पंजाब-हरियाणा: कैप्टन और चौटाला की राजनीति का भविष्य

पंजाब और हरियाणा के शांतिपूर्ण किसानों की जिद के आगे सत्‍ता के गलियारों में भयंकर बेचैनी है.

Article image

ताऊ देवीलाल के सम्मान में तीसरे मोर्चे की झलक

बीते 25 सितम्बर को जींद में देवीलाल जयंती पर हुई सम्मान रैली में जुटी भीड़ और अप्रत्याशित रूप से पहुँचे भाजपा नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री वीरेन्‍द्र सिंह द्वारा मंच से ताऊ देवीलाल की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री के पद को किसी और के लिए त्याग करने की उनकी कुर्बानी को प्रेरणा का स्रोत बताने ने हरियाणा की राजनीति‍ के ठहरे पानी में गहरी हलचल पैदा कर दी है. ज्ञात रहे कि वीरेन्‍द्र सिंह के पुत्र ब्रिजेंदर सिंह वर्तमान में हिसार लोकसभा से भाजपा के सांसद हैं.

imageby :

अगस्त 2014 में वीरेन्‍द्र सिंह ने जींद में ही हरियाणा चुनाव से ऐन पहले हुई भाजपा की रैली में मोदी लहर के चलते अपनी चार दशक पुरानी कांग्रेस पार्टी छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था. पहली मोदी कैबिनेट में वीरेन्‍द्र सिंह ने केन्द्रीय मंत्री का पद प्राप्त किया. 2019 में अपने बेटे को हिसार लोकसभा से प्रत्याशी बनाने में सफल हुए. दिसम्बर 2020 आते-आते तीन नये कृषि कानूनों के विरोध में आरम्भ हुए किसान आंदोलन के पक्ष में बोलते हुए उन्‍होंने कहा कि ये आंदोलन ‘प्रत्येक आमजन’ का अन्दोलन है. किसान अन्दोलन के नौ माह पूरे होने पर वीरेन्‍द्र सिंह ने कहा था कि समय आ गया है कि एक गलती को सुधारा जाय, सरकार को कोई सौहार्दपूर्ण हल निकालना चाहिए.

वीरेन्‍द्र सिंह के यूं इनेलो की रैली में पहुँचने को एक ओर जहां अचरज से देखा जा रहा है वहीं कई तरह की अटकलें भी राजनीतिक गलियारों में रेंगने लगी हैं. कृषि कानूनों के विरुद्ध उपजे आंदोलन के विस्तार में हरियाणा के किसानों, ग्रामीण वर्ग व शहरी आमजन का जिस प्रकार योगदान हुआ उसने प्रदेश के अन्य राजनीतिक दलों की चिंताएं बढ़ा दी हैं. किसान आंदोलन के शांतिपूर्वक रहते हुए इतना लम्बा खिंच जाने से चिंताएं केन्द्रीय सरकार व ‘प्रधान सेवक’ की भी बढ़ी हुई हैं. अन्य प्रदेशों में होने वाले चुनावों, विशेषकर उतर प्रदेश में किसान अन्दोलन के प्रभावों को कम करने के लिए मोदी व भाजपा कई रणनीतियों पर समानान्तर काम कर रही है, यह भी अनदेखा नहीं किया जा सकता.

पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल की 108वीं जयंती के मौके पर शनिवार को जींद में इनेलो ने ओमप्रकाश चौटाला की अगुवाई में अपनी ‘खोयी हुई राजनीतिक जमीन’ को फिर से हासिल करने के लिए सम्मान दिवस रैली का आयोजन किया था. शिक्षकों की नियुक्ति में भ्रष्टाचार के मामले में अपनी सजा पूरी कर चुके 86 वर्षीय चौटाला एक बार फिर से राजनीति‍ में सक्रिय हो गए हैं. इनेलो का समर्थक मतदाता आधार अधिकतर किसान कमेरा मजदूर व ग्रामीण वर्ग में ही है. ओमप्रकाश चौटाला ने फिर से अपने परम्परागत वोट बैंक को केन्द्रित किया है.

imageby :

देवीलाल के पौत्र ओम प्रकाश चौटाला के पुत्र अभय सिंह चौटाला ने किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए वर्तमान सरकार के द्वारा अपनाये गए असंवेदनशील रुख व हठधर्मिता के खिलाफ फरवरी 2021 में हरियाणा विधानसभा से त्यागपत्र दे दिया था, लेकिन विगत में ओम प्रकाश चौटाला भाजपा से समझौता करके प्रदेश में मुख्यमंत्री बन कर सरकार चला चुके हैं यह भी भूलने योग्य नहीं है.

रैली में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला, जदयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी, वरिष्ठ भाजपा नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र सिंह जैसे बड़े नेताओं ने शिरकत की. रालोद के जयंत चौधरी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव इनेलो की रैली में नहीं पहुँचे. ओम प्रकाश चौटाला एक गैर-कांग्रेस गैर-भाजपा तीसरा मोर्चा बनाने के प्रयासों में लगे हैं. जिन राजनीतिक दलों को चौटाला एकजुट करने में लगे हैं वो सभी दल मूलरूप से कांग्रेस के विरोधी रहे हैं.

कृषि कानूनों पर हस्ताक्षर कर और इनके लाभों की व्याख्या करने वाले पंजाब के अकाली दल ने प्रदेश के पिछले चुनावों में बेअदबी मामले मे पंथक वोट चुकने के बाद अपने मजबूत किसान वोट को पंजाब में खो लिया है. पंजाब में भाजपा के साथ अकाली दल का भी भारी विरोध किसानों द्वारा किया जा रहा है. अब अकाली दल द्वारा गैर-कांग्रेस गैर-भाजपा तीसरे मोर्चे को बनाने का आह्वान करना समान्य समझ से परे है.

रैली में चौटाला ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने साजिश और षड्यंत्र के तहत उन्‍हें 10 साल के लिए जेल भिजवाया. अब भविष्य में प्रदेश में इनेलो की सरकार बनेगी. चौटाला ने कहा कि ”किसान अन्दोलन कभी फेल नहीं हुए. किसान अन्दोलन ने भाईचारे को मजबूत किया है. अब एकजुट होकर इस वर्तमान लुटेरी सरकार को सत्ता से उखाड फेंकना है.” चौटाला ने आगे कहा कि ऐलनाबाद के उपचुनाव में इनेलो की जीत के बाद प्रदेश सरकार में भगदड़ मच जाएगी ओर जो लोग इनके साथ गठबंधन में हैं वो इनको छोड़ कर वापिस हमारे साथ शामिल हो जाएंगे. ये सरकार अल्पमत में आ जाएगी, तब निश्चित रूप से मध्यावधि चुनाव होंगे.

imageby :

चौटाला ने अपने संबोधन में कांग्रेस पार्टी पर खास तौर पर निशाना साधा. कांग्रेस पार्टी ने आरम्भ से ही किसान आंदोलन को समर्थन की खुली घोषणा कर दी थी. किसानों के हितैषी होने का दावा करने वाले चौटाला पूरे संबोधन में मोदी सरकार द्वारा लाये गए तीनों कृषि कानूनों के प्रावधानों से भविष्य में होने वाले प्रभावों पर बोलने से बचते रहे. रैली से एक दिन पहले टाइम्‍स ऑफ इंडिया के सवाल के जवाब में चौटाला ने दुष्यंत चौटाला की इनेलो में वापसी की संभावनाओं को भी पूर्ण खारिज नहीं किया. यहां याद रखना लाज़िम हो जाता है कि जजपा ने 2019 में भाजपा, मोदी, खट्टर व कांग्रेस के विरोध को ही अपना आधार बना कर चुनाव लड़ा था और जीतने के बाद भाजपा को समर्थन दे कर प्रदेश में भाजपा की गठबंधन सरकार बनवायी थी.

कुछ दिन पहले बसपा हरियाणा के अध्यक्ष रहे जगदीश झींडा अचानक फिर से सक्रिय हो गये और करनाल में एक गुरुद्वारा में प्रेस वार्ता करने को लेकर गुरुद्वारा प्रबंधन से तकरार करके माहौल को अस्थिर करने के प्रयास किये जिसमें स्थानीय प्रशासन ने हस्तक्षेप करके मामले को संभाला. किसानों के मुआवजे में किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी द्वारा कथित अनियमितताओं के आरोप लगाए. कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, अम्बाला में सिख किसानों की बहुतायत है.

(साभार - जनपथ)

Also see
article imageहरियाणा सरकार ने मांगी 'निगेटिव और पॉजिटिव' कवरेज कर रहे मीडिया संस्थानों की सूची
article imageक्या कृषि कानूनों के खिलाफ सिर्फ पंजाब के किसान आंदोलन कर रहे हैं?

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like