गोवा में लोग बेरोजगारी, मंदी और विकास नहीं होने से परेशान हैं लेकिन यहां चुनावी मुद्दा भ्रष्टाचार और 10 साल पहले शाह कमीशन की रिपोर्ट में बताये गये 35 हजार करोड़ के खनन घोटाले को बनाया जा रहा है.
गोवा में लोग बेरोजगारी, मंदी और विकास नहीं होने से परेशान हैं लेकिन यहां चुनावी मुद्दा भ्रष्टाचार और 10 साल पहले शाह कमीशन की रिपोर्ट में बताये गये 35 हजार करोड़ के खनन घोटाले को बनाया जा रहा है. टीएमसी ने गोवा के एक एनजीओ गोवा फाउंडेशन के समझाने पर 35 हजार करोड़ के जुमले को उछाल दिया है. लोगों को कहा जा रहा है कि अगर ये पैसे सरकार ने वसूल लिए तो गोवा के हर घर को तीन लाख रुपए मिलेंगे. इस दावे की असलियत वही है जो बीजेपी के उन 15 लाख रुपयों की है जो देश के हर खाते में आने वाले थे.
गोवा में 2012 में बीजेपी ने जस्टिस एमबी शाह की रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस को घेरा था. बीजेपी ने शाह कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर 35 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया था लेकिन जब खुद बीजेपी के मनोहर पर्रिकर सत्ता में आए तो फंस गए. फिर पर्रिकर ने ही कह दिया कि 35 हजार करोड़ नहीं करीब तीन हजार करोड़ का नुकसान हुआ है. पर्रिकर ने इसकी जांच के लिए चार्टर्ड एकाउंटेट की एक कमेटी भी बना दी जिसने बताया कि असल में यह आंकड़ा 300 करोड़ भी नहीं है, वो भी रेवेन्यू का नुकसान है. इसकी गिनती भी अब तक ठीक से 10 साल में नहीं हो पायी.
साफ लग रहा है कि चुनाव में एक बार फिर से जनता को भरमाने की कोशिश हो रही है. वैसे तो गोवा में ममता बनर्जी की कोई खास राजनीतिक हैसियत बन नहीं सकती फिर भी उनकी टीएमसी ने 300 करोड़ के रेवेन्यू के नुकसान वाले इस मुददे को उछाल दिया है लेकिन बीजेपी या कांग्रेस इसे काउंटर नहीं कर पा रही है. कांग्रेस ने गोवा में लोकायुक्त बनाने का नारा दिया है और बीजेपी विकास की बात कर रही है. जमीनी हालात ये हैं कि गोवा में बेरोजगारी की दर 11 प्रतिशत तक हो चुकी है और कोरोना से बेहाल लोगों के पास पैसे नहीं हैं. जाहिर है राजनीतिक दल अभी तक जमीन नहीं पकड़ पा रहे हैं.
उधर कोरोना के नये वैरिएंट ओमीक्रॉन की वजह से फिर से लॉकडाउन की आहट शुरू हो गयी है. गोवा में टैक्सी चलाने वाले अशरफ का कहना है कि इस बार अगर फिर से लॉकडाउन हो गया तो वह बर्बाद हो जाएंगे. बर्बादी की इसी आशंका के बीच चुनाव सिर पर है, इसीलिए गोवा के माहौल में राजनीति नये प्रतिमान गढ़ रही है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)
(साभर- जनपथ)
General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.
Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?