जिस वीडियो के आधार पर उमर खालिद पर कार्रवाई हुई वह भाजपा आईटी सेल के अध्यक्ष अमित मालवीय के ट्वीट से लिया गया था.
दिल्ली दंगों में हिंसा भड़काने के आरोप में जेल में बंद जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई. कोर्ट में सुनवाई के दौरान उमर के वकील त्रिदीप पाइस ने बताया कि, रिपब्लिक टीवी और न्यूज 18 ने पिछले साल 17 फरवरी को अमरावती, महाराष्ट्र में खालिद द्वारा दिए गए भाषण का छोटा हिस्सा चलाया ना कि पूरा वीडियो.
पाइस ने कहा कि इस वीडियो में न्यूज 18 ने खालिद द्वारा एकता और सद्भाव को लेकर दिए गए हिस्से को हटा दिया. इस केस में दिल्ली पुलिस के पास रिपब्लिक टीवी और न्यूज 18 के वीडियो के अलावा कुछ नहीं था.
अदालत में पाइस ने रिपब्लिक टीवी द्वारा उमर के चलाए गए वीडियो को लेकर चैनल से पूछे गए जवाब को पढ़ा. जिसमें रिपब्लिक टीवी ने बताया, “वह वीडियो फुटेज उनके कैमरामैन ने रिकार्ड नहीं किया था बल्कि अमित मालवीय के एक पोस्ट से लिया गया था.”
बता दें कि अमित मालवीय भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) आईटी सेल के प्रमुख हैं.
इस पर पाइस ने तर्क देते हुए कहा, “आपके (चैनल) की सामग्री एक यूट्यूब वीडियो से ली गई है जिसे एक ट्वीट से कॉपी किया गया. पत्रकार ने वहां जाने की जिम्मेदारी भी नहीं उठाई. यह पत्रकारिता की नैतिकता नहीं है बल्कि पत्रकारिता की मौत है.”
उमर के वकील पाइस अदालत में आगे कहते हैं, चैनलों द्वारा जो थ्योरी बनाई गई उसके मुताबिक, 8 जनवरी को खालिद सैफी, उमर खालिद और ताहिर हुसैन शाहीन बाग में मिले थे, और ट्रम्प के फरवरी में भारत दौरे के दौरान विरोध की योजना बनाई थी.
जबकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के भारत आने की खबर 11 फरवरी को दी. इस पर पाइस कहते हैं, “जब भारतीय विदेश मंत्रालय 11 फरवरी को जानकारी देता है तो फिर 8 जनवरी को ट्रंप के भारत दौरे के बारे में उन्हें कैसे जानकारी हो गई.”