बूस्टर खुराक को एक एहतियात के रूप में पेश किया जा रहा है, जो भारत में 10 जनवरी यानी आज से उपलब्ध हो जाएगी.
इस परिदृश्य में, भारत में वर्तमान में निर्मित दो कम लागत वाले प्रोटीन टीके, कोवोवैक्स और कॉर्बेवैक्स-ई, जिन्होंने चरण तीन का नैदानिक परीक्षण पूरा कर लिया था, और ये लगभग 90% टीकाकरण वाले भारतीयों के लिए आदर्श बूस्टर टीके साबित होंगे, जिन्होंने कोविशील्ड की दो खुराकें प्राप्त की हैं.
मंगलवार 28 दिसंबर को, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीआई) ने कोवोवैक्स और कॉर्बेवैक्स-ई दोनों को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी है, जो स्वागत योग्य और सराहनीय है. कोवोवैक्स टीका, अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा निर्मित किया जा रहा है. यह एक रेकॉम्बीनैंट प्रोटीन का बना नैनोकण टीका है, जिसमें कोरोना विषाणु की स्पाइक प्रोटीन के साथ-साथ एक एडजुवन्ट (प्रतिरक्षाजनकता बढ़ाने में सहायक) अवयव शामिल है. ब्रिटेन, अमेरिका और मैक्सिको में तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षणों में, इसने लगभग 90% प्रभावकारिता एवं मध्यम और गंभीर बीमारी के खिलाफ पूर्ण सुरक्षा दिखाई थी.
यह टीका विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा भी अनुमोदित है, और पहले से ही इंडोनेशिया और फिलीपींस में इस्तेमाल किया जा रहा है, इन देशों में एसआईआई पूर्व में पांच करोड़ खुराकों का निर्यात कर चूका है. जून में, एसआईआई ने घोषणा की कि कोवोवैक्स की पहली खेप का उत्पादन शुरू हो गया है और दिसंबर 2021 तक वह भारत को 20 करोड़ खुराक तक उपलब्ध करा देगा.
कॉर्बेवैक्स-ई का निर्माण हैदराबाद की बायोलॉजिकल-इ कंपनी ने अमेरिका के ह्यूस्टन में स्थित बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के सहयोग से किया है. यह भी स्पाइक प्रोटीन के रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी) से बना है, और एक रेकॉम्बीनैंट प्रोटीन टीका है. आरबीडी स्पाइक प्रोटीन का वह हिस्सा है, जो कि इसका सबसे अधिक महत्वपूर्ण घटक है. स्पाइक प्रोटीन का यही भाग मानव कोशिकाओं की सतह पर पाए जाने वाले रिसेप्टर से मिलकर कोरोना विषाणु को मानव कोशिकाओं में प्रवेश कराता है.
कंपनी की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार वे प्रति माह 7.5 करोड़ खुराक बना पाने की क्षमता का दावा करती है, जिसे फरवरी 2022 तक प्रति माह 10 करोड़ से अधिक खुराक तक बढ़ाया जाएगा. एस्ट्राजेनेका (कोविशील्ड) टीके की दो खुराक प्राप्त करने वाले लोगों में बूस्टर खुराक के रूप में कोवोवैक्स टीके का प्रभाव उत्साहजनक है.
हालांकि, कॉर्बेवैक्स-ई के लिए ऐसा कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. अन्य टीकों में पूर्ण स्पाइक प्रोटीन से अलग, कॉर्बेवैक्स-ई में स्पाइक प्रोटीन का सिर्फ आरबीडी भाग है, जो शायद विषाणु के ओमिक्रॉन संस्करण के खिलाफ शक्तिशाली प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया और प्रतिरक्षा स्मृति को नहीं बढ़ा पाएगा, क्योंकि अब ये सर्वविदित है कि ओमिक्रॉन संस्करण में मूल वुहान विषाणु की तुलना में इसी भाग (आरबीडी) में 10 म्यूटेशन हैं. जिसकी वजह से यह कॉर्बेवैक्स-ई को अपने आप में अकेले टीके के रूप में प्रभावी नहीं होने देगा, फिर भी यह उन लोगों में एक अच्छी बूस्टर खुराक के रूप में इस्तेमाल हो सकता है, जिन्होंने अन्य टीके प्राप्त किए हैं. लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए भी, हमें इस पर वैज्ञानिक शोध और नैदानिक परीक्षण के आंकड़ों की आवश्यकता होगी.
समय के साथ जैसे-जैसे हमारे पास नए टीका विकल्प पैदा हो रहे हैं, टीकाकरण के बाद मिलने वाले अनुवर्ती नैदानिक आंकड़ों के अभिलेख और विभिन्न टीकों के एक दूसरे के साथ मिला कर इस्तेमाल करने वाले नैदानिक शोध के आंकड़ों की कमी परेशान करने वाली है. इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि इस विषाणु के ओमिक्रॉन संस्करण या उससे आगे आने वाले अन्य संस्करण से लड़ने के लिए, हम एक ठोस नीति के साथ मैदान में उतर सकें.
(डॉयूसुफ़ अख़्तर, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, के बायोटेक्नोलॉजी विभाग में अध्यापनरत हैं. )