भूलना नहीं है, सब कुछ याद रखें

दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
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यह साल की आखिरी टिप्पणी है. इस अंतिम एपिसोड में हम न्यूज़लॉन्ड्री की इस साल की सबसे बड़ी रिपोर्ट पर बातचीत करेंगे. हम बात करेंगे अयोध्या की उस इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट की जिसे हमारे दो रिपोर्टर बसंत और आयुष ने अंजाम दिया है. क्योंकि भूलना नहीं है.

बीता साल बहुत अच्छा नहीं बीता. हम सबने आपने आस-पास बहुत से करीबी, दिलअजीज़ लोगों को खो दिया. कोरोना की दूसरी वेव की त्रासदी को दर्ज करना बहुत जरूरी था. इस आपदा को दर्ज करने के लिए मैंने एक कविता की पैरोडी लिखी थी. एक बार फिर से उसे सुनिए, क्योंकि भूल जाना किसी चीज का इलाज नहीं है.

न्यूज़लॉन्ड्री और टिप्पणी के दर्शकों के बहुत सारे सवाल समय समय पर आते हैं जिनका जवाब अलग-अलग देना संभव नहीं है. तो उन सवालों के जवाब देने के लिए हमने अपनी भूमिकाओं को थोड़ा सा बदल लिया है. वो सवाल जो हमारे दर्शकों के ज़हन में उठते रहते हैं, उसे भी हम भूले नहीं हैं.

यह पूरा कार्यक्रम आप तक सुगमता से पहुंचाने के लिए एक टीम काम करती है. इस एपिसोड में आप जानेंगे टिप्पणी की पूरी टीम को. और लगे हाथ यह भी जानेंगे कि कैमरे के सामने जितना कुछ होता है उतना ही कैमरे के पीछे भी होता है. कंप्यूटर के कूड़ाघर में साल भर में जमा हुए कूड़े से हमारे प्रोड्यूसर और एडिटर कुछ बनाकर लाए हैं, देखिए. क्योंकि हम आपको भूलने नहीं देंगे.

भीड़भाड़ से बचे, गैरजरूरी यात्राओं से बचे, वैक्सीन की सारी डोज़ जरूर लगवाएं. परिवार के साथ सुरक्षित तरीके से नववर्ष मनाएं. और हां भूलना इलाज नहीं है. सब कुछ याद रखें. हैपी न्यू ईयर!!

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