पाञ्चजन्य के संपादक ने क्यों फैलाई मंदिर तोड़ने की अफवाह

सामने आया है कि पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने ट्विटर पर पूरी तरह से आधारहीन और भ्रामक दावा किया.

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पूरा मामला क्या है

विवाद बढ़ने पर शंकर ने अपने ट्वीट में एक पत्र भी साझा किया. यह पत्र सईद फैजुल अजीम उर्फ अर्सी ने दिल्ली पुलिस के एसीपी को 10 सिंतबर को लिखा था. जिसमें कहा गया है- “इस जमीन पर बने मंदिर में स्थानीय लोग कई सालों से पूजा करते आ रहे हैं. यहां हो रही तोड़फोड़ से सांप्रदायिक घटना हो सकती है, इसलिए पुलिस कोई कार्रवाई करें.”

सईद फैजूल अजीम उर्फ अर्सी न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, “यह जमीन जोहरी लाल की है और यहां करीब 50 साल से मंदिर और धर्मशाला बनी है. यहां रहने वाले स्थानीय लोग मंदिर में पूजा करते हैं. यह लोग धर्मशाला को तोड़कर वहां बिल्डिंग बना रहे थे. इसलिए हमने पुलिस को सूचना दी, ताकि कोई सांप्रदायिक घटना ना हो.”

पुलिस को आवेदन देने के साथ-साथ अर्सी ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की, जिस पर 24 सिंतबर (शुक्रवार) को सुनवाई हुई. अर्सी कहते हैं, “दिल्ली हाईकोर्ट ने हमारी याचिका पर सुनवाई करते हुए मंदिर के निर्माण कार्य पर रोक लगा दी. कोर्ट ने कहा कि इस जमीन पर कोई निर्माण नहीं हो सकता. यहां धर्मशाला और मंदिर ही रहेगा.”

क्या मंदिर में तोड़फोड़ की गई? इस पर वह कहते हैं, “अभी तक तो मंदिर नहीं तोड़ा गया. लेकिन उन लोगों ने धर्मशाला को तोड़ने के बाद मंदिर को ढ़क दिया था. मंदिर के कुछ हिस्सों में जरूर नुकसान हुआ है.”

न्यूज़लॉन्ड्री खुद मौके पहुंचा. हमने पाया कि मंदिर पूरी तरह से सुरक्षित था. बगल में धर्मशाला टूटी हुई थी. बाहर गेट पर ताला लगा था. स्थानीय लोगों ने भी बताया कि मंदिर ठीक है.

नूर नगर में कुछ ही घर हिंदुओं के हैं. जैसा हितेश शंकर के पहले ट्वीट से प्रतीत हो रहा है कि “मंदिर तोड़ने के बाद अब उसके निशान मिटाए जा रहे हैं.” ऐसा मौके पर नहीं है. वहां मौजूद गार्ड ने कहा, अंदर आने के लिए थाने से अनुमति लेनी होगी.

न्यूज़लॉन्ड्री ने हितेश शंकर से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. हमने उन्हें कुछ सवाल भेजे हैं लेकिन उनका भी कोई जवाब नहीं मिला.

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