एमएसपी की सिफारिश करने वाले आयोग (सीएसीपी) ने सरकार को उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार में लाभकारी मूल्य पर खरीद बढ़ाने के अलावा भारतीय खाद्य निगम (एफएसीआई) के केंद्रीय पूल में भंडारण के मानदंड को मौजूदा उपभोग और मांग के अनुरूप समीक्षा करने के लिए भी कहा है.
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, "प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई III) के जरिए खाद्यान्न के अतिरिक्त वितरण किए जाने के बावजूद 30 जून, 2021 को केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक बफर स्टॉकिंग मानदंड से दोगुना से अधिक था."
फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) ने बफर स्टॉक के नार्म तिमाही के हिसाब से तय किए हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2020 की तुलना में जुलाई 2021 (दोनों कोविड प्रभावित वर्ष) में चावल और गेहूं का भंडारण करीब 10 फीसदी तक बढ़ा है हालांकि दोनों वर्ष बफर स्टॉक मानदंड से करीब दोगुना है.
आयोग ने कहा कि मजबूत खरीद तंत्र से ही प्राइस सपोर्ट ऑपरेशन को प्रभावी बनाया जा सकता है. आयोग ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि देश में गेहूं उत्पादन में उत्तर प्रदेश (23.6 फीसदी), राजस्थान (10.3 फीसदी) और बिहार (6.3 प्रतिशत) सरप्लस बाजार है, लेकिन यहां से गेहूं की सरकारी खरीद में इन राज्यों का हिस्सा बहुत कम है. इसलिए इन राज्यों में किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए राज्यों द्वारा बुनियादी ढांचे का निर्माण और स्थानीय/अनुसूचित भाषाओं में भंडारण किसानों के बीच जागरूकता पैदा करके अधिक खरीद केंद्र खोलकर खरीद कार्यों को मजबूत किया जाना चाहिए.
बिस्वजीत धर ने बताया, "खुली खरीद के कारण पैदा होने वाली समस्या दरअसल खरीददारी और अनाज के सार्वजनिक वितरण के बिगड़े हुए तालमेल का नतीजा है. इस बिंदु पर सरकार को बहुत ध्यान से देखना होगा. देश में कुल उपभोग का 30 से 32 फीसदी ही अनाज एमएसपी पर खरीदा जाता है. यानी कुल अनाज का एक तिहाई खरीदा जाता है और इसके उलट सरकार योजनाओं के तहत दो तिहाई जनता (80 करोड़) को सस्ता अनाज देने का वादा कर रही है. यह संभव नहीं है."
(डाउन टू अर्थ से साभार)