औरंगजेब और शाहजहां के दरम्यान डंकापति का शिवाजी अवतार

दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
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सर्दियां गुलाबी से बर्फीली हो गई थीं. तापमान शून्य तक जाने लगा था लेकिन सियासत का तापमान सातवें आसमान पर था. धृतराष्ट्र दरबार में ही अलाव जलाकर सर्दी से निपट रहे थे. लेकिन संजय की दशा कुछ ठीक नहीं थी. वो कई दिनों से कुछ अंड बंड बक रहे थे. क्या बक रहे थे, इसी के इर्द गिर्द देखिए इस हफ्ते का धृतराष्ट्र-संजय संवाद.

बहुत दिनों बाद खबरिया चैनलों की टूटी हुई रीढ़ में थोड़ी जान देखने को मिली. वजह टेनी गुरू थे. जिस तरह से उन्होंने घोघाबसंत मीडिया के दो रिपोर्टरों को लथेड़ा था उसके बाद प्रतिवाद का विकल्प ही शेष था. हालांकि अपनी मान मर्यादा दांव पर लगा चुके इन खबरिया चैनलों को इसका कोई फायदा हुआ नहीं. टेनी मोदीजी सरकार के नवरत्न बने हुए हैं.

मोदीजी बीते हफ्ते बनारस में थे. मीडिया ने उन्हें चौबीसो घंटे सर आंखों पर बिठाए रखा. उनके एक-एक प्रदर्शन पर घोघाबसंत मीडिया हजार-हजार बार बलिहारी हुआ.

छप्पन इंच वाले मोदीजी अपनी छप्पन कलाओं का छप्पन कैमरों के सामने प्रदर्शन कर रहे थे, भला किसकी मजाल होती इसे नज़रअंदाज करने की. खबरिया चैनलों को लगा कि देश में इसके अलावा और कुछ दिखाने-बताने के लिए है ही नहीं. ऊपर से मोदीजी ने औरंगजेब और शिवाजी का जिक्र करके हुड़कचुल्लुओं के लिए पुख्ता हिंदू-मुसलिम सिलेबस की जमीन भी तैयार कर दी थी. तो चेला चिलमची शाहजहां तक पहुंच गए. कई और भी कहीं का कही पहुंचे, आप देखिए पूरी टिप्पणी और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना मत भूलिए.

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