लालकृष्ण आडवाणी के खास माने जाने वाले चंदन मित्रा ने 2018 में भाजपा छोड़ दी थी और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
द पायनियर के संपादक, वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व राज्यसभा सांसद चंदन मित्रा का निधन हो गया है. 65 वर्षीय मित्रा कई दिनों से बीमार चल रहे थे. उनके बेटे कुशन मित्रा ने उनके निधन की जानकारी ट्वीट कर दी.
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Contributeद पायनियर अखबार के एडिटर इन चीफ और मैनेजिंग डायरेक्टर चंदन मित्रा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताया और उन्हें श्रद्धांजलि दी.
पीएम ने ट्वीट कर कहा, "श्री चंदन मित्रा जी को उनकी बुद्धि और अंतर्दृष्टि के लिए याद किया जाएगा. उन्होंने मीडिया के साथ-साथ राजनीति की दुनिया में भी अपनी पहचान बनाई. उनके निधन से आहत हूं. उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना. ओम शांति.”
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी चंदन मित्रा के निधन पर शोक जताया है. राष्ट्रपति ने ट्वीट कर कहा, “चंदन मित्रा एक उत्कृष्ट पत्रकार थे और एक सांसद के रूप में उनके कार्यकाल ने उनकी प्रतिष्ठा में इजाफा किया. उनके निधन से भारतीय पत्रकारिता में एक खालीपन आ गया है. उनके परिवार और दोस्तों के प्रति मेरी संवेदना.”
बता दें कि जून 2021 में चंदन मित्रा ने द पायनियर अखबार के प्रकाशक के पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके चलते दिवालिया घोषित किए जाने की प्रकिया में एनसीएलटी ने नरेंद्र कुमार को प्रकाशक बना दिया था.
1864 से चल रहे प्रतिष्ठित द पायनियर अखबार का मालिकाना हक चंदन मित्रा के हाथों में साल 1998 में आया. उसी साल जब पहली बार बीजेपी की सरकार सत्ता में आई.
द ट्रिब्यून में छपे एक लेख के मुताबिक, चंदन मित्रा के पास पायनियर अखबार का मालिकाना हक बिना कुछ खर्च किए ही हासिल हो गया. इसका कारण थे बीजेपी नेता एलके आडवाणी. साल 2004 में जब बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई तब, द पायनियर के कंचन गुप्ता, स्वपन दासगुप्ता, ए सूर्या प्रकाश और उदयन नंभोदरी ने बतौर संपादक के पद से इस्तीफा दे दिया था.
बीजेपी से नजदीकियों की वजह से चंदन मित्रा साल 2003 में राज्यसभा के लिए मनोनित किए गए. 2009 में टर्म खत्म होने के बाद फिर से बीजेपी ने उन्हें साल 2010 में राज्यसभा के लिए मनोनित किया.
लालकृष्ण आडवाणी के खास माने जाने वाले चंदन मित्रा ने 2018 में भाजपा छोड़ दी थी और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
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