साल 2019 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर उनकी जूनियर असिस्टेंट ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे.
देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और वर्तमान में राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई पर उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला के साथ-साथ उनके परिवार से जुड़े नंबरों को हैंकिग के लिए चुना गया. यह दावा द वायर की एक रिपोर्ट में किया गया है.
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि, इज़राइल स्थित एनएसओ समूह के पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल पीड़िता महिला समेत उनके परिवार से संबंधित कुल 11 फोन नंबर पर किया गया. एमनेस्टी इंटरनेशनल की तकनीकी लैब के साथ फॉरबिडेन स्टोरीज द्वारा समन्वित 16 अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों की टीम द्वारा की गई विशेष पड़ताल में पाया गया कि भारत के जिन नंबरों को संभावित हैकिंग का निशाना बनाया गया, उनमें यह सबसे बड़ा समूह है.
पेगासस प्रोजेक्ट के सदस्यों द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को भेजे गए विस्तृत सवालों के जवाब में भारत सरकार के पेगासस से संबंधों के आरोपों को ‘दुर्भावनापूर्ण दावा’ बताया गया है और कहा गया कि ‘कुछ विशिष्ट लोगों पर सरकारी निगरानी के आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है.
हालांकि अपनी रिपोर्ट में द वायर ने यह साफ किया है कि महिला और उनसे जुड़े किसी भी व्यक्ति के फोन का फॉरेंसिक परीक्षण नहीं कराया है. लेकिन उनके नंबरों का हैंकिंग की सूची में होना प्राइवेसी, लैंगिक न्याय और न्यायिक प्रक्रिया की ईमानदारी पर सवाल खड़े करता है.
न्यूज वेबसाइट द वायर ने आगे अपनी खबर में बताया कि, महिला जिन तीन फोन नंबरों का उपयोग कर रही थी. उनमें से दो नंबर हैंकिग के लिए शिकायत दर्ज होने के कुछ दिनों बाद ही चुन लिए गए थे. जबकि तीसरा नंबर एक सप्ताह बाद लिया गया. इसी तरह पीड़ित महिला के पति के पांच नंबरों में से चार को पहले हलफनामे के बाद चुन लिया गया वहीं एक कुछ दिनों बाद.
वेबसाइट ने बताया कि, उन्होंने हैकिंग की जानकारी के बाद महिला और उनके परिवार से संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने इस रिपोर्ट का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया.
बता दें कि साल 2019 में तत्कालीन पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर उनकी जूनियर असिस्टेंट ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. जिसके बाद महिला ने सुप्रीम कोर्ट के 22 जजों को भेजी चिट्ठी में बताया था कि जस्टिस गोगोई पर यौन उत्पीड़न करने, इसके लिए राज़ी न होने पर नौकरी से हटाने और बाद में उन्हें और उनके परिवार को तरह-तरह से प्रताड़ित करने के आरोप लगाए.
इन आरोपों के बाद सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की आंतरिक समिति ने इस शिकायत की सुनवाई की थी, जिसमें जस्टिस रंजन गोगोई को क्लीनचिट दे दी गई थी. कमेटी ने कहा था जस्टिस गोगोई के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला.