दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
पिछले हफ्ते टिप्पणी नहीं हुई, इस दौरान बहुत कुछ हो गया. धृतराष्ट्र के दरबार में इस हफ्ते आयकर विभाग के सर्वे पर विस्तार से बातचीत हुई. बीते हफ्ते दो खास घटनाएं हुई. एक तो इंडियन एक्सप्रेस में उत्तर प्रदेश सरकार का एक विज्ञापन छपा जिसमें एक फ्लाइओवर की तस्वीर छपी. बाद में पाया गया कि जिस फ्लाइओवर को योगी के उत्तर प्रदेश का बताया गया था वह दरअसल पश्चिम बंगाल का था. अब यह तस्वीर उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से भेजी गई थी या इंडियन एक्सप्रेस ने खुद लगाई गई यह उन दोनों का द्विपक्षीय मामला है. लेकिन एक्सप्रेस समूह ने इस पर खेद जताकर इसे अपनी गलती बताया.
दूसरी घटना का जिक्र ऊपर आया है जिसमें आयकर विभाग की एक टीम न्यूज़लॉन्ड्री के दफ्तर पहुंची. दो महीनों के भीतर ऐसा दूसरी बार हुआ. ये दोनों घटनाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं. विज्ञापन की मजबूरी ऐसी है कि इंडियन एक्सप्रेस जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान को माफी मांगनी पड़ी ताकि विज्ञापन की कृपा बनी रहे. दूसरी घटना का संदेश ये है कि सब्सक्रिप्शन के जरिए जो मीडिया खड़ा होगा उसके ऊपर सरकार का डंडा पड़ेगा, आयकर विभाग की टीम उसका दरवाजा खटखटाएगी. यह आपकी ताकत है जिसके सहारे बीते कुछ दिनों में हमने जनहित से जुड़ी वो तमाम रिपोर्ट्स की हैं जिनसे सरकारों को दिक्कत हो रही है. हमारा कामकाज पूरी तरह से साफ-सुथरा और पारदर्शी है.
हमारी पत्रकारिता सिर्फ और सिर्फ जनहित को ध्यान में रखकर होती है. हम पूरी तरह से विज्ञापन से मुक्त हैं. इसलिए इस वक्त में हमें आपके समर्थन की पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है. हमारा भरोसा पहले से कही ज्यादा मजबूत हुआ है. हम जनहित और देशहित की पत्रकारिता करते रहेंगे. न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करके हमें मजबूत कीजिए. सरकार के आयकर विभाग वाले इस सर्वे को हम अपनी जनहित वाली पत्रकारिता का सर्टिफिकेट मानते हैं.