प्रसार भारती में अंधेरगर्दी: नियम के खिलाफ प्रसार भारती न्यूज़ सर्विस के प्रमुख दो-दो कंपनियों में बने हुए हैं निदेशक

न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक पीबीएनएस के प्रमुख समीर कुमार दो निजी कंपनियों में निदेशक हैं.

WrittenBy:बसंत कुमार
Date:
Article image
  • Share this article on whatsapp

पीबीएनएस की शुरुआत और कैसे बने कुमार इसके प्रमुख

समीर कुमार के खिलाफ सूचनामंत्री को लिखे गए पत्र में बताया गया है कि उनका पत्रकारिता में कोई अनुभव नहीं रहा है. यह सच भी है. आईआईटी और आईआईएम से पढ़े कुमार, मई 2018 तक सिंगापुर में ड्यूक बैंक में निदेशक थे. वहां से नौकरी छोड़कर ‘हिन्दुस्थान समाचार’ के सीईओ के रूप में मई 2019 में जुड़े. यहां से कुमार की पत्रकारिता में जुड़ने का सिलसिला शुरू होता है.

अब यहां हम आपको पीबीएनएस के बनने और समीर कुमार की भूमिका के बारे में बताते हैं. न्यूज़लॉन्ड्री ने इसको लेकर पूर्व में विस्तृत रिपोर्ट की है. अपनी न्यूज़ एजेंसी खोलने की बड़ी वजह सरकार का पीटीआई पर कब्जा करने में असफल होना था. 2014 में पहली दफा भाजपा की सरकार बनने के बाद मोदी सरकार ने मीडिया के तमाम महत्वपूर्ण हिस्सों पर प्रत्यक्ष-परोक्ष तरीके से अपना नियंत्रण मजबूत करने की कोशिश की. इन कोशिशों में एक अहम कोशिश थी पीटीआई पर नियंत्रण स्थापित करने की.

26 फरवरी, 2016 को पीटीआई निदेशक मंडल की एक आपात बैठक बुलाई गई. गौरतलब है कि पीटीआई के निदेशक मंडल में देश के 98 महत्वपूर्ण अखबारी घरानों के सदस्य हैं. आशा के विपरीत बैठक में सदस्यों को जानकारी दी गई कि मोदी सरकार पीटीआई के कामकाज में हस्तक्षेप करना चाहती है. अपनी पसंद का संपादक लाना चाहती है. लेकिन निदेशक मंडल ने बहुमत से तय किया कि वह सरकार की तरफ से होने वाले ऐसे किसी हस्तक्षेप का विरोध करेगी और पीटीआई की स्वायत्तता को कायम रखने का काम करेगी.

उस वक्त पीटीआई बोर्ड के चेयरमैन होरमुसजी एन कामा ने साफ शब्दों में बयान जारी किया, “हमने हमेशा अपनी स्वतंत्रता को महत्व दिया है. मैं इस मौके पर आप सबको भरोसा देना चाहता हूं कि हम पीटीआई में किसी तरह के राजनीतिक प्रभाव या हस्तक्षेप की इजाजत नहीं देंगे.”

पीटीआई के 16 सदस्यीय बोर्ड के बाकी सदस्यों ने भी उस मीटिंग में चेयरमैन के विचार को पूरा समर्थन दिया. इस तरह से पीटीआई पर कब्जे की मोदी सरकार की पहली पहल नाकाम रही. यहां से मोदी सरकार की पीटीआई से अदावत का सिलसिला शुरू हो गया.

इसके बाद सरकार ने विकल्प के तौर पर अन्य समाचार एजेसियों से खबर लेना शुरू कर दिया. इसमें 'हिन्दुस्थान समाचार' भी था. 'हिन्दुस्थान समाचार' का स्वामित्व बीजेपी नेता आरके सिन्हा के पास है. उस वक्त समीर कुमार ‘हिन्दुस्थान समाचार’ में सीईओ थे.

हालांकि ‘हिन्दुस्थान समाचार’ और प्रसार भारती के बीच चीजें तय नहीं हो पायीं और यह करार रुक गया. इसके बाद ही पीबीएनएस की शुरुआत हुई. और जो समीर कुमार पहले 'हिन्दुस्थान समाचार' के लिए सरकार से बात कर रहे थे वे खुद पीबीएनएस के पहले प्रमुख बन गए.

कुमार पर कर्मचारियों से दुर्व्यवहार का आरोप

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान सहायक निदेशक कार्यक्रम पद पर आसीन एक अधिकारी ने समीर कुमार की लिखित रूप से शिकायत की.

प्रसार भारती के अपर महानिदेशक को लिखे पत्र में कर्मचारी ने लिखा, ‘‘मानसिक प्रताड़ना की स्थिति में मैं बेहद मानसिक तनाव से गुजर रहा हूं. मैं हाइपरटेंशन, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की दवाएं लेता हूं. आज के कठिन दौर में मेरी मृत्यु हो जाती है तो इसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी डीडीजी मैडम नवनीत कौर और श्री समीर कुमारजी की होगी.’’

इस कर्मचारी ने एक मार्च 2021 को ही पीबीएनएस ज्वाइन किया था. अपनी शिकायत में उन्होंने लिखा है, ‘‘1 मार्च, 2021 को पीबीएनएस कार्यालय में अपनी जॉइनिंग दी. जहां हेड समीर कुमार ने कहा कि यहां एडीपी की आवश्यकता नहीं है. डीडीजी नवनीत कौर भोपाल से आएंगी तब वो निर्णय करेंगी. आप पीबीएनएस ऑफिस पर नहीं आएंगे.’’

इसके बाद शोषण का सिलसिला शुरू हुआ. उक्त कर्मचारी के मुताबिक उन्हें दूरदर्शन के कंटेंट हेड राहुल महाजन के खिलाफ शिकायत लिखने का दबाव बनाया गया. नवनीत कौर उन्हें अपने ऑफिस के बाहर किसी दिन दो घंटे तो किसी दिन चार घंटे बैठाकर कहतीं कि जाओ कोई काम नहीं है. उन्हें बैठने की जगह नहीं दी गई. इसके बाद मजबूर होकर उन्होंने पत्र लिखा और जीवनदान मांगा.

इस मामले से जुड़े एक कर्मचारी ने हमें बताया कि अभी इस मामले की जांच चल रही है. हमने पत्र लिखने वाले कर्मचारी से फोन पर बात की तो उन्होंने कुछ भी कहने से साफ इंकार कर फोन काट दिया.

इसके अलावा जो पत्र अनुराग ठाकुर को लिखा गया है उसमें भी कुमार पर अपने मन से कर्मचारी लाने, दूसरे कर्मचारियों से दुर्व्यवहार करने जैसी जानकारियां दी गई हैं. वहीं पहले भी इस तरह की खबरें आती रही हैं. इस पर जब हमने कुमार से सवाल किया तो वे हमसे हमारे सोर्स की जानकारी मांगने लगे. सोर्स की जानकारी साझा नहीं करने पर कुमार कहते हैं, ‘‘यह जानकारी आपने आरटीआई से लिया है? आपके पास इंटरनल जानकारी कैसे आई. आप इसके लिए अपर महानिदेशक एचआर से बात कीजिए.’’

इस विवाद में समीर कुमार पर लगे आरोप और दो कंपनियों में बतौर निदेशक उनकी भूमिका को समझने के लिए हमने प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर वेम्पति से बात करने की कोशिश की. वेम्पति ने यह कहते हुए फोन काट दिया कि वे न्यूज़लॉन्ड्री से कोई बात नहीं करना चाहते हैं. हालांकि हमने इस स्टोरी के संबंध में कुछ जरूरी सवाल भेजे हैं. अगर जवाब आता है तो उसे खबर में अपडेट कर दिया जाएगा.

Also see
article imageउत्तर प्रदेश चुनाव विशेष: भाजपा, आरएसएस और विहिप कार्यकर्ताओं को पहचान बदल कर दिखा रहा डीडी न्यूज़
article imageडीडी न्यूज़ का महामारी मंत्र: मोदी के राज में सब चंगा सी
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like