पेप्सिको इंडिया के पास अपने आलू किस्म के लिए पीपीवीएफआरए से हासिल प्रमाण पत्र के तहत वास्तविक पंजीकरण का समय 31 जनवरी, 2022 तक था. वहीं, इसका रीन्यूअल 31 जनवरी, 2031 में होना था. हालांकि अब प्राधिकरण के फैसले के बाद प्रमाण-पत्र रद्द हो चुका है.
कविता कुरुगंती ने कहा कि यह फैसला सभी बीज और खाद्य व्यवसाय करने वाली रजिस्टर्ड कंपनियों के लिए है. यह फैसला एक मिसाल है कि देश के किसानों को हासिल कानूनी अधिकार और उनकी स्वतंत्रता का हनन नहीं किया जा सकता है.
कानूनविद और शोधार्थी शालिनी भूटानी ने कहा कि यह ऐतिहासिक फैसला है. यह फीपीवी एंड एफआर एक्ट में निहित धारा 39 के तहत किसानों के बीज स्वतंत्रता को सुनिश्चित करता है. इससे यह भी स्पष्ट हुआ है कि बौद्धिक संपदा अधिकार रखने वाली देश की कंपनियां किसानों के अधिकारों को हल्के में नहीं ले सकती हैं. उन्होंने बताया कि आईपी के तमाम कानूनों के जरिए किसानों को भविष्य में परेशान किए जाने से यह फैसला रोकेगा.
पेप्सिको इंडिया ने एफएल-2027 आलू किस्म के लिए 2018 और 2019 में किसानों के खिलाफ कार्रवाई का कदम उठाया था. कंपनी का कहना था कि उनकी किस्म को किसान बिना अनुमित उगा और बेच नहीं सकते.
प्राधिकरण के चेयरपर्सन केवी प्रभु ने 3 दिसंबर, 2021 को अपने फैसले में कहा है कि रजिस्ट्री और प्राधिकरण के लिए पेप्सिको का यह मामला कई सबक सीखने की तरह है. रजिस्ट्रार को आदेश दिया जाता है कि वह कानून, नियम और विनयमों के आधार पर आवेदनों के मूल्यांकन को लेकर एक मानकीय शीट तैयार करें. साथ ही एक समिति का गठन करें जो यह बताए कि भविष्य में ऐसे मामलों का दोहराव न होने पाए.
(साभार- डाउन टू अर्थ)