सुप्रीम कोर्ट के वकीलों की एक टीम ने पड़ताल में यह पाया कि हाल ही में त्रिपुरा में हुई हिंसक झड़प में कट्टरपंथी संगठनों ने 12 मस्जिदों, 9 दुकानों और तीन घरों को बर्बाद कर दिया.
बता दें 13 अक्टूबर को पड़ोसी देश बांग्लादेश से सांप्रदायिक हिंसा की खबरें आई थीं. बांग्लादेश में दुर्गा पूजा समारोह के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा और हाथापाई में कम से कम छह लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए थे. इस हिंसा की शुरुआत एक अफवाह से हुई थी. कोमिल्ला जिले के एक दुर्गा पंडाल के बारे में सोशल मीडिया पर अफवाह उड़ी कि वहां कुरान को रखा गया है और उसका अपमान किया गया है. इसके बाद दुर्ग पंडाल को निशाना बनाया गया.
भारत में भी अलग-अलग हिंदू संगठनों ने बांग्लादेश में हुई हिंसा का विरोध किया. इसी क्रम में उत्तर त्रिपुरा जिले के पानीसागर उपमंडल के चमटीला में विश्व हिंदू परिषद् (वीएचपी) की एक रैली के दौरान एक मस्जिद में तोड़फोड़ की हिंसक घटना सामने आई.
वकीलों द्वारा इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के वकीलों की एक जांच टीम का गठन किया गया जिसने त्रिपुरा में हुई हिंसा की पड़ताल की. इस टीम ने हिंसा के घटनास्थल पर पहुंचकर पीड़ितों से बातचीत की. इसका ज़िक्र रिपोर्ट में किया गया है.
40 वर्षीय आमिरुद्दीन पानीसागर के रवा बाजार में सब्जी बेचा करते थे. हिंसक झड़प के दौरान उनकी दुकान को जला दिया गया. वह कहते हैं, "मैं पिछले 20 सालों से दुकान चला रहा हूं. इतनी भयानक घटना कभी नहीं देखी. कुछ लोग आए और उन्होंने मेरी दुकान जला दी. मुझे छह लाख रूपए का नुक्सान हुआ है." रिपोर्ट में इस घटना का अनुभव साझा करते हुए लिखा गया है कि आमिरुद्दीन प्रशासनिक डर से उनकी दुकान को जलाने वाले का नाम नहीं बताना चाहते थे.
34 वर्षीय आमिर हुसैन रवा बाजार में इलेक्ट्रिक उपकरणों की दुकान चलाते हैं. उन्होंने वकील एहतेशाम हाशमी के साथ अपना अनुभव साझा किया. आमिर हुसैन कहते हैं, "मेरी दुकान के बगल में हिन्दू परिवार रहता है. यह घर मानिक देबनाथ का है. जब दंगाई मेरी दुकान को जलाने के लिए आए तब देबनाथ दुकान के सामने आकर खड़ा हो गया और कहने लगा कि इनकी दुकान मत जलाओ वरना मेरा घर भी जल जाएगा. दंगाइयों ने मेरी दुकान तो नहीं जलाई लेकिन वह मेरी दुकान लूटकर ले गए. उन्होंने लैपटॉप, प्रिंटर और इलेक्ट्रिक मोटर चुरा लिए. साथ ही दुकान में तोड़फोड़ भी की. इन सबसे मुझे करीब 10 लाख रुपए का नुकसान हुआ है जबकि सरकार ने मात्र 26 हजार रूपए का मुआवजा दिया है."
इस टीम में शामिल वकीलों ने 8 मांगे रखी हैं. इस घटना के कारण जिन लोगों के व्यवसाय को आर्थिक नुकसान हुआ है, उन्हें राज्य सरकार द्वारा उचित मुआवजा मिलना चाहिए. साथ ही आगजनी और तोड़फोड़ में क्षतिग्रस्त हुए धार्मिक स्थलों को दोबारा बनाया जाए जिसके लिए सरकार पैसा दे, और आपत्तिजनक नारे लगाने वाले लोगों और संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए .
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