यूरोप में भी हीटवेव जैसे हालात बने हुए हैं और अनुमान है कि इस साल का तापमान अबतक का सर्वाधिक होने वाला है.
गर्मी और ऊर्जा के बीच इस सीधे संबंध का एक और आयाम है- थर्मल आराम या बेचैनी. यह केवल तापमान पर आधारित न होकर इस बात पर भी निर्भर करता है कि हमारे रहने की जगह कितनी अच्छी तरह से डिजाइन और हवादार है. पंखा एयर कंडीशनर को अधिक असरदार बनाता है क्योंकि यह हमारे शरीर से नमी को वाष्पित करता है. कूलिंग के साथ-साथ डिजाइन भी उतना ही महत्वपूर्ण है. जरा गौर करें कि पारंपरिक इमारतों को गर्मी से बचाने के लिए कैसे डिजाइन किया गया था; सूरज और हवा के लिए डिजाइन करके, न कि प्रकृति के खिलाफ. वे खिड़की पर ओरीएन्टेशन और शेड इस्तेमाल किया करते थे. जिसे अब हम निष्क्रिय वास्तुकला कहते हैं. यह सुनिश्चित करने के लिए कि इमारतें धूप में न पड़ें. ;वे वेंटिलेशन के लिए आंगनों और खुली खिड़कियों का इस्तेमाल करते थे. पेड़ अन्य पर्यावरणीय लाभों के साथ-साथ छाया भी प्रदान करते हैं. अफसोस की बात है कि कांच के फसाड और एयर कूलिंग के लिए बंद जगहों पर निर्मित आधुनिक वास्तुकला ने इस ज्ञान को अनावश्यक और पिछड़ा हुआ बताकर खारिज कर दिया है.
इसके अलावा अधिक गर्मी पानी से संबंधित तनाव को बढ़ाएगी. सिंचाई के लिए, पीने के लिए और जंगल की आग से लड़ने के लिए. जैसे-जैसे हम जमीन से अधिक पानी पंप करेंगे या पानी के परिवहन के लिए बिजली का उपयोग करेंगे, वैसे-वैसे, हमें और अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी- जिससे अंततः यह दुष्चक्र और भी अधिक मजबूत होगा. यही कारण है कि हमें स्थानीय जल संसाधनों के अनुकूलन के तरीके खोजने होंगे. वर्षा के जल का संचय भूजल पर हमारी निर्भरता को कम कर सकता है जिसे सतह तक लाने में ऊर्जा की आवश्यकता होती है.
लगातार गर्म हो रही धरती पर ऊर्जा पदचिह्न को बढ़ाए बिना अत्यधिक गर्मी और ठंड के साथ रहने का यह ज्ञान महत्वपूर्ण होगा. इसलिए हमें जीवाश्म ईंधन का प्रयोग कम करने के साथ-साथ अपनी ऊर्जा की खपत को भी कम करने की आवश्यकता है और यही जलवायु परिवर्तन की पहली चुनौती भी है. हमारी झुलसी हुई धरती हमें कम से कम यह तो सिखा ही सकती है.
(साभार- डाउन टू अर्थ)