‘सियासत’ अखबार के संस्थापक इसहाक इल्मी के निधन पर तत्कालीन राज्यपाल सत्यनारायण रेड्डी और मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने शोक पत्र लिखा था.
अंतहीन संघर्ष जारी
उत्तर प्रदेश में दबंगों द्वारा जमीन कब्जाने का सिलसिला लंबे समय से चल रहा है. हालांकि ये दबंग अक्सर उन लोगों को अपना शिकार बनाते हैं जो कमजोर हैं और उन्हें भरोसा होता है कि इन्हें दबाया जा सकता है. वो लंबे समय तक कानूनी लड़ाई नहीं लड़ सकते. इस मामले में एक ऐसे परिवार की जमीन को निशाना बनाया गया जिसकी राजनीतिक पकड़ बेहद मजबूत रही है. उस शख्स का फर्जी मृत्युप्रमाण पत्र बनवाया गया जिसके निधन पर मुख्यमंत्री ने दुख जताते हुए पत्र लिखा था.
जब इल्मी परिवार को इस फर्जीवाड़े की जानकारी मिली तो उन्होंने इसको लेकर लड़ाई शुरू की. एजाज इल्मी बताते हैं कि हमने पहले बातचीत से चीजों को सुलझाने की कोशिश की लेकिन असफल रहे तो 7 सितंबर 2009 को एफआईर दर्ज कराई. जो एफआईआर इकराम हुसैन पर दर्ज हुई है उसका नंबर 1152/09 है. आईपीसी की धारा 420 और 419 के तहत एफआईआर दर्ज होने के बाद हुसैन जेल भी गए. लगभग छह महीने तक जेल में रहने के बाद इकराम जमानत पर वापस आ आए.’’
2009 में एफआईआर दर्ज होने के बाद से यह विवाद अभी तक जारी है. एजाज इल्मी कहते हैं, ‘‘बार-बार आदेश मिलने के बाद स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से मामला अटक जाता है.’’
2008 में इस फर्जीवाड़े की जानकारी मिलने के बाद एजाज इल्मी के बड़े भाई राशिद इल्मी ने 18 जुलाई 2008 को तहसीलदार न्यायिक न्यायालय में पुनर्स्थापना प्रार्थना पत्र दिया. एजाज बताते हैं कि इस दौरान इसरार दावेदारी छोड़ने के लिए लगातार धमकी देता रहा. वहीं इल्मी परिवार अधिकारियों को जल्द से जल्द न्याय के लिए पत्र लिखता रहा. 2009 में बहराइच से बसपा विधायक वारिस अली ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती को भी इस संबंध में पत्र लिखा और पूरे मामले की जानकारी दी. तमाम कोशिशों के बाद 10 अगस्त 2015 को जमीन का नामांतरण आदेश निरस्त कर पुनर्स्थापित करने का आदेश पारित कर दिया. इसके बाद इकराम हुसैन ने उपजिला मजिस्ट्रेट के यहां अपील दायर की जिसे न्यायालय ने 11 मई 2016 को रद्द कर दिया.
मामले में कार्रवाई न हो उसके लिए अपील इकराम के लिए नया हथियार बन गया है. एजाज बताते हैं, ‘‘लखीमपुर खीरी उपजिलाधिकारी कार्यालय ने कई बार इकराम को उपस्थित होने का नोटिस भेजा लेकिन वो उपस्थित होने की बजाय अपील लगाकर मामले को कुछ दिन के लिए टाल देते हैं. 2017 में भी उपजिलाधिकारी ने इकराम को साक्ष्यों के साथ मामले में अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया. नोटिस में कहा गया कि समय पर नहीं आने पर समझा जाएगा कि आपको इस संबंध में कुछ नहीं कहना है. इसके बाद आप पर कार्रवाई होगी. उस बार भी वो नहीं आया.’’
इसी साल सितंबर महीने में राजस्व परिषद के आयुक्त एवं सचिव की तरफ से लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी को पत्र लिखा गया. जिसमें बताया गया कि प्रार्थी द्वारा अवगत कराया गया कि जिलाधिकारी के आदेश दिनाक 27 जुलाई 2015 एवं अपर आयुक्त के आदेश दिनांक 31 अगस्त 2021 के बावजूद तहसीलदार न्यायालय में लंबित पड़ा हुआ है और कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. तत्काल इस मामले में कार्रवाई कर परिषद को जानकारी दें.
इस दौरान उत्तर प्रदेश में तीन सरकार बदल गईं. 2017 में जब यूपी में बीजेपी की सरकार आई तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भू-माफियों की हमारी सरकार में कोई जगह नहीं होगी. लेकिन एजाज इल्मी की यह कहानी बताती है कि भू-माफियाओं की कितनी पकड़ है. और कैसे तमाम सरकारें उनपर लगाम लगाने में असफल रहीं.
एजाज कहते हैं, ‘‘इस मामले में क्या कार्रवाई हुई इसकी जानकारी हमें नहीं है. 2015 जिलाधिकारी द्वारा सख्त आदेश के बावजूद स्थानीय स्तर के अधिकारी इस मामले को खत्म नहीं करना चाहते. क्योंकि उन्हें मालूम है कि तत्कालीन स्थानीय अधिकारियों की इस पूरे मामले में मिलीभगत है. 2015 में जिलाधिकारी ने कहा था कि शीघ्र की ही इस मामले का निपटारा किया जाए. शीघ्र निपटारा करते-करते छह साल हो गए. अब परिषद ने तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया है. देखना होगा कि तत्काल कितने दिन चलता है.’’
व्यवस्था से खफा एजाज आगे कहते हैं, ‘‘अपनी जमीन की लड़ाई हम बीते 14 साल से लड़ रहे हैं. लेकिन कोई फैसला नहीं हो रहा है. वर्तमान में जमीन प्रशासन के कब्जे में है. व्यवस्था का दुष्चक्र ऐसा है कि आम आदमी इसमें बंधकर रह जाए. जिस शख्स के निधन पर हजारों लोग शामिल हुए. मुख्यमंत्री से लेकर तमाम लोगों ने शोक जाहिर किया. जिनका एक नाम था. उनके निधन के 16 साल बाद उनके नाम पर फर्जीवाड़ा हुआ और प्रशासन ने चुपचाप होने दिया.’’
न्यूज़लॉन्ड्री ने इकराम हुसैन से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन बात नहीं हो पाई. वहीं लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी महेंद्र बहादुर सिंह से इस मामले को लेकर सवाल किया तो वे कहते हैं, ''आप हमें इस मामले का डॉक्यूमेंट भेज दीजिए. हम उसे देखकर जवाब देंगे.’’
हमने उन्हें सितंबर 2021 में राजस्व परिषद के आयुक्त एवं सचिव द्वारा भेजा पत्र साझा किया है. अगर उनका जवाब आता है तो खबर में जोड़ दिया जाएगा.