छोटे और मझोले किसानों की पोल्ट्री भी अब एक नई गाइडलाइन के दायरे में होगी

छोटे और मध्यम आकार वाले करीब 25 करोड़ से अधिक पोल्ट्री को भी चारे में एंटीबायोटिक के इस्तेमाल की रोकथाम पर ध्यान देने की बात कही गई है.

WrittenBy:विवेक मिश्रा
Date:
Article image
  • Share this article on whatsapp

नई गाइडलाइन में प्रमुख प्रावधान

- गैसीय उत्सर्जन और मल-मूत्र व कचरा पोल्ट्री की एक बड़ी समस्या है. पोल्ट्री पक्षियों के मल से अमोनिया (एनएच3) और हाइड्रोजन सल्फाइड (एच2एस) का गैसीय उत्सर्जन होता है जो कि गंध पैदा करता है. एक ही जगह पर लंबे समय के लिए मल को एकत्रित करने से मीथेन गैस गंध के साथ पैदा होती है. ऐसे में छोटे और मध्यम पोल्ट्री को इन सब बातों का अब ध्यान रखना होगा.

- गाइडलाइन में कहा गया है कि पोल्ट्री से होने वाली गैसीय प्रदूषण को कम करने के लिए हवादार कमरा होना चाहिए. साथ ही पोल्ट्री की खाद (मैन्योर) बहते हुए पानी या किसी अन्य कीटनाशक से न मिलने पाए, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए. वहीं, पोल्ट्री में मर जाने वाले पक्षियों को रोजाना हटाना और बिना पर्यावरण नुकसान पहुंचाए दफनाने के लिए भी जोर दिया गया है. मसलन भू-जल स्तर से तीन मीटर ऊपर दफन करना चाहिए.

- फार्म में बर्ड्स के बीच उचित दूरी बनाने और चूहे और मक्खियों से बचाव के लिए भी उचित प्रबंध करने को कहा गया है.

- इसके अलावा चारे की मिक्सिंग और उन्हें तैयार करते समय उड़ने वाली धूल भी लोगों को परेशान करती है. इसके लिए एक कक्ष ऐसा गेट पर ही बनाना होगा जहां मिक्सिंग के दौरान धूल न उड़े.

- छोटे और मध्य्म आकार वाले पोल्ट्री फार्म के किसानों को खाद की व्यवस्था करनी होगी. मसलन छोटे पोल्ट्री में कंपोस्टिंग और मध्ययम आकार वाले कंपोस्टिंग के साथ बायोगैस की व्यवस्था भी करनी होगी.

- पोल्ट्री में पानी का इस्तेमाल करने के बाद उसे टैंक में एकत्र करना होगा. इस पानी का इस्तेमाल बागबानी में करने का सुझाव दिया गया है.

- राज्य और जिला स्तर पर गाइडलाइन पालन कराने की जिम्मेदारी एनिमल हसबेंडरी डिपार्टमेंट की होगी.

पोल्ट्री स्थापित करने का दायरा

- आवासीय इलाके से 500 दूर

- नदी, झील, नहर और पेयजल स्रोतों से 100 मीटर की दूरी

- राष्ट्रीय राजमार्ग से 100 मीटर और गांव की पगडंडी व ग्रामीण सड़क से 10-15 की दूरी

(साभार- डाउन टू अर्थ)

Also see
article imageकरनाल लाठीचार्ज: परिवार का आरोप- पुलिस के पीटने से हुई किसान सुशील की मौत
article imageपाठकों से छल: कैसे भारत के अखबार और पत्रिकाएं विज्ञापनों को खबरों की तरह दिखाते हैं
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like