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नेटफ्लिक्स की एक वेबसीरीज़ है वाइल्ड वाइल्ड कंट्री. यह आध्यात्मिक गुरु ओशो के अमेरिका स्थित रजनीशपुरम धार्मिक समूह पर आधारित है. इसका मुख्य कथानक ओशो की अपने सबसे करीबी भक्त मां शीला आनंद के साथ टकराव पर बात करता है. यही वो कहानी है जिसने ओशो द्वारा स्थापित ओशो आश्रम के प्रति लोगों की धारणा को मजबूती दी. लेकिन इसके अलावा भी ओशो आश्रम से जुड़ी एक महत्वपूर्ण कहानी है जो बीते तीन दशकों से आकार ले रही है. यह कहानी कथित धोखे, लालच, सत्ता पर कब्जे की कहानी है. ओशो की हजारों करोड़ की संपत्ति और बौद्धिक संपदा इसके केंद्र में है.
यह कहानी शुरू हुई मां शीला के जेल जाने के साथ.
पुणे के आलीशान कोरेगांव पार्क का इलाका जहां मौजूद है ओशो आश्रम का बुद्ध ऑडिटोरियम. 19 जनवरी, 1990 की शाम, तकरीबन सात बजे का वक्त था. जब वहां ओशो के अनुयायियों की वाइटरोब ब्रदरहुड की बैठक चल रही थी. हाथ में माइक लिए हुए ओशो के निजी डॉक्टर जॉन एंड्रूज़ उर्फ़ स्वामी देवराज उर्फ़ स्वामी प्रेम अमृतो वहां मौजूद जमावड़े के सामने ओशो की मौत की घोषणा कर रहे थे.
दर्शकों के बीच सबसे आगे की कतार में ओशो के एक और अनुयायी माइकल ओ बायर्न उर्फ़ स्वामी आनंद जयेश ध्यान से उनकी बातें सुन रहे थे. ब्रिटिश मूल के एंड्रूज़ (अमृतो) और कनाडाई मूल के बायर्न (जयेश) वो दो शख्स थे जो ओशो के साथ अंतिम वक्त में उनके कमरे में मौजूद थे.
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