भारत में हेट स्पीच और ध्रुवीकरण से जुड़े पोस्ट से फेसबुक को कोई दिक्कत नहीं

पहले फेसबुक की पूर्व डेटा साइंटिस्ट फ्रांसिस हॉगन द्वारा जारी कागजातों में बताया गया था कि फेसबुक भारत में हेट स्पीच को लेकर बढ़ावा दे रहा है.

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हेट स्पीच और भ्रामक सूचनाओं को लेकर लगातार सवालों के घेरे में रही सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक एक बार फिर चर्चा में है.

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018 से 2019 के बीच में अल्पसंख्यक समुदायों को बदनाम करने वाली सामग्री, हेट स्पीच और फेक न्यूज़ के कंटेंट को लेकर कंपनी की बैठक में आंतरिक रूप से सवाल उठाए गए थे. लेकिन फेसबुक के तत्कालीन उपाध्यक्ष क्रिस कॉक्स ने 2019 में की ही की गई मीटिंग में हेट स्पीच से लेकर समुदाय विशेष के खिलाफ चल रहे आपत्तिजनक कंटेंट को लेकर कोई समस्या नहीं दिखी. यह बात कंपनी के कर्मचारी के अंतरिम मेमो में सामने आई है.

इससे पहले फेसबुक की पूर्व डेटा साइंटिस्ट फ्रांसिस हॉगन द्वारा जारी कागजातों में बताया गया था कि फेसबुक भारत में हेट स्पीच को लेकर बढ़ावा दे रहा है.

अमेरिकी कांग्रेस द्वारा प्राप्त संशोधित संस्करणों की समीक्षा अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों समेत इंडियन एक्सप्रेस ने भी की है. क्रिस कॉक्स के साथ हुई जिस मीटिंग में हेट स्पीच का मुद्दा उठाया गया था, वह चुनाव आयोग द्वारा 2019 लोकसभा चुनावों की घोषणा से एक महीने पहले हुई थी.

फेसबुक की पूर्व कर्मचारी हॉगन ने यह कागजात अमेरिका कांग्रेस को भी दिया है. बता दें कि दो साल पहले फेसबुक ने भारत में टेस्टिंग के लिए एक अकाउंट बनाया था. इस अकाउंट के जरिये फेसबुक ने जाना कि कैसे उसका खुद का एल्गोरिदम हेट स्पीच और फेक न्यूज़ को बढ़ावा दे रहा है.

हॉगन द्वारा जारी दस्तावेजों में बताया गया था, कंपनी का आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) ’स्थानीय भाषाओं’ की जानकारी ना होने के कारण हेट स्पीच वाले कंटेंट की पहचान नहीं कर पाया. साथ ही अब कर्मचारियों के अंतरिम मेमो बताया गया है कि हिंदी और बांग्ला भाषा में बहुत से कंटेंट बिना किसी जांच के प्रकाशित हो रहे हैं.

इससे पहले न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि भारत में मान्यता प्राप्त 22 भाषाओं में से केवल पांच भाषाओं में ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के आधार पर सामग्री का विश्लेषण करने की सुविधा है, लेकिन इनमें हिंदी और बांग्ला भाषा अबतक शामिल नहीं है.

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