न्यूज़लॉन्ड्री एक प्रयास है उस दिशा में बढ़ने का जहां हम अपने नजरिए को निरंतर विकसित करते हुए परिपक्व विश्वदृष्टि हासिल कर सकें. पत्रकारिता इस संगठन का प्राथमिक काम है- और इसका सरोकार केवल तथ्यात्मक, सटीक और जनहित की कहानियां कहने से है. इस काम में लगी टीम के पास यदि विभिन्न प्रकार के अनुभव, दृष्टिकोण और पृष्ठभूमियां हैं, तो यह हम सभी को बेहतर बनाता है.
समावेशी होने का मतलब यह नहीं है कि केवल संतुलन बनाने के लिए घृणा फैलाने वाले विचारों को भी यहां स्थान दिया जाय. यह झूठी और मूर्खतापूर्ण कल्पना है. न्यूज़लॉन्ड्री में समानता की वकालत करने वाले व्यक्ति और छुआछूत या जाति व्यवस्था का समर्थन करने वाले व्यक्ति को एक तराजू पर नहीं तौला जाता. यह केवल एक उदाहरण है, ऐसे कई और भी हैं.
सोशल मीडिया के कारण नफरत का विस्तार हुआ है. राजनीतिक दलों और मीडिया प्लेटफॉर्म ने हाशिए पर रहे घृणाप्रेरित समूहों को अब मुख्यधारा में स्थान दिला दिया है. यही कारण है कि सबसे घिनौनी आवाजें और टिप्पणियां भी खबरों में स्थान पा जाती है. यहां हम क्लिकबेट और ट्रैफिक के लिए बुनियादी मानवीय मूल्यों और सिद्धांतों का त्याग नहीं करेंगे. सभी पक्षों को समान महत्व देने की आवश्यकता नहीं है. कुछ आवाजें डिजिटल युग की नहीं बल्कि पाषाण युग की प्रतिध्वनि हैं, बस उनका क्षणिक पुनर्जागरण हो गया है.
इसलिए, एक संगठन के रूप में न्यूज़लॉन्ड्री को वामपंथी, दक्षिणपंथी या मध्यमार्गी नहीं कहा जा सकता- जबकि न्यूज़लॉन्ड्री के साथ काम करने वाले विभिन्न व्यक्तियों के बारे में ऐसी धारणा बनाई जा सकती है. हालांकि भारत में वामपंथी और दक्षिणपंथी की पहचान करना मुश्किल है. हमारे सहयोगियों का झुकाव और विश्वास विभिन्न राजनैतिक विचारधाराओं की ओर है, और यह हमारे पाठकों से छिपा नहीं हैं. हम एक अधिक समावेशी कार्यस्थल की कल्पना करते हैं, जहां दो विपरीत अनुभवों का आपस में मेलजोल हो और एक ऐसा माहौल बने जहां हम सभी एक-दूसरे से और अपने सब्सक्राइबर्स से सीख सकें.
हमारे पॉडकास्ट और हैंगआउट इसका जरिया हैं. पारदर्शिता के हमारे प्रयास का नतीजा है हमारे पॉडकास्ट जहां आप हमारे संपादकों और पत्रकारों के असंपादित विचारों को सुन सकते हैं. उपभोक्ताओं के साथ हमारे हैंगआउट और जूम कॉल भी यही करते हैं. यह हमें अपने न्यूज़ उपभोक्ता के नजरिए से परखने का अवसर देते हैं. वह बेहद ईमानदार और विनम्र हैं, न्यूज़लॉन्ड्री के उपभोक्ता बेहद खास हैं. हमारे झुकाव, पूर्वाग्रह और नजरिए सभी के सामने हैं, ताकि प्रत्येक व्यक्ति के काम को देखा जा सके और तटस्थता की सीमाओं के साथ तालमेल बिठा सकें.
लेकिन तथ्यों से कभी समझौता नहीं होना चाहिए. न्यूज़लॉन्ड्री में हम इसे एक अनुशासन के तौर पर बरतते हैं. क्योंकि हम अपने सब्सक्राइबर्स के ऋणी हैं. उन्होंने इस समाचार मॉडल को बदला है, जिसे कभी असंभव माना जाता था. इसे सामान्य रूप से व्यावहारिक बनाने के लिए हमें यह दिखाना होगा कि जब रिपोर्टिंग विज्ञापनदाताओं और ट्रैफिक की मोहताज न हो तब इसकी गुणवत्ता बेहतर होना तय है.
न्यूज़लॉन्ड्री का लक्ष्य यही है. हम ऐसा इसलिए करते हैं ताकि आप हमें बेहतर तरीके से जान सकें, हम आपकी बेहतर तरीके से सेवा कर सकें, और पत्रकारिता जनहित का उद्यम बना रहे, और बने रहना चाहिए.
(न्यूज़लॉन्ड्री एक्स्प्लेंड लेखों की एक श्रृंखला है जो हमारे संपादकीय विज़न और सब्सक्रिप्शन मॉडल से संबंधित सवालों का विश्लेषण करती है.)
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