रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि हमें नेट जीरो उत्सर्जन हासिल करना है तो कृषि, प्लास्टिक, सीमेंट, और अपशिष्ट से होने वाले अंतिम 25 फीसदी उत्सर्जन से निपटना होगा.
उत्पादों में कार्बन की औद्योगिक आवश्यकता
अब दुनिया भर के लोगों में पर्यावरण में प्लास्टिक की समस्या के बारे में काफी जागरूकता है. रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि पॉलिमर (प्लास्टिक), डामर, कार्बन फाइबर, फार्मास्यूटिकल्स, स्नेहक, सॉल्वैंट्स और उर्वरक सहित पेट्रोकेमिकल-आधारित सामग्री की आवश्यकता जल्दी समाप्त होने वाली नहीं है. इनका उपयोग आधुनिक आर्थिक और सामाजिक प्रणालियों में आवश्यक हैं. नेट जीरो तक पहुंचने के लिए नए तरीकों की जरूरत है.
विशेष रूप से, स्थायी प्लास्टिक के निर्माण के लिए समाधान की तत्काल आवश्यकता है, जो कि कच्चे माल (फीडस्टॉक) के रूप में तेल के साथ अत्यधिक उत्पादित किए जाते हैं.
रिपोर्ट बताती है कि टिकाऊ कच्चा माल के विकल्पों में अनुसंधान को तेज करने की आवश्यकता है, साथ ही यह भी विचार करना कि उत्पाद के जीवन के अंत में क्या होगा, क्या इसे रीसाइक्लिंग या इसे नष्ट किया जा सकता है?
· प्लास्टिक बनाने के लिए वैकल्पिक टिकाऊ कच्चा माल, जैसे बायोमास प्लांट और वातावरण से सीओ2 का उपयोग करना.
· रीसाइक्लिंग के लिए उत्पादों को डिजाइन करके और वैकल्पिक रीसाइक्लिंग प्रौद्योगिकियों की जांच करके, रीसाइक्लिंग दरों में वृद्धि करना, जो ऐतिहासिक रूप से 10 फीसदी से कम रहा है.
· समय के साथ टिकाऊ पॉलिमर उत्पादन की आवश्यकता के लिए नीति को लागू करना, उद्योगों को समय के अनुसार नए उत्पादों के विकास और उनके वितरण के लिए अनुमति देना.
वैकल्पिक प्रोटीन का जलवायु प्रभाव
पशु उत्पादों का कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 16 फीसदी हिस्सा है और इसके 2050 तक 35 फीसदी तक बढ़ने के आसार हैं, पशु उत्पादों की मांग में वृद्धि के साथ, भारत और चीन जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में इसके बढ़ने का अनुमान है.
रिपोर्ट में पारंपरिक पौधों पर आधारित प्रोटीन (जैसे टोफू, नट्स, मटर, बीन्स), कीड़े, माइकोप्रोटीन (जैसे क्वार्न द्वारा उत्पादित उत्पाद), शैवाल (जैसे स्पिरुलिना), बैक्टीरिया से प्राप्त प्रोटीन सहित प्रोटीन के वैकल्पिक स्रोतों के उपयोग की सिफारिश की गई है. साथ ही लगभग शून्य उत्सर्जन हासिल करने के इन विकल्पों के उपयोग का मतलब है कि चराई भूमि को पारिस्थितिक रूप से बहाल किया जा सकता है और प्राकृतिक ग्रीन हाउस गैस को हटाने की सुविधा प्रदान की जा सकती है.
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि इस तरह के उत्सर्जन को कम करना है, तो इस पर तत्काल शोध की आवश्यकता है:
· माइकोप्रोटीन और कीड़ों के लिए नए पौधों के रूप में कच्चा माल (फीडस्टॉक्स).
· हरे अथवा पर्यावरण के अनुकूल उर्वरक और कृषि भूमि को प्रकृति आधारित ग्रीन हाउस गैस हटाने में परिवर्तित करने की क्षमता का मानचित्रण करना.
· सीओ2 के लिए प्रकृति आधारित 'सिंक' और कार्बन फीडस्टॉक के स्रोत बढ़ाना.
प्रकृति का उपयोग कार्बन अवशोषण (सिंक) के रूप में किया जा सकता है, जो वातावरण से उत्सर्जन को हटाता है, जिसे अक्सर ग्रीनहाउस गैस निष्कासन कहा जाता है. पौधों के रूप में कार्बन-भारी फीडस्टॉक के स्रोत के रूप में उपयोग होता है. प्रकृति इन दो भूमिकाओं को कैसे पूरा कर सकती है, इसे समझने के लिए तीन मुख्य विकल्पों का पता लगाया जाता है.
चराई भूमि के साथ-साथ हाल ही में वनों की कटाई वाले अन्य क्षेत्रों को वनों के फिर से उगने के लिए छोड़ा जा सकता है. जो एक और सीओ2 अवशोषण (सिंक) प्रदान करता है. इसके अलावा, मृदा कार्बन को बढ़ाया जा सकता है. एक और कार्बन सिंक प्रदान करने और संभावित रूप से फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए ऐसा किया जा सकता है.
(साभार- डाउन टू अर्थ)
***
न्यूज़लॉन्ड्री के स्वतंत्रता दिवस ऑफ़र्स के लिए यहां क्लिक करें.