पत्रकार आशीष सागर दीक्षित लंबे समय से बुंदेलखंड में खनन माफियाओं के खिलाफ लिख रहे हैं.
दीक्षित कहते हैं, "इसके बाद अनुराग पटेल बांदा के नए डीएम बनकर आए और पुलिस अधीक्षक का कार्यभार संभाला अभिनन्दन सिंह ने. इन दोनों ने भी जयराम सिंह, त्यागी, राहुल सिंह गुड्डू जैसे मुरुम-बालू माफियाओं को पीछे से समर्थन देना शुरू कर दिया था. इसके पहले जब हमने अपने साथियों के साथ मिलकर अवैध खनन के खिलाफ आवाज उठाना शुरू किया तो हमारी एक साथी उषा निषाद के खिलाफ फर्जी मुकदमा लगा कर 120बी के तहत मामला दर्ज कर दिया. उषा बालू के अवैध खनन के खिलाफ जलसखी नाम का संगठन चलाती हैं. इसके अलावा एक अन्य साथी अमित गुप्ता जो खदानों में जाकर वीडियों बनाते थे उन पर भी 120बी के तहत केस दर्ज कर दिया गया. पुलिस ने उषा के नाबालिग भतीजे को भी नहीं बक्शा था और उस पर छेड़छाड़ का झूठा केस दर्ज करा दिया गया. हैरानी की बात यह है कि इन मामलों के खिलाफ गांव वालों ने उषा के समर्थन में हलफनामे पुलिस को दिए लेकिन कोई कार्यवाई नहीं हुई."
वह आगे बताते हैं, "हमारे साथियों के बाद पुलिस और खनन माफिया की प्रणाली ने मुझे निशाना बनाना शुरू किया है. सबसे पहले 14 नवम्बर को रात के करीब 10बजे एक दर्जन वर्दी और सादे कपड़े पहने पुलिस वाले मेरे घर के बाहर पहुंच गए और दरवाजा खोलने के लिए कहने लगे. लेकिन जब हमने यह कहते हुए दरवाजा नहीं खोला कि रात के वक्त हम उनके साथ नहीं जाएंगे तो वो धमकी देकर वापस लौट गए. पुलिस विभाग के दो कर्मचारी अगले दिन फिर मेरे घर पहुंचे और मेरे खिलाफ सामाजिक आंदोलन के चलते लगे मुकदमों का रिकॉर्ड लेना शुरू किया व मेरी आमदनी वगैरह के बारे में पूछने लगे, जबकि यह कोई नया रिकॉर्ड नहीं है और इसके बारे में पुलिस को पहले से ही जानकारी है. मेरे खिलाफ जन आंदोलन के तहत छह मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से एक भी मामले में मुझे न सजा हुई है न जेल हुई है. लेकिन 5 जनवरी 2022 को मुझे पता चला कि मेरे खिलाफ हिस्ट्रीशीट बना दी गई है. हिस्ट्रीशीट पेशेवर अपराधियों के खिलाफ बनाई जाती है और उसे बनाने से पहले डीजीपी, आईजी, लोकल इंटेलिजेंस यूनिट से अनुमति लेनी पड़ती है लेकिन मेरे मामले में एसपी अभिनन्दन सिंह ने हिस्ट्रीशीट की फाइल बनाकर सीधे आईजी (इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस) सुरेंद्र भगत को अनुमोदन के लिए भेज दी है जो कि गलत है."
वह कहते हैं, "इस मामले को लेकर मैंने आईजी सुवेंद्र भगत से मुलाकात भी की और उनके सामने सभी तथ्यों को रखा है. उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि वह इस मामले की जांच करवाएंगे. हिस्ट्रीशीट बनाने का पुलिस अधीक्षक का एक ही मकसद है कि वो मुझ पर रासुका लगाना चाहते हैं."
न्यूज़लॉन्ड्री ने इस बारे में जब बांदा के राकेश कुमार सिंह, सीओ सिटी पुलिस बांदा, से बातचीत की तो वह कहते हैं, "मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है. लेकिन आप जो उनकी पैरवी कर रहे हैं वह इस काबिल नहीं है. हिस्ट्रीशीट के लिए वो बिल्कुल उपयुक्त उमीदवार हैं. उनके जैसे और भी पत्रकारों पर हमने हिस्ट्रीशीट बनाई है.
वहीं सुवेंद्र भगत, पुलिस महानिरीक्षक चित्रकूट रेंज कहते हैं, "हां आज सुबह इस मामले को लेकर उन्होंने (आशीष दीक्षित) आवेदन दिया है. इस मामले की जानकारी मैं पुलिस अधीक्षक से लूंगा और उसके बाद ही इसके बारे में कुछ कह सकूंगा .
न्यूज़लॉन्ड्री ने इस बारे में बांदा के पुलिस अधीक्षक अभिनन्दन सिंह से भी बात करने की कोशिश की थी लेकिन उनकीओर से हमें कोई जवाब नहीं दिया गया है जवाब मिलते ही उसे इस रिपोर्ट में जोड़ दिया जाएगा.