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बीसीसीएल की मानें तो नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल, मुंबई, ने 12 अगस्त, 2020 के अपने आदेश में ब्रांड इक्विटी ट्रीटीज लिमिटेड के कंपनी में विलय को मंजूरी दे दी थी.
लेकिन 2021 में बीसीसीएल जो अख़बार के व्यसाय में नहीं बल्कि विज्ञापन के व्यवसाय में होने का दावा करती है. एक बड़े नुकसान की ओर देख रही है क्योंकि महामारी के कारण विज्ञापन और सर्कुलेशन दोनों से ही आय कम हो गई है.
पिछले दो वित्तीय वर्षों 2019-20 और 2020-21 में समूह ने चंद अप्रत्याशित बुरी घटनाओं का सामना किया है. देश में आर्थिक मंदी, जो महामारी के बाद और विकट हो गई; 2020 में एक लंबा राष्ट्रीय लॉकडाउन; बेहद खतरनाक दूसरी लहर जिसने विज्ञापन बाजार को लगभग समाप्त कर दिया, इन सभी ने बीसीसीएल के लिए अकल्पनीय समस्याएं पैदा कर दी हैं. जिस समूह ने 2018-19 में कर्मचारियों पर होने वाला व्यय 214 करोड़ रुपए बताया था, उसके लिए कर्मचारी लागत में कटौती आय और मुनाफे में आई अचानक गिरावट का सामना करने के लिए एक त्वरित समाधान था. लिहाजा, पिछले एक साल में छंटनी, वेतन कटौती और संस्करणों के बंद होने का सिलसिला चलता रहा.
बिजनेस इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म टॉफलर के आंकड़ों के अनुसार, बीसीसीएल ने 31 मार्च, 2020 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में 451.63 करोड़ रुपए का समेकित शुद्ध घाटा दर्ज किया था. जबकि पिछले वित्त वर्ष में उसने 484.27 करोड़ रुपए का लाभ दर्ज किया था. स्टैंडअलोन (केवल मूल कंपनी के वित्तीय विश्लेषण के) आधार पर इसने 76.8 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया, जो एक साल पहले पोस्ट किए गए 152.8 करोड़ रुपए से काफी कम था. जबकि समेकित आधार पर इसकी कुल संपत्ति 31 मार्च, 2020 तक 13,034 करोड़ रुपए से गिरकर 10,067 करोड़ रुपए हो गई. कंपनी ने अभी तक 2020-21 के वित्तीय आंकड़े दर्ज नहीं किए हैं.
प्रकाशन प्रभाग से बीसीसीएल की आय लगातार घट रही है. प्रिंट और प्रकाशन क्षेत्र अभी भी कंपनी के कुल व्यापार में सबसे अधिक योगदान देने वाला उत्पाद/सेवा है, लेकिन 2019-20 में इससे आय पिछले वर्ष की तुलना में 6,259.89 करोड़ रुपए से घटकर 5,815 करोड़ रुपए हो गई.
पिछले वर्षों में बीसीसीएल का नियोजित पूंजी पर रिटर्न लगातार गिरा है जो 2015-16 में 46.3 प्रतिशत से घटकर 2019-20 में 14.3 प्रतिशत हो गया. वहीं इक्विटी पर रिटर्न इस पांच साल की अवधि के दौरान 12.23 प्रतिशत से घटकर मात्र 0.76 प्रतिशत रह गया है.
समूह की बैलेंस शीट में संभवतः अनुत्पादक या अलाभकारी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर खर्च दिखाया जाना चिंताजनक है. 2019-20 में, बीसीसीएल का कुल खर्च 9,552 करोड़ रुपये से बढ़कर 9,911 करोड़ रुपये हो गया. इसमें कर्मचारी लाभ पर खर्च पिछले साल की तुलना में 2,562.93 करोड़ रुपए से बढ़कर 2,767.55 करोड़ रुपए हो गया.
2020 में कोविड के कारण लॉकडाउन बीसीसीएल के लिए एक दुर्लभ आशा की किरण की तरह आया. सरकारी निर्देशों के विपरीत कर्मचारियों की छंटनी करने वाली मीडिया कंपनियों में यह समूह अग्रणी था.
मई 2020 में इसने अपने केरल संस्करणों के पहले पन्नों पर 'भारी मन से' दो संस्करणों को बंद करने की घोषणा की. जबकि दो अन्य संस्करण प्रकाशित होते रहे. इस प्रक्रिया में कई पत्रकारों और दूसरे कर्मचारियों की छंटनी की गई.
यह सिर्फ शुरुआत थी. समूह ने इसके बाद मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु जैसे शहरों में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी की, जिससे कई पत्रकार और अन्य कर्मचारी रातों-रात बेरोजगार हो गए.
23 अप्रैल, 2020 को एक आंतरिक मेल में टाइम्स ग्रुप की कार्यकारी समिति के अध्यक्ष एस शिवकुमार ने कहा, "इस अभूतपूर्व परिस्थिति में कठिन निर्णय लेने पड़ रहे हैं जिससे कंपनी का दीर्घकालिक भविष्य सुरक्षित हो सके."
उन्होंने आगे बताया, "क्यों समूह को 1 अप्रैल से वेतनों में 5-10 प्रतिशत तक की कटौती करनी पड़ी और सालाना 6.5 लाख रुपए से अधिक कमाने वाले कर्मचारियों की आय का 10 प्रतिशत एक विशेष परफॉरमेंस इंसेंटिव पूल में स्थानांतरित करना पड़ा."
कभी देश के सबसे अधिक लाभकारी मीडिया हाउस रहे टाइम्स ग्रुप में विद्रोह की सुगबुगाहट अनिश्चितता के सागर में डूब गई.
सत्ता का स्थानांतरण
करीबियों की मानें तो समूह के भीतर सतही तौर पर शक्तियों का स्थानांतरण स्पष्ट है. इस साल 13 मई को बीसीसीएल की अध्यक्ष इंदु जैन के निधन के बाद से समूह में कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ है. हालांकि वह इन बातों को उजागर न करने की भरपूर चेष्टा करते हैं. ज़ाहिर तौर पर अब सारी शक्तियां इंदु जैन के दो बेटों के हाथों में सिमट कर रह गई हैं.
समीर जैन, जिन्हें प्यार से 'वीसी' (उनके पद वाइस-चेयरमैन का संक्षिप्त स्वरूप) कहा जाता है, अपना समय अमेरिका, दिल्ली और अपनी नियमित मंदिर यात्राओं के बीच बांटते हैं. वह दिन-प्रतिदिन के मामलों पर नज़र रखते हैं. कुछ साल पहले समीर जानबूझकर मुंबई के कॉरपोरेट हब से बाहर निकल गए. उसके बाद से विनीत ने समूह की गतिविधियों के केंद्र मुंबई में अधिक समय बिताना शुरू कर दिया.
लेकिन समूह के एक पूर्व संपादक ने कहा, "विनीत ने कई साल पहले से ही समूह के कार्यों में गहरी दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया था. “एक दशक पहले से ही वही हमारी वेतन वृद्धि को अंतिम रूप देते थे,”
यह बात बेहद स्पष्ट है कि समूह का ध्यान गैर-प्रमुख क्षेत्रों की ओर अधिक है, जिसके फलस्वरूप उनके बड़े मीडिया ब्रांडों का संचालन संपादकों के हाथों में है.
शिवकुमार ने हाल ही में संपादकीय निदेशक जयदीप 'जोजो' बोस की अध्यक्षता में 'टीओआई संपादकीय बोर्ड' की स्थापना की घोषणा की, जो प्रिंट और डिजिटल सेवाओं के बीच बेहतर एकीकरण को प्रोत्साहित करेगा.
सभी जानते हैं कि एक समय में बेहद लाभकारी अख़बार के व्यवसाय में अब मुनाफा लगातार घटता जा रहा है. और मौजूदा परिस्थितियों में उसमे पुनः वृद्धि होने की कोई उम्मीद नहीं है. नए व्यवसायों और गठबंधनों के प्रयोग अभी भी जारी हैं, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों और संपादकों को मुनाफा कमाने का मंत्र बार-बार याद दिलाया जाता है. उनके काम करने का बुनियादी सिद्धांत बेहद सरल है. यदि कोई व्यावसायिक इकाई अपेक्षा से एक दिन भी अधिक संघर्ष करती है तो समस्या उत्पन्न करने वालों को बाहर करें और आगे बढ़ें.
जैसा कि एक अग्रणी विज्ञापन एजेंसी के प्रमुख ने कहा, "दुनिया में सर्वाधिक बिकने वाले अंग्रेजी अख़बार के प्रकाशक आश्चर्यजनक रूप से शक्ति के नहीं बल्कि मुनाफे के नशे में रहते थे."
टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड
डॉटकॉम बस्ट के बाद बीसीसीएल को टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड के संचालन को सीमित करना पड़ा था और सैकड़ों कर्मचारियों की छंटनी करनी पड़ी थी. अब दो दशक के बाद वह फिर से अपना प्रभुत्व स्थापित करने की प्रक्रिया में है. इस नए अवतार में टीआईएल काफी विस्तृत हो गया है लेकिन अब भी उड़ान भरने के लिए संघर्ष कर रहा है.
टाइम्स समूह की टीआईएल में हिस्सेदारी 88.8 प्रतिशत है. टीआईएल समूह की सभी इंटरनेट-संबंधी कंपनियों का केंद्र है. बीसीसीएल की दो अन्य सहायक कंपनियां भी हैं- टाइम्स इंटरनेट आईएनसी, यूएसए और टाइम्स इंटरनेट (यूके) लिमिटेड. इनमें भी समूह की हिस्सेदारी सामान है.
समूह को करीब से देखने वालों का एकमत से मानना है कि समीर जैन के दामाद सत्यन गजवानी (समीर की इकलौती बेटी त्रिशला के पति) के नेतृत्व में टीआईएल को अभी लंबा रास्ता तय करना है.
टीआईएल में पैसे की काफी खपत हो चुकी है. इंटरनेट व्यवसाय से प्री-टैक्स घाटा एक साल के भीतर 550.66 करोड़ रुपए से बढ़कर 2019-20 में 837.72 करोड़ रुपए हो गया.
जब बीसीसीएल इंटरनेट अर्थव्यवस्था पर भारी दांव लगा रहा है, तो इस बात पर भी कानाफूसी हो रही है कि कहीं इसकी कीमत समूह के मुख्य व्यवसाय को न चुकानी पड़े. "समाचार-पत्रों की ताकत का उपयोग करके कुछ आश्चर्यजनक करने की योजना थी," मुंबई के एक संपादक ने बताया, और कहा कि ऐसा करने के लिए बीसीसीएल के पास समय कम है.
टीआईएल के वाइस चेयरमैन गजवानी आशावादी हैं. उन्होंने पहले कहा था, "2023 तक अपने सभी उत्पादों को एक अरब मासिक उपयोगकर्ताओं तक पहुंचाना उनका ध्येय है." लेकिन इस विकास के लिए शक्तिशाली प्रयासों की जरूरत है.
समूह द्वारा जारी टाइम्स इंटरनेट 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, दैनिक उपयोगकर्ताओं की संख्या पांच प्रतिशत बढ़कर 106 मिलियन तक हो गई है. गजवानी ने कंपनी प्रेजेंटेशन में कहा कि वित्त वर्ष 2020 में टीआईएल की आमदनी 24 प्रतिशत बढ़कर 1,625 करोड़ रुपये हो गई.
"कोविड-19 के कारण साल का अंत कमज़ोर रहने के बावजूद हमारी तीनों रेवेन्यू लाइनें अच्छी तरह प्रगति कर रही हैं." प्रेजेंटेशन में कहा गया. “संगीत और वीडियो में तीव्र वृद्धि के साथ विज्ञापन से आय में 22 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई. टाइम्स प्राइम या हमारे व्यक्तिगत उत्पादों के कुल ग्राहकों में 62 प्रतिशत की वृद्धि हुई, और हमने पिछले साल दो मिलियन ग्राहकों की संख्या को पार किया. लेन-देन के व्यवसायों में हमारा वार्षिक जीएमवी 68 प्रतिशत बढ़ा, शुद्ध राजस्व में 75 प्रतिशत की वृद्धि हुई. हमारे उभरते हुए लेनदेन के व्यवसायों से आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है- क्यूरेका 8 गुना, ग्रेडअप 4 गुना और डाइनआउट 2.4 गुना बढ़ गया है."
टीआईएल भारत में सबसे बड़ा डिजिटल उपभोक्ता मंच होने का दावा करता है. इसकी मीडिया संपत्ति के अंतर्गत समाचार, खेल (क्रिकबज), लाइफस्टाइल (इंडियाटाइम्स, मेन्सएक्सपी, आईडिवा), संगीत (गाना), और वीडियो (एमएक्स प्लेयर) आते हैं. इसके समर्थकारी प्लेटफॉर्म व्यक्तिगत वित्त (ईटीमनी), रियल एस्टेट (मैजिकब्रिक्स), शिक्षा (ग्रेडअप), भोजन (डाइनआउट) और अन्य क्षेत्रों में उपभोक्ताओं की सेवा करते हैं.
बड़ा सवाल यह है कि टाइम्स समूह ऑनलाइन क्षेत्र में अपने निवेश को कब भुनाएगा?
ऐसा लगता है कि महामारी ने बीसीसीएल के विकास कैलेंडर से दो वित्तीय वर्षों (FY20 और FY21) को हाईजैक कर लिया है. साल 2020-21 के लिए कई अर्थशास्त्रियों द्वारा पूर्वानुमानित वी-आकार की वृद्धि किसी बड़े फायदे के बिना समाप्त हो गई है और मौजूदा वित्त वर्ष में संभावित तीसरी लहर और टीकाकरण की धीमी गति के कारण बढ़ती अनिश्चितताओं के बीच इस तरह के अनुमान दूर की कौड़ी लगते हैं.
क्या यह विशाल समूह अपने असामान्य रूप से भारी खर्चों को कम करेगा? क्या यह एक बार फिर छंटनी और वेतन कटौती का आसान रास्ता अपनाएगा? बीसीसीएल की स्थूलता को देखते हुए इसके लिए विनिवेश ही एकमात्र रास्ता हो सकता है. एक दशक से भी अधिक समय के बाद एक बार फिर विवाह की शहनाईयों का समय है.
ग्राफिक्स- गोबिंद वीबी
यह रिपोर्ट हमारी एनएल सेना सीरीज का हिस्सा है, जिसमें हमारे 75 से अधिक पाठकों ने योगदान दिया है. गौरव केतकर, प्रदीप दंतुलुरी, शिप्रा मेहंदरू, यश सिन्हा, सोनाली सिंह, प्रयाश महापात्र, नवीन कुमार प्रभाकर, अभिषेक सिंह, संदीप केलवाड़ी, ऐश्वर्या महेश, तुषार मैथ्यू, सतीश पगारे और एनएल सेना के अन्य सदस्यों की बदौलत यह संभव हुआ है.
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