दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
पूरे ब्रह्मांड में सबसे इन्सिक्योर्ड बोले तो असुरक्षा के भाव से पीड़ित व्यक्ति हैं देवताओं के राजा इंद्र. अनगिनत जनश्रुतियों, कथा-कहानियों, किंवदंतियों में हमने सुना है कि इंद्र ने अपनी अप्सराओं का मिसयूज़ करके ऋषियों, मुनियों, तपस्वियों, मनुष्यों की तपस्या भंग की. इंद्र को हमेशा ये डर सताता था कि तपस्या के जरिए उनके दरबार पर कब्जा किया जा सकता है. हनी ट्रैप के एनशिएंट आविष्कारक इंद्र देव ही थे. महर्षि विश्वामित्र और मेनका का फेक लव अफेयर हनी ट्रैप का सबसे ज्वलंत उदाहरण है.
मॉडर्न संत-फकीरों की तपस्या भंग करने के षडयंत्र आज भी जारी हैं. इन दिनों इंद्र और मेनका की उपस्थिति के प्रमाण तो नहीं मिलते, हल चलाने वाले किसान ही तपस्या की खेत जोत दे रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसी ही एक तपस्या उस बुरे वक्त में शुरू की थी जब पूरा देश कोरोना के शुरुआती चपेट में था. प्रधानजी की तपस्या बहुत लंबी चली, उनकी तपस्या के कई चरण हैं. हम एक-एक कर उनकी तपस्या का लेखाजोखा आपके सामने रखेंगे.
इसी दौरान कंगना रनौत का कुत्ता फिर से फेल हो गया. उसने आज़ादी के आंदोलन के नायकों के खिलाफ तमाम अश्लील, अभद्र बातें कही, गांधीजी के प्रति अनर्गल बयानबाजी की, लेकिन चैनलों पर तब तक शांति रही जब तक कि इनको बैलेंस करने के लिए एक नया शिकार नहीं मिल गया. स्टैंडअप कमेडियन वीरदास इन चैनलों के लिए बैलेंस की वो लग्घी लेकर आए जिस पर टिकाकर इन चैनलों ने राष्ट्रवाद का परचम फहराया.
कंगना ने जो बातें कही वह तथ्यात्मक रूप से गलत है, ऐतिहासिक रूप से अनपढ़ होने की मुनादी है. जबकि वीरदास ने जो कहा वह समाज के ऊपर टिप्पणी है, उसकी बुराइयों की स्वीकार्यता है. ये ऐसी बातें हैं जिन पर थोड़ा शांति और गंभीरता से विचार करने की जरूरत है वरना इन खबरिया चैनलों की दुकान ही देश की आहत भावनाओं को हवा देने से चल रही है. इन खबरों को इकट्ठा करने, आप तक पहुंचाने के लिए हमें संसाधनों की जरूरत है. न्यूज़लॉन्ड्री किसी भी तरह के विज्ञापन से मुक्त एक मीडिया मंच है जिसे आप यानी हमारे सब्सक्राइबर चलाते हैं, तो न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब कर हमारा हाथ मजबूत करें और गर्व से कहें मेरे खर्च पर आज़ाद हैं खबरें.
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