जलियांवाला बाग: धरोहर को ध्वस्त करने वाला विकास

संरक्षण और सुंदरीकरण का अंतर न पता हो तो इतिहास वर्तमान बन जाता है

   
  • Share this article on whatsapp

हाल ही में जलियांवाला बाग में हुए नवीनीकरण कार्य का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी ने किया. लेकिन इस नवीनीकरण ने इतिहासकारों और राजनेताओं के एक वर्ग को बुरी तरह से नाराज कर दिया. इस घटना से ऐतिहासिक महत्व के स्थलों के नवीनीकरण या संरक्षण की बहस छिड़ गई है. इतिहासकारों ने स्मारक में किये काम को इतिहास से छेड़छाड़ करार दिया है. साथ ही उनका कहना है कि आजादी की लड़ाई में एक शहादत स्थल के तौर पर यह जगह बेहद पवित्र और सम्मानीय है. इसका नवीनीकरण करना और इसे पर्यटक स्थल बनाने की कोशिश शहीदों का अपमान है.

जलियांवाला बाग परियोजना को एएसआई और एनबीसीसी द्वारा पूरा किया गया था. अमृतसर के इस ऐतिहासिक स्थल पर कई बदलाव लाए गए हैं. मुख्य स्मारक की मरम्मत की गई है. शौचालय, टिकट काउंटर और पीने के पानी जैसी सुविधाओं को जोड़ा गया है. प्रवेश और निकास द्वार को बदल दिया गया है और मुख्य स्मारक के चारों ओर एक कमल तालाब बनाया गया है. रास्तों को चौड़ा किया गया है. हर दिन शाम को एक लाइट साउंड शो का भी आयोजन किया जाएगा. नानकशाही ईंटों से बना संकरा प्रवेश द्वार, जिसको पार करते हुए डायर के सैनिकों ने बाग में मार्च किया था, पिछले साल जुलाई में, इसे चित्रों की एक गैलरी में बदल दिया गया. इसके बाद से यह गली पूरी तरह से अपने असल ऐतिहासिक रूप से अलग दिखने लगी है.

सारांश के इस एपिसोड में हम जानेंगे कि किस तरह सरकारें संरक्षण के नाम पर ऐतिहासिक धरोहरों का नवीनीकरण कर मनमर्जी करती हैं.

subscription-appeal-image

Support Independent Media

The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.

Contribute
Also see
article imageइतिहास के स्टोररूम में सब कुछ संजोने लायक नहीं होता
article imageजब इतिहास लिखा जायेगा तो इसका ज़िक्र ज़रूर होगा कि कैसे यहां से कोरोना फैला
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like