गुरुवार को समाचार पत्र दैनिक भास्कर और भारत समाचार के दफ्तरों पर आयकर विभाग ने छापेमारी की. कल दिनभर यह खबरें ट्रेंड में रहीं लेकिन शाम को टीवी चैनलों ने इन्हें अपने प्राइम टाइम शो में कुछ खास तवज्जों नहीं दी.
"एक अख़बार के साथ केवल एक पत्रकार खत्म नहीं होता है. एक पत्रकार के साथ एक अख़बार ख़त्म नहीं होता है. एक अखबार और एक पत्रकार के साथ लाखों की संख्या में पाठक ख़त्म हो जाते हैं. दर्शक भी खत्म हो जाते है." यह बातें एनडीटीवी के एंकर रवीश कुमार के प्राइम टाइम का हिस्सा हैं.
गुरुवार 22 जुलाई को रवीश कुमार का पूरा प्राइम टाइम दैनिक भास्कर को समर्पित था. दरअसल गुरुवार की अल सुबह भोपाल में दैनिक भास्कर मीडिया संस्थान के कई ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापेमारी की. दैनिक भास्कर के मालिक सुधीर अग्रवाल के घर पर भी आयकर विभाग की टीम पहुंची. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान, पिछले कई महीनों से दैनिक भास्कर अपनी पत्रकारिता के ज़रिए सरकार की नाकामियों से पर्दा उठा रहा है.
प्राइम टाइम के दौरान रविश कुमार कहते हैं, "अंग्रेज़ी ही नहीं, हिंदी भाषी अख़बारों में भास्कर अकेला ऐसा अख़बार है जिसने नरसंहार को लेकर सरकार से असल सवाल पूछे. उन बातों से पर्दा हटा दिया जिन्हे ढकने की कोशिश हो रही थी. इस दौरान भास्कर के पत्रकारों ने न केवल अच्छी रिपोर्टिंग की, बल्कि महामारी के नए- नए पहलू भी जोड़ दिए. बड़े-बड़े अंतरार्ष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने भास्कर की रिपोर्टिंग की तरफ देखा. रिसर्चरों ने भास्कर के द्वारा इस्तेमाल किये डेटा के आधार पर भारत में मरने वालों की संख्या का आंकलन किया. बताया कि सरकारी दावे के मुकाबले कई ज़्यादा लोगों की मौत हुई. क्या ऐसा करने की कीमत यह हो सकती है कि आयकर का छापा पड़ेगा?"
The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.
Contributeज़ी न्यूज़ का डीएनए
ज़ी न्यूज़ के एंकर सुधीर चौधरी ने अपने प्राइम टाइम शो 'डीएनए' में कई मुद्दों पर चर्चा की. इनमें किसान संसद, केरल में ईद, चीन में बाढ़ और ध्वनि प्रदूषण की बात की. लेकिन पूरे कार्यक्रम में दैनिक भास्कर पर रेड की खबर गायब रही. कार्यक्रम के दौरान पहले आधे घंटे का समय 'किसान संसद' को दिया गया. जिसमें बार-बार 26 जनवरी को किसान मार्च के दौरान हुई हिंसा की याद दिलाई गई. जिसमें किसानों को दोषी बताने की कोशिश की गई.
बचे समय में केरला में ईद मनाने देने के फैसले पर चर्चा हुई जिसे कोरोना के बढ़ते मामलों के साथ जोड़ा गया. करीब दस मिनट चाइना में आई बाढ़ से देश में बर्बादी की तस्वीरें दिखाई गईं व चाइना में डैम सिस्टम पर चर्चा हुई. इसके अलावा 10 मिनट ध्वनि प्रदूषण पर चर्चा हुई. वहीं 10 मिनट टोक्यो ओलिम्पिक खेलों और पंजाब के खेल बजट को समझाया गया. यानी कुल मिलाकर आयकर विभाग के छापेमारी की खबर को पूरी तरह से गायब कर दिया.
'आज की बात' में नहीं हुई भास्कर की बात
वहीं इंडिया टीवी ने भी आयकर विभाग के छापेमारी की खबरों को दिखाना जरूरी नहीं समझा. इंडिया टीवी के पत्रकार रजत शर्मा ने अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' की शुरुआत संसद में हुए हंगामे के साथ की. शो के पहले 20 मिनट में टीएमसी एमपी शांतनु सेन पर बात हुई कि उन्होंने संसद में अश्विनी वैष्णव के हाथ से पेगासस पर उनके स्टेटमेंट को छीनकर फाड़ दिया. अगले 17 मिनट किसान संसद के बारे में बातें हुई. बचे समय में नवजोत सिंह सिद्धू के पंजाब में कांग्रेस प्रधान बनने और अमरिंदर सिंह के साथ उनके रिश्तों पर बात हुई. आखिर में बचे तीन मिनट महाराष्ट्र में बाढ़ से हुई तबाही के बारे में बताया गया. इस सब के बीच दैनिक भास्कर पर रेड का कहीं कोई ज़िक्र तक नहीं किया गया.
भास्कर पर रूबिका का 'मास्टर स्ट्रोक'
"मीडिया का, टीवी चैनल का, अख़बार का काम क्या है? जनता के सरोकार की खबर दिखाना. सरकार से और सिस्टम से जनता के लिए सवाल पूछना. लेकिन अगर वो अपना यह काम करे तो उसके साथ बदले की कार्रवाई हो सकती है? आज यह सवाल उठ रहा है क्योंकि दैनिक भास्कर के कई दफ्तरों पर आयकर विभाग की छापेमारी चली..." यह कहना था एंकर रूबिका लियाकत का. रूबिका ने अपने प्राइम टाइम शो 'मास्टर स्ट्रोक' में दैनिक भास्कर पर आयकर विभाग की छापेमारी की खबर दिखाई और सवाल पूछा, "जिसने खिलाफ छापा, उस पर क्यों 'छापा'? "
शो के दौरान दैनिक भास्कर द्वारा कोरोना की दूसरी लहर के समय की गई रिपोर्टिंग की क्लिप दिखाई और करीब आठ मिनट तक उस पर चर्चा भी की. इस बीच दैनिक भास्कर के अलग- अलग दफ्तरों से ग्राउंड रिपोर्ट भी दिखाई गई जिसमें सूत्रों के हवाले से बताया गया कि भास्कर ने शेल कंपनियों द्वारा पैसे लिए और आयकर विभाग से कई जानकारियां छुपाई.
मास्टर स्ट्रोक शो के शुरूआती आठ मिनट में 'जासूसी पर परचाफाड़ कांड ' और 'जंतर मंतर पर किसान संसद' पर खबर चलाई गई. आखिर के बचे समय में चीन और महाराष्ट्र में बाढ़ से हुई त्रासदी, कोरोनाकाल और ओलिंपिक खेल पर बात हुई.
कैमरामैन पर हमले के बीच भास्कर को भूल गए अमीश
इंडिया न्यूज़ 18 पर अमीश देवगन के प्राइम टाइम शो 'आर-पार' का आरंभ किसान संसद के साथ हुआ. हेडलाइन थी, 'विरोध का नाम, अराजक काम.' शुरुआत न्यूज़ 18 के कैमरामैन नागेंद्र गोसाई के साथ हुई. अमीश ने बताया कि किसान संसद को कवर करने पहुंचे कैमरामैन को मारा गया. लेकिन 50 मिनट के इस कार्यक्रम में आयकर विभाग के छापेमारी की खबर का कोई ज़िक्र नहीं था.
वहीं किशोर अजवानी के शो, ‘सौ बात की एक बात’ में भी भास्कर और समाचार भारत के दफ्तरों पर की गई छापेमारी की कोई बात नहीं की गई. शो के दौरान अनिल विज, लद्दाख, संसद में हंगामा, आशा कार्यकर्ता, पाकिस्तान, चाइना, तालिबान, राज कुंद्रा, टोक्यो ओलंपिक्स जैसे तमाम विषयों पर चर्चा के बीच दैनिक भास्कर अपनी जगह नहीं बना पाया.
आज तक में नहीं मिली भास्कर को जगह
आज तक पर अंजना ओम कश्यप के शो के दौरान 'आंदोलन का जंतर, समाधान का मंतर...' किसानों पर चर्चा होती रही. वहीं चित्र त्रिपाठी के शो 'शंखनाद' में भी मोहन भागवत, जनसंख्या नीति,पेगासस, संसद में हंगामा और किसानों पर बात हुई.
रिपब्लिक भारत पर एंकर ऐश्वर्या कपूर ने अपने शो 'पूछता है भारत' में पूरा समय 'झूटी जासूसी पर दुष्प्रचार गैंग बेनकाब' पर चर्चा की. इस शो के दौरान उन्होंने पेगासस जासूसी मामले को उठाया. जबकि दिन की अन्य बड़ी खबरें कार्यक्रम से बाहर रहीं.
कुल मिलाकर एनडीटीवी को छोड़ दिया जाए तो दैनिक भास्कर और भारत समाचार के दफ्तरों पर आयकर विभाग की रेड लगभग हर बड़े हिंदी भाषी प्राइम-टाइम शो से गायब रहीं.
General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.
Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?