गर्म होता ठंडा देश: आर्कटिक में 38 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा तापमान

यह तापमान जून 2020 में साइबेरिया के वर्खोयान्स्क शहर में दर्ज किया गया था, जोकि आर्कटिक सर्किल से उत्तर में 115 किलोमीटर दूर स्थित है.

WrittenBy:ललित मौर्या
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यदि तापमान में होती वृद्धि को देखें तो आर्कटिक दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में दोगुना तेजी से गर्म हो रहा है. आर्कटिक रिपोर्ट कार्ड 2021 के अनुसार पिछले साल अक्टूबर 2020 से सितंबर 2021 के बीच हवा का औसत तापमान रिकॉर्ड में 7वां सबसे गर्म था. गौरतलब है कि 2014 के बाद से यह लगातार 8वां साल है जब हवा का तापमान औसत से एक डिग्री सेल्सियस से ज्यादा दर्ज किया गया है.

गौरतलब है कि आर्कटिक में जमा समुद्री बर्फ में पिछले 30 वर्षों के दौरान हर दशक लगभग 13 फीसदी की दर से गिरावट आ रही है. वहीं नासा की एक रिपोर्ट से पता चला है कि आर्कटिक में जमा सबसे पुरानी और मोटी बर्फ में करीब 95 फीसदी की गिरावट आई है.

वैश्विक स्तर पर तापमान में होती वृद्धि के बारे में जानकारी बताते हुए डब्लूएमओ के महासचिव पेटेरी तालस ने कहा है कि आर्कटिक में दर्ज किया गया रिकॉर्ड तापमान वैश्विक स्तर पर तापमान में होती वृद्धि का ही नतीजा है, जो सारी दुनिया के लिए खतरे की घंटी है. 2020 में अंटार्कटिक का औसत तापमान भी रिकॉर्ड 18.3 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था.

इस तरह वर्ष 2020 और 2021 दोनों वर्षों में दुनिया के सबसे गर्म स्थान ‘डैथ वैली’, कैलिफ़ोर्निया में भी तापमान 54.4 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. वहीं सिसिली के इतालवी द्वीप में भी तापमान 48.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था, जिसकी समीक्षा की जा रही है.

आर्कटिक में जिस तरह से तापमान में वृद्धि हो रही है उसके चलते वहां के पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं, जिसके चलते वहां के जीवों और वनस्पति पर व्यापक असर होने की सम्भावना है. इतना ही नहीं इन बदलावों का असर पूरी दुनिया में महसूस किया जाएगा.

(डाउन टू अर्थ से साभार)

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