगहों पर टेस्ट क्रिकेट का जिक्र करके लेखक यह संकेत भी देता है कि संयम से सब संभव है. भूखे-प्यासे प्रवासियों की हर वेदना को विनोद ने अनुभूत किया है. लॉकडाउन में लखनऊ की सुबह को लेखक ने एक वाक्य में वर्णित कर दिया है- "यह लखनऊ की सुबह बिल्कुल नहीं थी, कुछ हॉकर अखबार के बंडल लेकर निकल पड़े थे, उनके चेहरों से साफ था कि न अखबार में खबर अच्छी है और न उनकी जिंदगी में."

इस पूरी यात्रा को पुस्तक रूप में प्रकाशित करके हम सबकी यात्रा बनाने के लिए राजकमल प्रकाशन समूह और उसके सम्पादक बधाई के पात्र हैं. देश और दुनिया की विभिन भाषाओं में इस पुस्तक के अनुवाद किये जा रहे हैं. डॉक्यूमेंट्री हॉटस्टार पर उपलब्ध है. दिनांक 20-11-2021 को इंडिया हैबिटेट सेंटर में इस पुस्तक का विमोचन इस यात्रा के दो प्रमुख यात्रियों रितेश पंडित और रामबाबू पंडित के हाथों होता देखना बहुत सुखद रहा. इस पुस्तक को पढ़िये, डॉक्यूमेंट्री को देखिये और अंत में गुलजार की लिखी इन पंक्तियों को अपने दिलो-दिमाग़ पर गूंजता हुआ महसूस कीजिए -

"चूल्हे की लाकड़ अजहूं हरी है,

धुआं से हमरी अंखियां भरी है.

अंसुअन गिरइजा रे

आइजा घर आइजा रे....!"

लॉकडाउन के बाद वापस आये ये मजदूर अब महानगर में छाये प्रदूषण के छंटने के इंतजार में हैं.

Also see
article imageहिंदी पट्टी के बौद्धिक वर्ग के चरित्र का कोलाज है 'गाजीपुर में क्रिस्टोफर कॉडवेल' किताब
article imageएनएल इंटरव्यू: रशीद किदवई, उनकी किताब 'द हाउस ऑफ़ सिंधियाज़’ और भारतीय राजनीति में सिंधिया घराना
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like