जलवायु परिवर्तन: दुनियाभर में 180 करोड़ लोगों पर खतरे की आशंका

उष्णकटिबंधीय चक्रवात पहले ही दुनिया की सबसे विनाशकारी प्राकृतिक आपदाओं में से एक हैं, जिनके चलते पहले ही हर साल करीब 15 करोड़ लोगों का जीवन खतरे में है.

WrittenBy:ललित मौर्या
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हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के हवाले से पता चला था कि पिछले 50 वर्षों में मौसम और जलवायु से जुड़ी आपदाओं में अब तक 20 लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है, साथ ही इनसे करीब 266 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, जिसमें तूफानों से होने वाला नुकसान भी शामिल है.

यदि इस अवधि की 10 सबसे विनाशकारी आपदाओं की बात करें तो उनमें उष्णकटिबंधीय तूफान, सूखे के बाद दूसरे स्थान पर थे, जिनमें करीब 577,232 लोगों की जान गई थी, जोकि पिछले 50 वर्षों के दौरान मौसम और जलवायु सम्बन्धी आपदाओं में मारे गए लोगों का करीब 38 फीसदी है. इस रिपोर्ट में भी तापमान में हो रही वृद्धि को उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की संख्या और तीव्रता में हो रही वृद्धि के लिए जिम्मेवार माना है.

वहीं यदि तापमान में हो रही वृद्धि की बात करें तो संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी एक हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि इस बात की करीब 40 फीसदी संभावनाएं है कि अगले पांच वर्षों में वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर जाएगी.

गौरतलब है कि 2020 अब तक का सबसे गर्म वर्ष था जब तापमान में हो रही वृद्धि 1.28 डिग्री सेल्सियस दर्ज की गई थी. जबकि संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकाशित "एमिशन गैप रिपोर्ट 2020" के अनुसार सदी के अंत तक तापमान में हो रही वृद्धि 3.2 डिग्री सेल्सियस के पार चली जाएगी. ऐसे में उष्णकटिबंधीय तूफानों के बढ़ते खतरे से बचने के लिए यह जरूरी है कि तापमान में हो रही वृद्धि को रोकने के लिए जितना जल्द हो सके ठोस कदम उठाएं जाएं.

(डाउन टू अर्थ से साभार)

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